गडकरी ने एक ही दिन में किए दो सेल्फ गोल, पूछा कहां हैं नौकरियां, आरक्षण सिर्फ गरीबों को


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रोज़गार के मसले पर पहले ही पकौड़ों के हमलवे झेल रही बीजेपी पर अब नितिन गडकरी ने एक और सेल्फ गोल कर दिया है. नितिन गडकरी ने कहा कि नौकरियां हैं कहां कि आरक्षण दें, उन्होंने यह भी कहा था कि सरकारी नौकरियों की भर्ती पर रोक लगी हुई है. बैंकों की नौकरियां पहले ही आईटी यानी डिजीटल इंडिया खा चुका है.

एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि यदि आरक्षण दे दिया जाता है तो भी फायदा नहीं है, क्योंकि नौकरियां नहीं हैं. बैंक में आईटी के कारण नौकरियां कम हुई हैं.  सरकारी भर्ती रुकी हुई हैं.  नौकरियां हैं कहां ?

इतना ही नहीं गडकरी ने आरक्षण के मामले पर भी बयान देकर खुद की ही सरकार को कठघरे में खड़ा कर दिया.

उन्होंने कहा था एक सोच कहती है कि गरीब- गरीब होता है, उसकी कोई जाति, पंथ या भाषा नहीं होती.  उसका कोई भी धर्म हो, मुस्लिम, हिंदू या मराठा सभी समुदायों में एक धड़ा है जिसके पास पहनने के लिए कपड़े नहीं है, खाने के लिए भोजन नहीं है.

कल ही बयान के बाद गडकरी ने इस पर सफाई भी दी थी उन्होंने ट्वीट कर लिखा कि मुझे कुछ खबरें देखने को मिलीं जिसमें मेरे बयान को गलत तरीके से पेश किया गया. लेकिन मैं साफ करना चाहता हूं कि आरक्षण में बदलाव को लेकर सरकार की कोई योजना नहीं है.

पिछले कुछ दिनों से महाराष्ट्र में 16 प्रतिशत आरक्षण की मांग को लेकर मराठा समुदायों का पुणे, नासिक,औरंगाबाद में आंदोलन जारी है. इस आंदोलन के आवेश में आकर कई युवाओं ने जहां आत्महत्या कर ली है वहीं हिंसा की खबरे भी हैं.

नितिन गडकरी ने आर्थिक आधार पर आरक्षण की तरफ इशारा करते हुए कहा कि एक ‘सोच’ है जो चाहती है कि नीति निर्माता हर समुदाय के गरीबों पर विचार करें.

अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी गडकरी के बयान को सीधा कैच कर लिया है. राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा है कि गडकरी जी ने बिलकुल सही सवाल किया है. यही हर भारतीय सरकार से पूछ रहा है कि आखिर नौकरियां कहा हैं?

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