संकट में फंसे सुल्तान


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सुप्रीम कोर्ट हिट एंड रन केस में सलमान खान की रिहाई फैसले के खिलाफ अपील पर सुनवाई को तैयार हो गया है। मुंबई सेशंस कोर्ट ने इस मामले में मई 2015 में एक्टर को 5 साल की सजा सुनाई थी। लेकिन बॉम्बे हाईकोर्ट ने पिछले साल दिसंबर में सलमान को बरी कर दिया था। महाराष्ट्र सरकार ने हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में पिटीशन दायर की थी।
सलमान ने दायर की है कैवियट
– बता दें इसी मामले में सलमान ने भी सुप्रीम कोर्ट में कैवियट दायर की है। उन्होंने हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देनी वाली महाराष्ट्र सरकार की पिटीशन के बाद यह कदम उठाया है।
– हादसे में मारे गए नूरुल्ला शेख की पत्नी बेगम हारून खान और उनके बेटे फिरोज शेख ने भी मुआवजे की मांग करती पिटीशन सुप्रीम कोर्ट में दायर की है।
– बता दें कि सलमान के खिलाफ राजस्थान में हिरण शिकार और आर्म्स एक्ट का केस भी चल रहा है।
क्या है मामला?
– 28 सितंबर, 2002 की आधी रात पार्टी कर घर लौट रहे सलमान खान की लैंड क्रूजर हिल रोड पर अमेरिकन एक्सप्रेस बेकरी में घुस गई थी।
– सलमान ने दूसरे दिन सुबह सरेंडर किया था। पुलिस स्टेशन से ही उनकी जमानत हो गई थी।
– अक्टूबर 2002 में सलमान पर आईपीसी की धारा 302-II (गैर इरादतन हत्या) लगाई गई।
– घटना में नूरुल्ला शेख की मौत हो गई थी। अब्दुल शेख, मुस्लिम शेख, मुन्नू खान और मोहम्मद कलीम घायल हो गए थे। ये सब बेकरी के बाहर फुटपाथ पर सो रहे थे।
– अब्दुगल शेख के परिवार ने कहा था कि उन्हें0 कोर्ट के फैसले से कोई मतलब नहीं है। उन्हें तो बस 10 लाख रुपए का मुआवजा मिल जाए।
– इस केस में बॉम्बे की सेशन्स कोर्ट ने सलमान को पांच साल की सजा सुनाई। बाद में बॉम्बे हाईकोर्ट ने सलमान की सजा पर रोक लगा दी।
जिन सबूतों ने सजा दिलाई,उन्हीं से बरी हुए
– 13 साल चले हिट एंड रन केस में बॉम्बे हाईकोर्ट ने सलमान खान को पिछले साल दिसंबर में बरी कर दिया।
– सेशंस कोर्ट ने मई 2014 में उन्हें दोषी मानकर 5 साल की सजा भी सुनाई थी। लेकिन वे 7 महीने में ही बरी हो गए।
– हाईकोर्ट ने कहा कि प्रॉसिक्यूशन कोई भी आरोप साबित नहीं कर पाया।
सबूत नंबर1 : सेशंस कोर्ट ने सलमान के बॉडीगार्ड और चश्मदीद रवींद्र पाटिल की गवाही को अहम माना।
लेकिन हाईकोर्ट ने कहा- वो बार-बार बयान बदलता रहा है। उसकी गवाही को तवज्जो नहीं दे सकते।
सबूत नंबर2 : सेशंस कोर्ट ने माना था कि पीड़ित नुरुल्लाह की मौत कार के नीचे कुचलने से ही हुई थी।
लेकिन हाईकोर्ट का मानना है कि पीएम रिपोर्ट से साबित नहीं होता है कि पीड़ित की मौत कुचलने से हुई।
सबूत नंबर3 : सेशंस कोर्ट ने होटल के बिल और स्टाफ की गवाही से माना था कि सलमान शराब पी रहे थे।
लेकिन हाईकोर्ट ने कहा-‘ट्रायल कोर्ट ने बिलों को स्वीकार करने में गलती की। जो बिल पेश किया गया, उसका पंचनामा नहीं कराया गया। लग रहा है कि बिल फर्जी है।
सबूत नंबर4 : सेशंस कोर्ट ने माना कि कार की स्पीड तेज थी। इससे टायर फटा और वह फुटपाथ पर चढ़ गई थी।
लेकिन हाईकोर्ट ने कहा-जांच अधिकारी ने रिपोर्ट में बताया कि कार सही हालत में थी।
सबूत नंबर5 : सेशंस कोर्ट ने ब्लड रिपोर्ट से माना कि सलमान घटना के वक्त ज्यादा शराब पीए हुए थे।
लेकिन बॉम्बे हाईकोर्ट ने पूरी रिपोर्ट पर ही सवाल खड़े किए और कहा कि ब्लड सैंपल पर नाम साफ तरीके से नहीं लिखे हुए थे। सैंपल की जांच भी देर से कराई गई थी।
हाई कोर्ट की 10 बड़ी टिप्पणियां, जो बनी सलमान की रिहाई की वजह…
1.प्रॉसिक्यूशन सलमान के खिलाफ सारे आरोप साबित नहीं कर सका। दोष इस तरह साबित होना चाहिए कि इस पर कोई शक न हो। जनता की भावना और मीडिया के बनाए माहौल में बहकर कोर्ट फैसला नहीं देता।

2.प्रॉसिक्यूशन ने कुछ अहम गवाहों के बयानात दर्ज नहीं किए। घायल गवाहों से जुड़े सबूतों में भी विरोधाभास है। इससे सलमान के इस केस में शामिल होने पर संदेह पैदा होता है।

3. इस मामले में जांच बहुत गलत तरीके से हुई। ऐसी खामियां छोड़ दी गईं, जिनसे कई बातें आरोपियों के फेवर में चली गईं।

4.इस कोर्ट की यह ड्यूटी है कि वह देखे कि अपराध संदेह से परे जाकर साबित होता हो।

5.निचली अदालत ने आरोपी को दोषी करार देते वक्त सबूतों का ठीक तरह से ध्यान नहीं रखा।

6.सुनवाई इंसाफ दिलाने के तय सिद्धांतों पर नहीं थी।

7.यह ऐसा केस नहीं है जिसमें प्रॉसिक्यूशन ने पूरी कामयाबी के साथ सारे आरोप साबित कर दिए हों।

8. सारे सबूत परिस्थितिजन्य थे, यानी उस वक्त के हालात से जुड़े थे।

9.शराब पीकर गाड़ी चलाने के आरोप में भी प्रॉसिक्यूशन कोई मजबूत सबूत नहीं पेश कर पाया।

10.लोअर कोर्ट ने रेन बार एंड रेस्टोरेंट के बिल को सबूत के तौर पर मंजूर करने के मामले में भी गलती की। उसका पंचनामा नहीं किया गया।