सच्चाई को कुचलने का मोदी सरकार का घटिया खेल, राष्ट्रीय नेता भी शामिल.

एक्सपोज किया ये भी आपको पता है. लेकिन अब आपतो बताते हैं कि ये एक केस नहीं बीजेपी है ही ऐसी. वो भड़काऊ सामग्री से हर आंदोलन को बदनाम करने की कोशिश करती है.

ये ट्वीट देखें शांतिप्रिय फाउंडेशन के अकांउंट से एक फोटो ट्वीय किया गया जिसमें एक सिख वी वांट खालिस्तान का पोस्टर हाथ में लिए हैं. इस ट्वीट में लिखा गया कि इनका मकसद खालिस्तान बनाना है इसके पीछे कहीं न कही आपिया गिरगिट या कांग्रेस हैं. +

पता चला कि फोटो 2013 की है और ऑपरेशन ब्लू स्टार के 29 साल पूरे होने पर कुछ सिख खालिस्तान के समर्थन में अकाल तख्त पर इकट्ठा हुए थे ये फोटो तभी की है. दैनिक भास्कर ने इसका फैक्टचेक किया लेकिन देरी हो चुकी थी.

बिना मूंछ का सरदार वायरल

अमित मालवीय ने तो रिकॉर्ड ही बना दिया. एक बुजुर्ग सिख किसान को पुलिस वाले के हाथों पीटने की दस्वीर वायरल हुई. इस तस्वीर को झूठा ठहराने के लिए अमित मालवीय जो आईटीसेल के चीफ हैं ने एक वीडियो ट्वीय किया. ट्विटर ने बाकायदा इस वीडियो को झूठा बताया बल्कि मेनिपुलेटेज मीडिया का टैग भी लगाया.

6 जनवरी 2020 जेएनयू के साबरमती होस्टल और पेरियर हॉस्टल में करीब पचास छात्रों की भीड़ घुस गई.

पुलिस तैनात थी लेकिन रोका नहीं. गेट पीटे खिड़कियों के शीशे तोड़े. एक छात्र ने ऊपर से छलाग लगाकर जान बचाई.

बाद मे पहचान भी हो गई और स्टिंग ऑपरेशन भी सामने आ गया लेकिन पुलिस नकारती

रही और उसने 9 छात्रों की पहचान की बात की जो सभी पीड़ित थे.

आईटी सेल की एक लड़की गुंजा रानी आपको याद होगी कैसे शाहीनबाग में बुर्का पहनकर वो महिलाओं को बीच घुस गई और पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाने लगी. जिसे बाद में धरने पर मौजूद महिलाओं ने काबू कर लिया.

किसी मुसलमान का पुराना वीडियो निकालकर ट्वीट किया. इसमें दिखाएगे आदमी कह रहा था कि हम हिंदुओं का जीना मुशकिल करदेंगे. संबित पात्रा ने लिखा वो जीना चहाते हैं और हमारे बच्चे मरने को तैयार हैं. डेजरस वेरी डेंजरस वेकअप बिफोर टू लेट.

ये ट्वीट 3 फरबरी 2020 को किया गया जबकि न तो शहर काजी का वीडियो था न न ही सही था. काटपीट कर फेक वीडियो तैयार किया गया था

दिल्ली में कोई ऐसा शहर काज़ी था ही नहीं लेकिन भारतीय जनता पार्टी अपने मकसद में कामयाब रही.

बीजेपी जब भी कोई फेक वीडियो शेयर करती है बड़ी सफाई से जिम्मेदारी से हाथ झाड़ लेती है. न्यूज 18 की डिबेट में संबित पात्रा ने दावा किया कि सोनिया गांधी विश्व की चौथी सबसे अमीर महिला हैं.

