नोटबंदी पर सुप्रीम कोर्ट को फटकार, पुराने नोट जमा क्यों नहीं किए?


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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र सरकार को जबरदस्त फटकार लगाई है. कोर्ट ने कहा है कि पुराने नोट बदलने के  नाम पर लोगों से बेईमानी क्यों की गई.

अदालत में अपील की गई है कि पहले सरकार ने रिजर्व बैंक में पुराने नोट जमा करा ने का विकल्प दिया लेकिन बाद में अचानक नियम बदलकर कहा कि 30 दिसंबर को ही इस पर रोक लग चुकी है और अब सिर्फ एनआरआई ही नोट बदल सकेंगे. इसके साथ ही सरकार ने पुराने नोट रखने पर सजा का एलान भी कर दिया.

अब सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि पुराने नोट बदलने का मौका सरकार क्यों नहीं देना चाहती. अब सरकार से अदालत ने इस मामले पर जवाब मांगा है. कोर्ट ने दो हफ्ते में केंद्र और रिजर्व बैंक से इस पर जवाब मांगा है.

केन्द्र सरकार ने 8 नवंबर 2016 को नोटबंदी की घोषणा के वक्त 30 दिसंबर 2016 तक प्रतिबंधित की गई करेंसी को बैंक में जमा कराने की डेडलाइन तय की थी. जिसके बाद रिजर्व बैंक ने कहा था कि पुरानी करेंसी को 31 मार्च तक रिजर्व बैंक में जमा किया जा सकेगा. हालांकि उसने रिजर्व बैंक में जमा कराने वालों को यह वजह बताने की शर्त रख दी थी कि क्यों उक्त करेंसी को 30 दिसंबर 2016 की डेडलाइन तक नहीं जमा कराया गया.

गौरतलब है कि जस्टिस डी वाई चंद्रचूड और एस के कौल की बेंच ने याचिकाकर्ता की दलील की रिजर्व बैंक ने अपने आखिरी नोटिफिकेशन में सिर्फ उन लोगों को 31 मार्च 2017 तक पुरानी करेंसी को जमा करने की इजाजत दी जो किसी वजह से नोटबंदी के दौरान देश से बाहर मौजूद थे. इस आधार पर याचिकाकर्ता ने इसे रिजर्व बैंक और मोदी सरकार द्वारा वादाखिलाफी करने का दावा किया है.

आपको बता दें कि नोटबंदी के ऐलान के वक्त 15.44 लाख करोड़ रुपये की प्रतिबंधित करेंसी सर्कुलेशन में थी जिसमें 8.58 लाख करोड़ रुपये की 500 की नोट और 6.86 लाख करोड़ की 1000 रुपये की करेंसी थी.

नोटबंदी से लोगों को सबसे ज्याादा परेशानी पुराने नोटों को बदलने की थी. जब तक पुराने नोट बदले गए, बैंकों के सामने लंबी कतारें, देर रात तक भीड़, सुबह लंबी लाइनें देखी जा रही थीं. ना जाने कितने ही लोग ऐसे थे, जो लंबी लाइनों के कारण बैंकों तक गए नहीं. अगर आप उनमें से एक हैं और आपके पास 500 या 1,000 के पुराने नोट अब भी हैं, तो आपके लिए अच्छीर खबर है.

दरअसल, 30 दिसंबर से पहले नोट जमा नहीं कराने के मामले में दर्जनभर से अधिक याचिकाएं कोर्ट के सामने आई हैं. एक याचिका में तो याचिकाकर्ता ने कहा कि वह अपनी 66.80 लाख रुपए की रकम बैंक में केवाईसी नहीं होने से जमा नहीं करा सका है. इसलिए कोर्ट अब इस आशय में लोगों के हित को ध्यान में रखते हुए फैसला ले सकता है.