इतिहास का सबसे घिनौना सैक्स रैकेट, सैकड़ों बार रेप के बाद 31 लड़कियों से सुसाइड को चुना

मुजफ्फरपुर बालिका गृह में यौनशोषण की शिकार बच्चियों ने जो आपबीती सुनाई है वो रोंगटे खड़े देने वाली है. सुनकर आपका भी खून खौल उठेगा कि कैसे सात साल की, दस साल की गर्ल्स इस तरह की शारीरिक और मानसिक पीड़ा से गुजरी होंगी. इनमें से कई बच्चियां मानसिक रूप से बीमार हो गई हैं, जिनका इलाज किया जा रहा है.

 

बच्चियों से हुए इस यौन आतंक के इस बड़े मामले में दुष्कर्म पीड़ित 34 नाबालिग बच्चियों में से छह गर्भवती हो गई थीं, जिनमें से तीन का गर्भपात भी कराया गया था. ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज बयान में दस वर्ष की एक पीड़िता ने कहा कि सूरज के ढलते ही बालिका गृह की बच्चियों के बीच दहशत फैल जाती थी. रातें आतंक की तरह बीतती थीं.

 

द टेलीग्राफ के मुताबिक मेडिकल जांच में साबित हुआ है कि गर्भवती हुई अधिकतर बच्चियों की उम्र सात से 14 वर्ष के बीच है. बालिका गृह की 42 बच्चियों की जांच में 34 के साथ दुष्कर्म की पुष्टि हुई है. स्पेशल पॉक्सो कोर्ट के सामने दिए गए बयान में बच्चियों ने बताया कि उन्हें बुरी तरह पीटा जाता था, भूखा रखा जाता था, ड्रग्स के इंजेक्शन दिए जाते थे और तकरीबन हर रात उनके साथ दुष्कर्म किया जाता था.

 

मुजफ्फरपुर के बालिका आश्रय गृह से मुक्त कराकर मोकामा के नजारत अस्पताल में लाई गईं सभी 31 गर्ल्स यौन शोषण से बचने के लिए आत्महत्या का प्रयास कर चुकी हैं. किसी ने शीशे से हाथ की नस काटने की कोशिश की थी, तो किसी ने ब्लेड से खुद पर वार किया. दरिंदों द्वारा बच्चियों को इस कदर मानसिक प्रताड़ना दी जाती थीं कि वे मजबूर होकर आरोपित ब्रजेश ठाकुर जैसा कहता था, वैसा करती थीं.

 

रक्सौल की एक लड़की ने बातचीत के दौरान बिहार राज्य महिला आयोग की टीम को बताया कि खाना खाते ही उन्हें गहरी नींद सताने लगती थी. कुछ मिनट बाद वे बेसुध हो जाती थीं. सुबह जब आंख खुलती थी तो शरीर में असहनीय पीड़ा होती थीं. जब कभी वह पहले से रह रहीं सहेलियों से शिकायत करतीं तो वे मुंह फेरकर चली जाती थीं. संचालक या प्रबंधन कोई मदद नहीं करता था.

 

जब यह रोज-रोज होने लगा तो छुटकारा पाने के लिए उसने कलाई की नस काटकर जान देने की ठान ली. उसने आत्मघाती कदम उठाया तो प्राथमिक उपचार कराने के बाद ब्रजेश ने उसकी खूब पिटाई की. जब उसने विरोध किया तो ब्रजेश किचन में चला गया. वहां से चाकू लाया और वार कर दिया. इससे उसकी हथेली कट गई.

 

इसके बाद सहेलियों ने बताया कि उसके साथ हर रोज क्या होता था? उसकी तरह ही दूसरी बच्चियों ने भी आत्महत्या करने की कोशिश की थी, पर सफल नहीं हो सकीं. जिन्होंने ज्यादा जिद की, वे लापता हो गईं. पूछने पर मालूम हुआ कि किसी ने उन्हें गोद ले लिया है, पर हकीकत कुछ और ही थी.

