भारत में 500 से ज्यादा ISI एजेन्ट्स का पता चला, नेटवर्क में कई हिंदूवादी भी

भोपाल: पैरेलल टेलीफोन एक्सचेंज चलाकर आर्मी से जुड़ी जानकारी पाकिस्तान को भेजने वाले लोगों से पूछताछ में पता चला है कि भरत में कम से कम 500 आईएसआई के एजेंट अभी भी काम कर रहे हैं. शुरुआती जांच में ये जानकारी सामने आई है. सीमापार से हैंडलर इनकी निगरानी कर रहे हैं. ये हैंडलर ही हवाला के जरिए नेटवर्क से जुड़े तमाम लोगों को पैसा भेज रहे हैं. भोपाल के 3 लोगों को ISI से हर महीेने मिलते थे आठ लाख रुपये. भोपाल से गिरफ्तार मनीष गांधी, ध्रुव सक्अार्मी और मोहित अग्रवाल पैरेलल टेलीफोन एक्सचेंज से करीब सवा आठ लाख रुपये महीने कमाते थे.

एक सिम बॉक्स में 8, 16 या 32 पोस्टपेड सिमकार्ड लगाए जाते थे. जांच में सामने आया है कि एक सिमकार्ड रोजाना करीब 400 मिनट तक इस्तेमाल किया जाता था. इसके लिए औसतन आठ डॉलर यानी करीब 544 रुपये मिलते थे. एक कॉल सेंटर में 300 सिमकार्ड रोजाना इस्तेमाल किए जाते थे. भोपाल में ऐसे 5 सेंटर होने का पता चला है. यानी तीनों को हर महीने करीब आठ लाख 16 हजार रुपये अदा किए जाते थे.

पाकिस्तानी एजेंसी के लिए खड़े किए गए जासूसी नेटवर्क में फंड का इंतजाम भारत से ही होता था. आईटी एक्सपर्ट साइबर फ्रॉड और लॉटरी का झांसा देकर आम लोगों के अकाउंट में सेंध लगाते और रुपयों का बंदोबस्त करते थे. अलग-अलग अकाउंट में ये पैसे ट्रांसफर करवाकर इसे दिल्ली स्थित दो बैंकों के खातों में ट्रांसफर करवाया जाता था. फिर इसी पैसे का इस्तेमाल देश में ISI के नेटवर्क को बढ़ाने में किया जाता था. बॉर्डर पार से हवाला के जरिए से भी रकम पहुंचती थी. शुरुआती जांच में ऐसे 44 अकाउंट का पता चला है, जिसमें जालसाजी करके रकम मंगाई गई है. इस रकम को यहां से पाकिस्तान में बैठे आकाओं के अकाउंट में ट्रांसफर करने के सबूत मिले हैं.

बलराम ने खोल रखे थे 100 से ज्यादा फर्जी अकाउंट दो महीने पहले सतविंदर और दादू से जम्मू पुलिस ने पूछताछ की थी, तभी आईबी ने एमपी पुलिस को बलराम के बारे जानकारी दे दी थी. बलराम बार-बार पाकिस्तान बात कर रहा था. खुफिया एजेंसियों ने उसकी कॉल की भी लगातार निगरानी की थी. जब यह साबित हो गया कि बलराम ने 100 से ज्यादा फर्जी अकाउंट खुलवा रखे हैं और बदल-बदलकर नंबरों से पाकिस्तान बात कर रहा है तो उसकी घेराबंदी कर ली गई.