दिल्ली यूनिवर्सिटी में अब आसानी से मिलेगा एडमिशन, 80% से नीचे कट ऑफ

नई दिल्ली : दिल्ली में रहने वालों का दर्द शायद केजरीवाल के मरहम का इंतज़ार कर रहा था. दिल्ली विश्वविद्यालय को चलाने के लिए वैसे तो दिल्ली वालों के टैक्स का पैसा लगता है लेकिन बाहर के छात्रों के आने के कारण उन्हें एडमिशन के लिए भारी मशक्कत करनी पड़ती है. नतीजा ये हुआ है कि अब उन्हें 100 फीसदी तक नंबर लाने हेते हैं. अब दिल्ली विधानसभा ने यहां 85 फीसदी सीटें दिल्ली वालों के लिए रिजर्व करने का फैसला लिया है.

उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने विधानसभा में अपने भाषण में कहा कि, हमारा राष्ट्रवाद और राष्ट्रप्रेम शिक्षा के बिना अधूरा है. इसलिए दिल्ली सरकार के अधीन उच्च संस्थानों में 50 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था की तर्ज पर मैं संकल्प पेश करता हूं कि दिल्ली सरकार द्वारा पूर्ण वआंशिक तौर पर वित्तपोषित 28 कॉलेज में 85 प्रतिशत आरक्षण दिया जाए. इसके अलावा उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के और कॉलेज व कैंपस खोलने की राह में अड़ंगा बने कानून को संशोधन के लिए दिल्ली विश्वविद्यालय अधिनियम 1922 की धारा 5 व 2 में संशोधन सिफारिश केंद्र सरकार को भेजने का संकल्प रखा.सदन ने ध्वनि मत से इन दोनों संकल्पों को स्वीकार कर लिया.

इससे पूर्व दिल्ली के उपमुख्यमंत्री ने आज दावा कियाकि दिल्ली सरकार छात्रों के लिए सीटों कीक्षमता बढ़ा रही है, कई यूनिवर्सिटी में सीटों में वृद्धि हुई है और 13 कॉलेज खोले गए हैं. बावजूद इसके दिल्ली के बच्चों को प्राथमिकता मिले इसके लिए जरूरी है कि कानून में आवश्यक संशोधन किए जाएं और इसके लिए हम सभी केंद्र से गुजारिश करेंगे.

आम आदमी पार्टी विधायक जरनैल सिंह ने कहा कि दिल्ली सरकार 28 कॉलेज को करीब 300 करोड़ रुपए की वित्तिीय सहायता देती है जिनमें 12 कॉलेज को पूर्ण वसूल को आंशिक वित्तीय सहायता दी जा रही है. पिछले वर्ष मानव संसाधन मंत्री से आग्रह किया था कि दिल्ली में लगभग ढ़ाई लाख बच्चों में से एक चौथाई को दिल्ली विश्वविद्यालय में दाखिला मिलता है जबकि अन्य राज्यों में मॉडरेशन नीति होने के कारण वह अंक तालिका में ऊपर आकर दिल्ली में प्रवेश ले लेते हैं. इसलिए इसमें व्यवस्था में बदलाव हो.

चर्चा में आप विधायक नितिन त्यागी ने जहां बिहार के टॉपर घोटाले का जिक्र किया तो वहीं सौरभ भारद्वाज ने कहा कि दिल्ली केंद्र शासित राज्य है और यहां का हर कानून केंद्र सरकार द्वारा मान्य होने के बाद ही लागू होता है, इसलिए दिल्ली विश्वविद्यालय को दिल्ली को अलग राज्य ना मानते हुए दिल्ली के बच्चों को दाखिले में प्राथमिकता देनी चाहिए.

 

भाजपा विधायक मनजिंदर सिंह सिरसा ने संविधान का हवाला देते हुए कहा कि जब दिल्ली के कुछ कॉलेज 50 फीसद आरक्षण दे सकते हैं तो दिल्ली के बच्चों को आरक्षण क्यों नहीं दिया जा सकता. उन्होंने अपनी उप कुलपति के साथ हुई मुलाकात में उपकुलपति के जवाबों से भी सहमति जताई.
चर्चा में अलका लांबा अजय जब जगदीप सिंह नरेश यादव ने भी भाग लिया.