पाकिस्तान की जीत का जश्न मनाने पर राजद्रोह का केस, ध्रुवीकरण की राजनीति का खेल

नई दिल्ली: भारत मेें आप भले ही इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया की टीम का खुल कर समर्थन कर लें या फिर तिब्बत और फिलीस्तीन के लिए नारे लगा लें. रूस और अमेरिका का राष्ट्रीय दिवस मनाएं लेकिन क्रिकेट में जीत पर पाकिस्तान की टीम को चीयर नहीं कर सकते. मध्यप्रदेश की हिंदूवादी सरकार ने चैंम्पियंस ट्रॉफ़ी के फ़ाइनल मैच के दौरान पाकिस्तान की जीत पर खुशियां मना रहे 15 लड़कों को गिरफ़्तार किया गया है. इन लड़कों के ख़िलाफ़ राजद्रोह का मामला दर्ज़ किया गया है.भले ही ये मुकदमा कोर्ट में टिके न टिके लेकिन ये पक्का है कि सांप्रदायिक राजनीति को इससे खाद ज़रूर मिल जाएगी.

पड़ोसियों ने शिकायत की थी कि इन लोगों ने ‘पटाखे फोड़े और पाकिस्तान के समर्थन’ में नारे लगाए. पुलिस के अनुसार, बुरहानपुर के मोहद गांव के 15 युवकों को पुलिस ने देशद्रोह के मामले में हिरासत में लिया है. इन पर धारा 120 (बी) और 124(ए) के तहत मामला दर्ज किया गया है.

इस मामले की जांच कर रहे अधिकारी आरके यादव ने बताया, “15 लोगों पर मामला दर्ज़ किया गया है और लोगों को गिरफ़्तार किया जा सकता है. सभी को कोर्ट में पेश किया गया और उन्हें जेल भेज दिया गया है.”

इसकी शिकायत सुभाष नाम के एक व्यक्ति ने की थी जिसके बाद गांव के दूसरे लोगों ने भी बताया कि यहां पर इस तरह का मामला सामने आया है.
ऐसा पहली बार नहीं हुआ है जब भारतीय मुसलमान पाकिस्तानी क्रिकेट टीम को सपोर्ट करने के लिए परेशानी में पड़े.

साल 2014 में उत्तर प्रदेश के एक विश्वविद्यालय में भारत प्रशासित कश्मीर के 66 स्टूडेंट्स को निकाल दिया गया और उन पर साम्प्रदायिक शांति बिगाड़ने का आरोप लगाया गया.

साल 2016 में भारत प्रशासित कश्मीर के एक विश्वविद्यालय में राज्य और बाहर के छात्रों में झड़प होने के बाद पुलिस को हस्तक्षेप करना पड़ा था.