 

लड़की ने टीम को बताया कि पुलिस में शिकायत करने के बाद आरोपित अधिकारी रवि रोशन गृह में आया था. उसने बच्चियों से पूछा, किसने शिकायत की? जब कोई जवाब नहीं मिला तो मौत के घाट उतारने की धमकी दी थी.

जहां-तहां भूली-भटकी बच्चियों को थाना पुलिस पकड़कर लाती थी और उन्हें बालिका आश्रय गृह तक पहुंचाया जाता था. इस प्रक्रिया में हर चौराहे पर दलाल खड़ा होता था. ब्रजेश के पास दो तरह के रजिस्टर थे. इनमें एक ही लड़की के अलग-अलग नाम लिखे होते थे. एक रजिस्टर सरकारी दस्तावेज के रूप में इस्तेमाल होता था और दूसरे में उसी लड़की का नाम बदल दिया जाता था, जिसको देह व्यापार में झोंका जाता था.

 

16 वर्षीय एक लड़की ने बताया कि बेहोशी की दवा खाने से उसकी तबीयत बिगड़ती जा रही थी. जब सच्चाई का पता चला तो उसने दवा युक्त खाना खाने से इन्कार कर दिया. ब्रजेश ने उसे कार्यालय में बुलाकर खाना खाने के लिए बाध्य किया तो उसने कह दिया कि मुझे पता है, मेरे साथ बेहोशी में क्या होता है? आप मुझे मारें-पीटें नहीं, मैं हर काम करने के लिए तैयार हूं.

इसके बाद ब्रजेश ने उसे शाबाशी दी और कपड़े उतारने को कहा, फिर अपने मोबाइल से उसका अश्लील वीडियो बनाया और बताया कि इसे नेताओं और अधिकारियों को भेजेगा. जिसके साथ तुम अगली रात रहोगी, वह रिप्लाई करेगा.

 

इस मामले में बालिका गृह से सात महिलाएं गिरफ्तार की गई हैं. इन पर बच्चियों को प्रताड़ित करने से लेकर बाहरी लोगों के साथ शारीरिक संबंध बनाने के लिए मजबूर करने के जघन्य आरोप लगाए गए हैं. इन सभी सात महिलाओं को मुजफ्फरपुर पुलिस ने दो जून को गिरफ्तार किया था और पीड़ित बच्चियों के बयान के आधार पर पोक्सो एक्ट के तहत अगले ही दिन जेल भेज दिया गया है.

 

एक दूसरी पीड़िता ने बताया कि आमतौर पर दुष्कर्म से पहले उसे ड्रग्स दिया जाता था. होश में आने पर उसके प्राइवेट पार्ट्स में जख्म और दर्द का सिलसिला चलता था. कोर्ट के सामने सात साल की एक और पीड़िता ने बताया कि दुष्कर्म के दौरान उसके हाथ पैर बांध दिए जाते थे. विरोध करने पर तीन दिन तक भूखा रखा जाता था और बेरहमी से मारा जाता था.

 

ब्रजेश ठाकुर से माफी मांगने और उसके सामने सरेंडर करने पर ही खाना दिया जाता था. सात साल की ही एक लगभग गूंगी पीड़िता ने बताया कि उसे दो दिन भूखा रखा गया और वह हार गई. दस साल की एक पीड़िता ने कहा कि उसके प्राइवेट पार्ट्स पर जख्म के दाग बन गए हैं. उसके साथ लगातार प्रताड़ना और दुष्कर्म के बाद वह कई दिनों तक चलने-फिरने के काबिल नहीं रही.

बिहार राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष दिलमणि मिश्र ने कहा-

बच्चियों के साथ हैवानियत की सारी सीमाएं पार की गई हैं. अब वे सुरक्षित माहौल में हैं. बच्चियों के बयान के आधार पर आरोपितों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के लिए आयोग सरकार को जल्द रिपोर्ट सौंप देगा.

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