जो आडवाणी के साथ मोदी ने किया वो शरद यादव के साथ करना चाहते हैं नितीश, कामयाब होंगे ?

नई दिल्ली : देश जानता है कि प्रधानमंत्री मोदी ने बीजेपी को खड़ा करने में अपना जीवन देने वाले नेताओं का क्या हस्र किया. सब जानते हैं कि आडवाणी का क्या हुआ, सब को पता है कि मुरली मनोहर जोशी को कैसे मार्गदर्शन मंडल में डालकर उन्हें पार्टी की सक्रिय राजनीति से बाहर का मार्ग दर्शन कर दिया गया. अब जेडीयू में नितीश कुमार उसी रास्ते पर निकल पड़े हैं. नितीश ने मोदी से मुलाकात के बाद जो सबसे पहला बयान दिया उसका लब्बो लुवाब ये ही था कि घर में रहना है तो रहो बाहर जाना है तो बाहर जाओ लेकिन चलेगी बुजर्गवार और जेडीयू संस्थापक शरद यादव की नहीं. वो चाहें तो शोभा बढ़ाने वाली जगह पर रह सकते हैं.

उन्होंने कहा कि कुछ भी करने से पहले पार्टी के लोगों से जरूर पूछता हूं. ऐसे में शरद यादव को जो भी फैसला लेना है उसके लिए वह पूरी तरह से स्वतंत्र हैं. शरद पवार और पार्टी की मूल विचारधारा से जुड़े हुए लोगों की नाराज़गियों और एतराजों को दरकिनार करते हुए नितीश कुमार नें मोदी की सरकार में शामिल होने का भी प्लान बनाया है.

खबर है कि अमित शाह का सरकार में शामिल होने का न्यौता स्वीकार करने के बाद नितीश केन्द्र सरकार में दो या तीन अहम मंत्रालय लेकर पूरी तरह मोदी के हो जाना चाहते हैं.

जेडीयू अध्यक्ष और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शरद यादव पर बड़ी कार्रवाई करते हुए उन्हें राज्यसभा में पार्टी के नेता पद से हटा दिया . इसको लेकर जेडीयू की तरफ से उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू पत्र लिखा गया है. पार्टी ने शरद यादव की जगह आरसीपी सिंह को राज्यसभा में अपना नेता चुना है. शरद पर इस कार्रवाई से पहले अली अनवर को भी निलंबित किया जा चुका है. राज्यसभा में जेडीयू के कुल दस सांसद हैं.

बिहार की ग्यारह करोड़ जनता के साथ नीतीश को गद्दार बताने वाले शरद यादव को हो सकता है कि इस सम्मेलन में बाहर का रास्ता दिखाया जाए. जो भी हो आज की इस राजनीति में नितीश मोदी के रास्ते पर निकल पड़े हैं और घर के सारे बुजुर्गों को बाहर का रास्ता दिखाने की तैयारी है. आपको याद होगा कि जर्मनी में हिटलर ने बुजुर्गों और बीमारो को देश के लिए बोझ बताया था और उन्हें ठिकाने लगाने का इंतजाम किया था. भारत बुजुर्गों का सम्मान करने वाला देश है और बुजुर्गों के प्रति ये हिटलरी रवैया शायद लोग बर्दाश्त न कर सकें.