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नई दिल्ली. बड़ी-बड़ी बातो और नाकाम कोशिशों के बावजूद  महंगाई कम होने का नाम नहीं ले रही.अडानी विल्मर के बाज़ार में उतरने के कारण दैल को दाम बढ़े जिससे महंगाई की दर बेकाबू हुई. चीनी का योगदान भी कम नहीं रहा. जून में रिटेल महंगाई दर बढ़कर 5.77 फीसदी पर पहुंच गई है। यह पिछले 22 महीने के टॉप पर है। मई में रिटेल महंगाई दर 5.76 फीसदी थी। इस बार दालों के 26.5% और चीनी के 17% इन्फ्लेशन रेट ने महंगाई बढ़ा दी है।

– मंगलवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक, जून में सब्जियों की कीमतों पर कोई कंट्रोल नहीं दिखा और ये 14.47 फीसदी तक महंगी हुईं।

– मई में सब्जियों की महंगाई दर 10.77 फीसदी देखी गई थी। खाने-पीने की दूसरी चीजें भी महंगी हुईं।

– जून में फूड इनफ्लेशन 7.79 फीसदी रहा, जो मई में 7.47 फीसदी था।   

– खाने पीने की चीजों की महंगाई दर बढ़ाने में इस बार सब्जियों के अलावा दाल और चीनी भी जिम्मेदार रहे। 

– दाल के उत्पादों का इनफ्लेशन रेट जून 26.5 फीसदी रहा। चीनी और कनफेक्शनरी में इनफ्लेशन रेट करीब 17 फीसदी देखा गया। 

हाउसिंग इनफ्लेशन भी बढ़ी

– जून में हाउसिंग इनफ्लेशन में भी बढ़ोत्तरी हुई। मई के 5.35 फीसदी के मुकाबले जून में हाउसिंग इनफ्लेशन 5.46 फीसदी रहा। क्लोथ और फुटवियर इनफ्लेशन रेट 5.01 फीसदी रही।

– रूरल इनफ्लेशन में कुछ गिरावट आई है और यह जून में 6.2 फीसदी रहा। मई में रूरल इनफ्लेशन 6.4 फीसदी था।
– वहीं अर्बन इनफ्लेशन रेट मई के 4.89 फीसदी के मुकाबले जून में 5.26 फीसदी रहा।

आरबीआई की रिव्यू मीटिंग में क्या होगा

– जून में रिटेल महंगाई दर बढ़ने से अगस्त में होने वाली आरबीआई की अगली मॉनेटरी पॉलिसी को लेकर रिव्यू मीटिंग पर नजर होगी।

– जून की रिव्यू मीटिंग में आरबीआई चीफ रघुराम राजन ने बढ़ती इन्फ्लेशन के दबाव का हवाला देते हुए नीतिगत दरों में कोई बदलाव नहीं किया था। लेकिन, यह संकेत दिया था कि इस साल अगर मानसून बेहतर रहता है तो महंगाई दर नरम पड़ेगी, जिससे इंटरेस्ट रेट में कटौती संभव होगी।