UPSC मेन्स रिजल्ट, 29 बच्चों को IAS बनाया इस संस्था ने

संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) ने सिविल सर्विस मेन्स एग्जाम का रिजल्ट गुरुवार को घोषित कर दिया. इस बार परीक्षा में 1,994 कैंडिडेट्स ने इंटरव्यू (पर्सनैलिटी टेस्ट) के लिए क्वॉलिफाई किया है. यहां एक बार फिर जक़ात फाउंडेशन के 29 युवाओं ने यूपीएससी की परीक्षा में अपना परचम लहराया है. अपनी मेहनत और ज़कात फाउंडेशन के सहयोग से 27 मुस्लिम और दो क्रिश्चियन युवा आईएएस और आईपीएस अफसर बनेंगे.

बता दें कि कैंडिडेट्स यूपीएससी की ऑफिशियल वेबसाइट upsconline.nic.in पर जाकर रिजल्ट देख सकते हैं. यह परीक्षा 28 सितंबर से 7 अक्टूबर 2018 के बीच 2 सेशन में आयोजित की गई थी.

ज़कात फाउंडेशन के अध्यक्ष जफर महमूद का कहना है कि 81 मुस्लिम और क्रिश्चियन लड़के-लड़कियों ने परीक्षा दी थी. अभी तक 29 लड़के-लड़कियों ने परीक्षा पास करने की सूचना फाउंडेशन के ऑफिस में दी है. 29 में से 3 लड़कियां भी हैं.  ये संख्या और बढ़ सकती है.

अप्रैल 2018 में जारी हुए यूपीएससी के रिजल्ट में 26 मुस्लिम युवाओं ने ज़कात फाउंडेशन की मदद से परीक्षा पास की थी. आपको जानकर हैरानी होगी कि जक़ात फाउंडेशन जक़ात (दान) के पैसों से चलता है.

बता दें कि जक़ात की मदद पाने के लिए पहले सिविल सर्विस प्री परीक्षा स्तर की परीक्षा पास करनी होती है. उसके बाद इंटरव्यू भी पास करना होता है.

जक़ात फाउंडेशन के अध्यक्ष डॉक्टर सैय्यद जफर बताते हैं, ‘आमतौर पर अप्रैल के आखिरी रविवार को हम राष्ट्रीय स्तर पर लिखित परीक्षा कराते हैं. ये परीक्षा दिल्ली में होती है. तीन सेंटर श्रीनगर, मल्लापुरम (केरल) और कोलकाता में हम खुद जाकर परीक्षा लेते हैं.’

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उन्होंने बताया, ‘लिखित परीक्षा का पेपर सिविल सर्विस की प्री परीक्षा में आने वाले सवालों के स्तर का होता है. परीक्षा पास करने वाले उम्मीदवारों का सिविल सर्विस के रिटायर्ड और सर्विस कर रहे अधिकारियों का पैनल इंटरव्यू लेता है. लिखित परीक्षा के लिए नवंबर में ऑनलाइन आवेदन लिए जाते हैं.’

लड़कियों के लिए सीट की नहीं है कोई सीमा

डॉ. जफर का कहना है कि एक बैच के लिए हम 50 लड़कों का चुनाव करते हैं. लेकिन लड़कियों के लिए सीट की कोई सीमा नहीं है. लिखित परीक्षा और इंटरव्यू पास करने के बाद चाहें जितनी लड़कियां कोचिंग के लिए आ सकती हैं. हालांकि, अभी तक एक बैच में 10 से 12 लड़कियां आती हैं, जिसमें से तीन से पांच लड़कियां कामयाब हो रही हैं.

जक़ात फाउंडेशन इस तरह कराती है परीक्षा की तैयारी

डॉ. जफर का कहना है कि दिल्ली में हमारे पास चार हॉस्टल हैं. सबसे पहले हम चुने गए लड़के-लड़कियों को दिल्ली की कुछ अलग-अलग कोचिंग में दाखिला दिलाते हैं. इसका खर्च जक़ात फाउंडेशन ही उठाती है. कोचिंग में पढ़ाई करने के बाद शुरू होती है जक़ात फाउंडेशन की पढ़ाई.

– हॉस्टल में लाइब्रेरी और रीडिंग रूम बनाए गए हैं.

– ग्रुप डिस्कशन के लिए एक हॉल बनाया गया है.

– राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर पैनल के साथ चर्चा कराई जाती है.

– जीएसटी पर चर्चा कराने के लिए रेवेन्यू सर्विस के रिटायर्ड और सर्विंग अधिकारियों को बुलाया गया था.

– देश के अलग-अलग हिस्सों से जमा कर समय-समय पर स्टाडी मेटेरियल दिया जाता है.

– व्हाट्सऐप ग्रुप पर देश और विदेश में हर रोज घटने वाली घटनाओं की जानकारी दी जाती है.

– प्री और मुख्य परीक्षा पास करने के बाद इंटरव्यू की तैयारी कराई जाती है.

– जक़ात फाउंडेशन का पैनल एक उम्मीदवार का तीन बार इंटरव्यू लेते हैं.

– पैनल में सिविल सर्विस के रिटायर्ड और सर्विंग अधिकारी शामिल हैं.

– सिविल सर्विस की तरह से फुल ड्रेस में इंटरव्यू की रिहर्सल कराई जाती है.

– अधिकारियों का पैनल एक दिन में पांच उम्मीदवारों का इंटरव्यू लेता है.

– ये ही पैनल उसके बाद उम्मीदवारों को उनकी खामियां बताते हुए सुधार के लिए टिप्स देते हैं.

-डॉ. जफर बताते हैं कि हॉस्टल में उम्मीदवार सिर्फ पढ़ते हैं, खाना खाते हैं और नमाज अदा हैं.

जक़ात फाउंडेशन इस तरह जुटाती है आर्थिक मदद

जक़ात फाउंडेशन एक एनजीओ है. ये पूरी तरह से दूसरे लोगों द्वारा की गई मदद से ही चलती है. मदद के रूप में जक़ात फाउंडेशन को नाम के अनुसार जक़ात, सदका, इमदाद और चैरेटी के रूप में पैसा मिलता है. इसी का इस्तेमाल जक़ात फाउंडेशन सर सैय्यद कोचिंग एंड गाइडेंस सेंटर फॉर सिविल सर्विस को चलाने में करती है.

कैसे पड़ी जक़ात फाउंडेशन की नींव

डॉ. जफर का कहना है कि वो जब एएमयू में पढ़ते थे वो खुद और उनके कई दोस्त सिविल सर्विस की तैयारी करना चाहते थे. लेकिन मदद करने वाला कोई कोचिंग सेंटर नहीं था. दूसरा ये कि मैं खुद भी सच्चर कमेटी में रहा था. रिपोर्ट में जो हाल मैंने देखा तो उसके बाद लगा कि वाकई सिविल सर्विस की तैयारी कराने के लिए इस तरह का कोई सेंटर होना जरूर चाहिए.

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