इलाहाबाद : इलाहाबाद जिले में जहां अपराध का ग्राफ लगातार बढ़ रहा है. वहीं अपराध पर लगाम लगाने वाले जिले के साढ़े पांच सौ से ज्यादा पुलिसकर्मी ही लापता हैं. ये लोग वेतन तो ले रहे हैं लेकिन काम कहीं नहीं कर रहे. यहां तक कि इनके बॉस को भी नहीं पता कि वो कहां हैं.
इस गड़बड़ी का पता एसएसपी इलाहाबाद की ओर से कराई गई मैन पावर ऑडिट में चला. एक साथ साढ़े पांच सौ पुलिसकर्मियों के ड्यूटी से गायब रहने और लगातार ट्रेजरी से वेतन भुगतान के खुलासे के बाद पुलिस महकमे में हड़कंप मचा है. एसएसपी ने जहां अब इस मामले में एसपी स्तर के अधिकारी को जांच सौंप दी है. वहीं बगैर ड्यूटी वेतन ले रहे पुलिसकर्मियों के मामले में जिलाधिकारी ने भी एसएसपी से रिपोर्ट लेकर कार्रवाई की बात कही है.
इलाहाबाद जिले के 39 थानों सहित पुलिस की सभी शाखाओं में मौजूदा समय में लगभग साढ़े पांच हजार गैरराजपत्रित कर्मचारी तैनात हैं. जिनको लेकर एसएसपी नितिन तिवारी ने मैन पावर ऑडिट कराया है. यह ऑडिट स्मार्ट ई-पुलिस ऐप्लीकेशन के जरिए हो रहा है. इस नए सॉफ्टवेयर में पुलिसकर्मियों का पूरा रेकार्ड और तैनाती का डेटा फीड हो रहा है. सॉफ्टवेयर पर नाम चढ़ाए जाने के दौरान साढ़े पांच सौ से ज्यादा ऐसे सिपाही, दारोगा और निरीक्षक मिले हैं जिनकी पोस्टिंग का कहीं जिक्र ही नहीं है लेकिन उनके वेतन का आहरण लगातार ट्रेजरी से हो रहा है. सॉफ्टवेयर के जरिए इस खुलासे के बाद हड़कंप मच गया है. अब अधिकारी इस बात का जवाब नहीं दे पा रहे हैं कि लंबे समय से ऐसा लगातार कैसे होता आ रहा है.
ऑडिट रिपोर्ट के मुताबिक इलाहाबाद जिले में तैनात कुल सिपाहियों और दारोगाओं की जितनी संख्या पोस्टिंग के मुताबिक है उससे साढ़े पांच सौ से ज़्यादा लोगों का वेतन ट्रेजरी से हर माह जारी हो रहा है. ट्रेजरी और जिले में तैनात पुलिसकर्मियों की लिस्ट के मिलान के बाद एसएसपी ने ऐसे पुलिसकर्मियों के वेतन भुगतान पर रोक लगा दी है. इसके साथ ही एसएसपी ने पूरे मामले में एसपी प्रोटोकॉल को जांच भी सौंप दी है. एसएसपी के मुताबिक स्मार्ट – पुलिस ऐप्लीकेशन के जरिए अब पुलिसकर्मियों की तैनाती, छुट्टी और रवानगी का भी रेकार्ड रखा जायेगा. उन्होंने कहा है कि लापता पुलिसकर्मियों के बारे में जांच के बाद उन्हें थानों में तैनाती दी जायेगी. जिससे जिले के हर थानों में पुलिस फोर्स की कमी भी काफी हद तक दूर हो सकेगी.