एक वेबसाइट वर्ल्ड्स लग्जरी गाइड सिरफ इस जूठ को फैलाने के लिए बनाई गई थी. संबित पात्रा ने इस वेबसाइट के हवाले से इतनी बाड़ी बात कह दी थी. बाद में ये वेबसाइट बंद हो गई और संबित पात्रा मासूम बन गए. मासूमियत से झूठ बोलने का एक और उदाहरण संबित पात्रा ने एक वीडियो पोस्ट किया लिखा कि क्या कोई मेरे लिए इस वीडियो की सत्यता की जांच कर सकता है. इस वीडियो में कांग्रेस का नेता नसीम खान है जो पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगा रहा है. वीडियो पुराना था. वीजियो में नसीम खान बोल रहे हैं कि राजनाथ सिंह की मौजूदगी में श्री श्री रविशंकर ने यमुना के किनारे कहा था – पाकिस्तान ज़िंदाबाद किसी की हिम्मत है जो उन पर राजद्रोह का केस लगा दे. इस का आधा हिस्सा बड़ी खूबसूरती से निकाल दिया गया था और ऐसे प्रचारित किया गया कि खुद नसीम खान पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगा रहा है. सीएए के प्रदर्शनों के दौरान संबित पात्रा ने एक वीडियो शेयर किया- उन्होने लिखा कि कांग्रेस के नेता नसीमुद्दीन सिद्दीकी कह रहे हैं कि वो पहले मुसलमान है फिर भारतीय.

अगर इस्लाम के मुताबिक नहीं हुआ तो हम संविधान को नहीं मानेंगे. इतना ही नहीं संबित पात्रा ने लिखा कि कुत्ते भी वफादार होते हैं. कहां है सोनिया गांदी और राहुल गांधी. सच ये है कि ये वीडियो अगस्त 2017 का पुराना वीडियो था और इसमें कांग्रेस का कोई नेता नहीं था. समाजवादी पार्टी के नेता माविया अली का वीडियो था जिसमें वो मदरसों में स्वतंत्रता दिवस मनाने और उसकी रिकॉर्डिंग सरकार को भेजने के आदेश का विरोध कर रहे थे.

दिल्ली में चुनाव था तो अमानतुल्ला खां का वीडियो भी मासूमियत से शेयर किया गया. संबित पात्रा ने लिखा कि अमानतुल्लाह खान कह रहे हैं कि इन जालिमों का खात्मा होगा हम शरिया बनेंगे. उन्होंने लोगों से पूछा कि सब अल्लाह ही तय करेंगे या आप भी कुछ तय करेंगे आप शरिया बनना चाते हैं या नहीं.

जब ध्यान से वीडियो सुना गया तो पता चला कि अमानतुल्ला खां शरिया नहीं आप ज़रिया बनेंगे कह रहे थे.

उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी को भी नहीं छोड़ा गया. उनकी दो तस्वीरें लगाई गईं. सलामी ले रहे थे

एक बुजुर्ग सब्जी वाले को भी बीजेपी ने नहीं छोड़ा . पार्टी के प्रवक्ता संबित पात्रा

वीडियो शेयर किया बाबा बोतल में पेशाब भरकर केलों पर छिड़क रहे हैं. फिर भी पुलिस अदब से पेश आ रही है. कोई आरती की थाली लाना आर्ती करनी है वरना कुछ और बोला तो इस्लामोफोबिया की कंप्लेंट कर देंगे गल्फ में.

जबकि हकीकत कुछ और थी. मामले की एफआईआर में साफ लिखा था कि बाबा ने नाली के किनारे  बैठकरक पूरी सभ्यता से पेशाब किया. फिर ठेले से लाकर नाली के उपर पानी से हाथ धोए और उसी पानी से केलों पर पानी छिडड़क दिय़ा.

यानी केस बिल्कुल अलग था. अपने ही प्रदेश की पुलिस से जांच करना जरूरी नहीं समझा क्योंकि नफरत की राजनीति करनी थी.

2 जनवरी 2020 को संबित पात्रा ने कुछ तस्वीरें शेयर की इन तस्वीरों में दिखाया गया था कि भगवान की तस्वीरों को कुछ लोग पैरों से कुचल रहे है और जला रहे हैं. ऑल्ट न्यूज ने जांच की तो पता चला कि तस्वीरें 2018 की है और मुसलमान हीं बल्कि अंबेडकर जिंदाबाद के नारे लगा रेह कुछ लोगों की आवाज भी वीडियो में सुनाई दे रही थे लेकिन संबित ने इसे ज़हरीला बना दिया.

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