सर्वे : तीन साल में काफी कम हुआ केजरीवाल का वोटबैंक, लेकिन अब भी सबसे पहली पसंद

नई दिल्ली : 14 फरवरी को दिल्ली की केजरीवाल सरकार के तीन साल पूरे हो गए हैं. इस मौके पर उनके कामकाज की समीक्षा भी हो रही है और चीरफाड़ भी.इस बीच की सर्वे भई हुए हैं. नॉकिंग न्यूज़ ने आपको खबर दी थी कि किस तरह एवीपी न्यूज़ ने केजरीवाल के दोबारा जीतने की संभावना जताई है लेकिन एक और संस्था का सर्वे कुछ अलग है. संस्था सेंटर फॉर इलेक्शन मैनेजमेंट एण्ड कम्मुनिकेशन (सीइएमएसी) ने 5 से 10 फरवरी 2018 के बीच दिल्ली के लोगों के बीच सर्वे किया. सीधे आपको बताते हैं सर्वे की मुख्य बातें –

1. आम आदमी पार्टी के वोट बैंक में 2015 के मुकाबले 18 फीसदी की गिरावट आई है.

2. बीजेपी के वोट बैंक में 2015 के मुकाबले 6 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई है.

3. कांग्रेस के वोट बैंक में 4 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई है.

4. राजनीतिक दलों से लोगों की नाराजगी बढ़ी है. निर्दलीय और नोटा में वोट डालने वालों की तादात में 8 फीसदी का ईजाफा हुआ है.

5. भले ही केजरीवाल के वोट बैंक में भारी गिरावट आई हो लेकिन वो अभी भी मुख्यमंत्री पद के लिए 46 फीसदी लोगों की पसंद के साथ सबसे आगे हैं. आम आदमी पार्टी का कोई भी नेता केजरीवाल के आसपास भी नहीं है. मनीष सिसोदिया को महज 4 फीसदी और कुमार विश्वास को महज 3 फीसदी लोगों ने पसंद किया. वहीं 18 फीसदी के साथ दूसरे नंबर पर बीजेपी नेता डॉ हर्षवर्धन हैं, जो कि काफी चौंकानेवाला है. वो दिल्ली की राजनीति से दूर हैं फिर बीजेपी में उन्हें कोई टक्कर देने वाला नहीं है. बीजेपी के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी को महज 6 फीसदी लोगों ने पसंद किया. कांग्रेस की शीला दीक्षित भी अपनी पकड़ बनाए हुए हैं उन्हें 5 फीसदी लोग अभी भी दिल्ली की मुख्यमंत्री देखना चाहते हैं.

6. केजरीवाल को व्यक्तिगत तौर पर 29 फीसदी लोग बहुत अच्छा मानते हैं, 30 फीसदी अच्छा और 14 फीसदी संतोषप्रद मानते हैं. 27 फीसदी लोग नापसंद करते हैं.

7. हालांकि केजरीवाल को 2015 में वोट देने वाले लोगों में 18 फीसदी की गिरावट आई है, लेकिन तीन साल के कामकाज को 30 फीसदी लोगों ने बहुत अच्छा, 32 फीसदी लोगों ने अच्छा और 21 फीसदी लोगों ने संतोषजनक माना. 20 फीसदी लोग कामकाज से खुश नहीं हैं.

8. भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के मामले में भी लोग केजरीवाल की तारीफ करते दिखे. 30 फीसदी लोग मानते हैं कि केजरीवाल ने भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए बहुत अच्छा काम किया. 33 फीसदी अच्छा मानते हैं और 17 फीसदी संतोषजनक. 20 फीसदी लोगों का मानना है कि केजरीवाल सरकार ने भ्रष्टाचार रोकने के लिए कुछ नहीं किया.

9. गुप्ता बंधुओं को राज्यसभा भेजने के मामले में लोग काफी खफा हैं 56 फीसदी लोगों का कहना है कि पार्टी के पुराने लोगों को दरकिनार करके गुप्ता बंधुओं को राज्यसभा नहीं भेजना चाहिए था. वहीं 44 फीसदी लोग केजरीवाल के साथ हैं.

10. दिल्ली के लोगों की नजर में बेरोजगारी सबसे बड़ा मुद्दा है. 33 फीसदी लोग ऐसा मानते हैं. 27 फीसदी लोग भ्रष्टाचार को सबसे बड़ा मुद्दा मानते हैं. जबकि प्रदूषण को 13 फीसदी लोग सबसे बड़ा मुद्दा मानते हैं. अपराध को 9 फीसदी, ट्रैफिक को 9 फीसदी, विकास को 8 फीसदी और शिक्षा को महज एक फीसदी लोग की सबसे बड़ा मुद्दा मानते हैं.

11. दिल्ली में केजरीवाल सरकार बनने के बाद से तमाम मुद्दों पर दिल्ली सरकार और केंद्र के बीच टकारव आम बात हो गई. इस मुद्दे पर लोगों जो राय दी उसके मुताबिक टकराव के लिए 45 फीसदी केंद्र सरकार और 23 फीसदी केजरीवाल सरकार जिम्मेदार है, जबकि 32 फीसदी लोग दोनों को जिम्मेदार मानते हैं.

12. आंदोलन से राजनीति में आई आम आदमी पार्टी को दिल्ली के लोगों ने 2015 में प्रचण्ड बहुमत के साथ दिल्ली की कमान सौंपी थी. सत्ता के इस प्रयोग के बारे में तीन साल बाद 18 फीसदी लोग इसे बहुत अच्छा मानते हैं, 23 फीसदी लोग अच्छा और 30 फीसदी लोग संतोषजनक मानते हैं. जबकि 14 फीसदी इसे बुरा और 15 फीसदी बहुत बुरा बता रहे हैं.

सर्वे में 720 लोगों ने भाग लिया. दिल्ली के सभी इलाकों से रैण्डम सैम्पल लिए गए हैं. जिसमें 16 फीसदी पोस्ट ग्रेजुएट, 44 फीसदी ग्रेजुएट, 13 फीसदी 12वीं पास, 18 फीसदी 10वीं पास, 8 फीसदी साक्षर औऱ एक फीसदी अनपढ़ शामिल हैं.

सर्वे में शामिल लोगों में 50 फीसदी प्राइवेट जॉब, 26 फीसदी बिजनेस, 6 फीसदी सरकारी नौकरी, 14 फीसदी छात्र और 4 फीसदी बेरोजगार हैं.

रिपोर्ट- महेन्द्र सिंह (इंटरव्यू टाइम्स)

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