सुप्रीम कोर्ट ने बताया कि देश की प्राथमिकता क्या होनी चाहिए, एक ऑर्डर से आंखें खोल दीं


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नेता भले ही राजनीति में देश की प्राथमिकता भूल जाएं लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया कि देश की प्राथमिकताओं में मंदिर बहुत नीचे आता है. अयोध्या में जमीन के विवाद पर आज से सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई को सिर्फ सुप्रीम कोर्ट ने चार मिनट दिए. इसके बाद तारीख देकर कहा कि अब ये जनवरी में ही तय होगा कि इस मामले की सुनवाई कब होगी. इस मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच कर रही थी.

बेंच में चीफ जस्टिस के अलावा जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस केएम जोसेफ शामिल थे. चीफ जस्टिस ने कहा कि अब जनवरी में उचित बेंच ही सुनवाई की तारीख तय करेगी. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से सरकार के ऊपर हिंदूवादी संगठन राम मंदिर निर्माण के लिए अध्यादेश लाने का दबाव बनाने लगे हैं. अब ये भी बड़ा सवाल है कि अध्यादेश क्या होगा. कोई कानून ही तो बनाएंगे. और वो कानून सब पर लागू होगा. एक मंदिर की ज़मीन किसी को दे देना का कानून तो बन नहीं सकता. अगर कानून बनता है तो सुप्रीम कोर्ट उसे रद्द कर देगा. संविधान के विरुद्ध तो अध्यादेश भी नहीं आ सकता.

हालांकि इस दौरान महाधिवक्ता तुषार मेहता और मामले से जुड़े अन्य पक्षकारों ने इस मामले की जल्द सुनवाई की मांग की. लेकिन चीफ जस्टिस रंजन गोगाई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि अब जनवरी में उचित बेंच ही तय करेगी कि इस मामले की सुनवाई कब से हो. हालांकि ये तय नहीं है कि जनवरी में 70 साल पुराने इस मामले की सुनवाई करने वाली उचित बेंच में चीफ जस्टिस गोगोई होंगे भी या नहीं.

जब उत्तर प्रदेश सरकार ने चीफ जस्टिस रंजन गोगोई से मामले में जल्द सुनवाई की अपील की. यूपी सरकार के वकील ने कहा कि ये 100 साल पुराना विवाद है. इसे प्राथमिकता के आधार पर निपटाया जाना चाहिए. इस पर चीफ जस्टिस ने कहा,”हमारी अपनी प्राथमिकताएं हैं.”

दरअसल, आज होने वाली सुनवाई में चीफ जस्टिस रंजन गोगाई की अध्यक्षता वाली बेंच को ये तय करना था कि इस मामले की सुनवाई कब से शुरू की जाए और इस मामले की सुनवाई रोज होनी चाहिए या नहीं.

वहीं एआईएमआईएम के प्रमुख सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने समाचार एजेंसी एएनआई से कहा,” वह राम मंदिर पर अध्यादेश क्यों नहीं लाते हैं? उन्हें लाने तो दीजिए. हर बार वे हमें डराते की कोशिश करते रहते हैं कि वे इस पर अध्यादेश ले आएंगे. भाजपा, आरएसएस और वीएचपी का हर नेता यही बात कहता है. आप लाइए अध्यादेश. आप सत्ता में हैं. मैं आपको चुनौती देता हूं कि आप करके दिखाइए. हम भी देखेंगे.” बता दें कि सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने ये बातें सुप्रीम कोर्ट के द्वारा आज विवादित भूमि मामले की सुनवाई जनवरी तक टालने के फैसले के बाद कही.

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