दंगों का एक्सपर्ट नेता होगा 2019 चुनाव में यूपी बीजेपी का इंचार्ज ?

2019 के चुनाव में इस बार बीजेपी जमकर हिंदुत्व कार्ड खेला जा सकता है. आलोचकों का कहना है कि बीजेपी लगातार सांप्रदायिक विभाजन के रास्ते पर चल रही है. हल ही में पार्क में नमाज पढ़ने पर रोक लगाने के बाद अब पार्टी ने यूपी में दोगों के कथित एक्सपर्ट को उतारा है. यूपी बीजेपी का इंचार्ज जिस शख्स को बनाया गया है वो गुजरात दंगों के वक्त वहां का गृहमंत्री है. मोदी के गृहमंत्री रहे इस शख्स का नाम गोवर्धन झडापिया है.

राजनीतिक जानकारों के मुताबिक, 2002 में गोधरा के बाद हुए दंगों के वक्त राज्य के गृहमंत्री थे. यूपी के अन्य प्रभारी के तौर पर बीजेपी उपाध्यक्ष दुष्यंत गौतम और मध्य प्रदेश के नेता नरोत्तम मिश्रा को भी जिम्मेदारी सौंपी गई है. 17 राज्यों के चुनाव प्रभारियों की बुधवार को घोषित सूची में इन नेताओं के नाम शामिल हैं.

झडापिया को चुना जाना कोई खास अचरज की बात भी नहीं. दरअसल, हाल के वक्त में राम मंदिर निर्माण को लेकर बीजेपी नेताओं ने जिस तरह के बयान दिए हैं, उससे यह साफ है कि जल्द होने वाले चुनाव प्रचार के दौरान राम मंदिर मुद्दा बीजेपी के चुनाव प्रचार के केंद्र में रहेगा. हालांकि, झडापिया के मोदी से कोई खास मधुर रिश्ते नहीं रहे.

वह मोदी के खिलाफ विद्रोह का बिगुल भी फूंक चुके हैं. 2009 लोकसभा चुनाव के वक्त उन्होंने ‘महा गुजरात जनता पार्टी’ बनाई थी. हालांकि, झडापिया बीजेपी के राजेंद्र सिंह से 6000 वोटों से हार गए थे. इसके बाद झडापिया ने सरदार पटेल उत्कर्ष समिति बनाकर पाटीदारों को लामबंद करने की कोशिश की. कुछ वक्त बाद 2014 आम चुनाव से पहले वह बीजपी में वापस लौट आए. उस वक्त नरेंद्र मोदी को बीजेपी की ओर से पीएम कैंडिडेट घोषित किया गया था.

झडापिया और बाकी नेताओं को भले ही जिम्मेदारी दी गई हो, लेकिन सूत्रों का यह भी कहना है कि 2014 आम चुनाव में बीजेपी की जीत की इबारत लिखने वाले पार्टी अध्यक्ष अमित शाह इस बार यूपी से जुड़ी हर चुनावी तैयारी पर पैनी नजर रखेंगे. झडापिया को यूपी की कमान देने का फैसला बीजेपी ने ऐसे वक्त में लिया है, जब सीनियर बीजेपी नेता ओम माथुर के राज्य पार्टी ईकाई से मतभेद की खबरें सामने आईं. वह हाल ही में मेरठ में चुनावी रणनीति तैयार करने को लेकर हुई एक अहम बैठक में शामिल नहीं हुए थे.

जहां तक दुष्यंत गौतम का सवाल है, वह बीजेपी के अनुसूचित जाति मोर्चा से हैं. माना जा रहा है कि उन्हें सपा और बसपा गठबंधन से होने वाले संभावित खतरे से निपटने और पार्टी के लिए दलित वोट जुटाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है. गौतम दलितों के उसी जाटव समुदाय से हैं, जिससे बसपा प्रमुख मायावती भी ताल्लुक रखती हैं.

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