हर ट्रेन में कम होंगी 500 सीटें, रेल्वे ने की बड़ी कटौती, पीछे हैं ये प्लान

नई दिल्ली : रेल रिजर्वेशन की मारामारी और बढ़ने वाली है. इसकी वजह है रेलवे का एक उल्टा फैसला, रेल मंत्रालय ने यात्री ट्रेनों में बोगियों की संख्या को कम करने का फैसला लिया है. फिलहाल ट्रेन में 26 तक डिब्बे होते हैं लेकिन रेल्वे ने कहा है कि ये अब 22 से ज्यादा नहीं हो सकते. यानी हर ट्रेन में 4 डिब्बे कम हो जाएंगे चार डिब्बों में कम से कम  मौजूदा 26 से 22 करने का निर्णय लिया है. इस निर्णय से न केवल ट्रेनों की संख्या और रफ्तार बढ़ाने में मदद मिलेगी, बल्कि दुर्घटना की संभावनाएं भी घटेंगी. यही नहीं, इससे लंबी ट्रेनों की वजह से छोटे प्लेटफार्मों पर यात्रियों को चढ़ने-उतरने में आने वाले दिक्कत का भी समाधान हो जाएगा और किसी भी ट्रेन को किसी भी रूट पर चलाया जा सकेगा. एक डिब्बे में 96 मुसाफिर आते हैं और चार डिब्बों में ये संख्या 484 होती है. आरएसी को जोड़ लिया जाए तो हर ट्रेन में अब 500 से ज्यादा सीटें कम हो जाएंगी.

रेलमंत्री पीयूष गोयल ने संवाददाताओं को इस महत्वपूर्ण निर्णय की जानकारी दी. उन्होंने कहा कि हमने सभी ट्रेनों को 22 कोच का करने का निर्णय लिया है. यह अधिकतम संख्या है. कुछ ट्रेनों में इससे कम कोच भी हो सकते हैं. गौरतलब है कि अभी आम तौर पर यात्री ट्रेनों में अधिकतम 24 कोच लगाए जाते हैं. मांग बढ़ने पर अपवादस्वरूप कुछ लोकप्रिय ट्रेनों में इनकी संख्या 26 भी कर दी जाती है.

रेलवे ने इसके पीछे अजीब तर्क दिए हैं. कहा जा रहा है कि इससे कोच बचेंगे और ज्यादा ट्रेन चलाई जा सकेंगी. यही सरकार पहले कह चुकी है कि ट्रेक पहले ही रेलगाड़ी चलाने की क्षमता से ज्यादा रेलगाडियों का बोझ उठा रहे हैं. सरकार कहती है कि अभी कोच उत्पादन क्षमता सीमित होने से मनचाही संख्या में नई ट्रेने चलाना संभव नहीं हो पाता. रेलवे की तीनों कोच फैक्टि्रयां-कपूरथला, चेन्नई व बरेली मिलकर सालाना लगभग चार हजार कोच का ही निर्माण कर पाती हैं. लेकिन पुरानी ट्रेनों से कोच निकालकर नयी ट्रेन बनाने से मुसाफिरों को सुविधा कैसे मिल सकेगी ये बड़ा सवाल है.

रेलमंत्री ने रेलवे की मौजूदा सिग्नल प्रणाली को बदलने की जरूरत भी बताई. उन्होंने कहा, ‘हम अभी भी साठ-सत्तर वर्ष पुरानी मैन्युअल सिग्नल प्रणाली से काम चला रहे हैं. अब इसे पूरी तरह बदलने और विश्व की अत्याधुनिक सिगनल प्रणाली स्थापित करने का वक्त आ गया है. इसे 2022 तक लागू करने का प्रस्ताव है. इसका खाका तैयार हो रहा है. शीघ्र ही इस बाबत विस्तृत जानकारी दी जाएगी.’

गोयल ने इससे ज्यादा जानकारी नहीं दी. लेकिन रेलवे बोर्ड के अधिकारियों ने बताया कि नई सिगनल प्रणाली ‘आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस’ पर आधारित होगी. इस पर 60 हजार करोड़ रुपये के खर्च का अनुमान है. पहले वर्ष इस पर 20 हजार करोड़ रुपये की राशि खर्च की जाएगी.