40 मुसलमानों ने ज़मीन दान दी फिर भी नहीं बन पा रहा दुनिया का सबसे बड़ा राम मंदिर, क्या मोदी कर पाएंगे मदद?


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पश्चिमी चंपारण में दुनिया का सबसे बड़ा हिंदू मंदिर बनाने का काम अभी अटका हुआ है. मंदिर का नाम ‘विराट रामायण मंदिर’ रखने का फैसला किया गया था क्योंकि इस मंदिर में भगवन राम, सीता और लव-कुश की प्रतिमाएं स्थापित किया जाना है. कम्बोडिया सरकार ने आपत्ति जताई कि इस मंदिर का डिजाइन वहां पर मौजूद विश्‍व प्रसिद्ध अंकोर वाट मंदिर की तरह है. जो बारहवीं सदी में बनाया गया था. यह मंदिर भी 215 फीट ऊंचा है. इस आपत्ति के बाद मंदिर चंपारन में मंदिर निर्माण टाल दिया गया. अब इस बात को लगभग एक साल हो गया है.

बिहार में जहां यह मंदिर तैयार होगा, उसके लिए करीब 40 मुसलमानों ने अपनी जमीन दान की है. इस मंदिर में 20 हजार लोगों के एकसाथ बैठने की क्षमता होगी. मंदिर के बारे में पूर्व आईपीएस अफसर और पटना स्थित महावीर मंदिर ट्रस्टक के सचिव आचार्य कुणाल बताया कि इस मंदिर का निर्माण पटना से 150 किमी दूर पूर्वी चंपारण में केसरिया के जानकी नगर में शीघ्र शुरू हो जाएगा. भूकम्परोधी इस मंदिर को बनाने की जिम्मेदारी मुंबई के वालेचा कंस्ट्रक्शन कंपनी को दी गई है. इस मंदिर को बनाने में 500 करोड़ लागत का अनुमान है. साथ ही यह मंदिर कम्बोडिया के मंदिर से कहीं ज्यादा विशाल 405 फीट ऊँचा, 2800 फीट लम्बा, और 1400 फीट चौड़ा होगा, जिसके प्रांगण में 18 मंदिर होंगे. जबकि इसके शिव मंदिर में विश्व का सबसे बड़ा शिवलिंग स्थापित किया जाएगा. कंबोडियाई सरकार की आपत्ति का जवाब भेज दिया गया है और बताया गया है कि इस मंदिर का डिजाइन अंकोर वाट जैसा नहीं है.

गुड़गांव में काम कर रहे इंडिजिनस स्टूडियो प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक राधेश्याम इस मंदिर की निर्माण और वास्तुशिल्प की देख रेख कर रहे हैं. इस मंदिर के लिए ट्रस्ट ने 200 एकड़ जमीनों का बंदोबस्त किया है. जिसमें हिंदुओं और मुसलामानों ने मिलकर 50 एकड़ जमीन दान की है और बाकी खरीदी गई है. करीब 40 मुसलामानों की जमीनें या तो मंदिर के प्रस्तावित सीमा के अंदर आ रही थी या फिर मंदिर के लिए बनने वाली सड़कों के बीच आ रही थी.