आरएसएस पहली बार देगी इफ्तार पार्टी, मुस्लिम देशों से मेहमान आएंगे

नई दिल्ली : आपको याद होगा कि इफ्तार पार्टी का संघ समर्थक विरोध किया करते थे. पीएम मोदी और योगी इफ्तार में हिस्सा नहीं लेते थे और संघ इसे तुष्टिकरण का हथियार बताता था. अब आरएसएस इतिहास में पहली बार इफ्तार की तरफ बढ़ रही है. इस बार आरएसएस से जुड़े मुस्लिम राष्ट्री य मंच ने देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में पहली बार इफ्तार देने की घोषणा की है. मंच की ओर से 4 जून को मुंबई में इफ्तार का आयोजन किया जाएगा. इसमें मुस्लिम बहुल देशों के राजनयिकों के अलावा मुस्लिम समुदाय के गणमान्यए लोगों को भी बुलाया जाएगा.

‘मुंबई मिरर’ के अनुसार, आरएसएस से जुड़े संगठन की ओर से सहयाद्री गेस्टन हाउस में इसका आयोजन किया जाएगा. मुस्लिम राष्ट्री य मंच के राष्ट्री य संयोजक विराग पचपोरे ने बताया कि इफ्तार में तकरीबन 30 देशों के महावाणिज्ये दूत के शिरक्त करने की उम्मीेद है. उनके मुताबिक, इस पार्टी में मुस्लिम समुदाय के 200 प्रतिष्ठित लोगों के अलावा अन्यद समुदायों के भी तकरीबन 100 प्रतिनिधि शामिल होंगे. बता दें कि आरएसएस ने मुस्लिम समुदाय तक अपनी पहुंच बनाने के लिए वर्ष 2015 में ऐसे आयोजनों की शुरुआत की थी.

प्रधानमंत्री आवास में ऐसी पार्टियों आयोजित न करने के पीएम नरेंद्र मोदी के फैसले के ठीक बाद यह कदम उठाया गया था. हालांकि, अब तक मुस्लिम समुदाय से जुड़े आरएसएस के ऐसे आयोजन केवल उत्तर भारत तक ही सीमित थे.

मुंबई में इफ्तार आयोजित करने के पीछे आरएसएस का मकसद देश के पश्चिमी और दक्षिणी हिस्सों के मुस्लिम समुदाय तक अपनी पहुंच बनाना माना जा रहा है. पचपोरे ने बताया कि मुंबई भारत की आर्थिक राजधानी है और यहां बहुत से देशों के वाणिज्यिक दूतावास हैं. मुंबई में बहुत से मुस्लिम कारोबारी रहते हैं, जिन्होंने देश की तरक्की में योगदान दिया है. साथ ही फिल्मे और मनोरंजन जगत में सक्रि‍य मुस्लिम समुदाय से जुड़ी कई हस्तियां भी यहां रहती हैं.

उनके मुताबिक, इफ्तार के माध्यमम से संघ ऐसे सभी लोगों से बातचीत और संवाद करना चाहता है. उन्हों्ने बताया कि इफ्तार के आयोजन का मकसद अल्पसंख्यक समाज के बीच आरएसएस के बारे में फैलाई गई भ्रांतियों को खत्म करना है. उन्होंने कहा, ‘आरएसएस किसी समुदाय के खिलाफ नहीं है. हकीकत तो यह है कि आरएसएस देश के सभी समुदायों के बीच शांति, सद्भाव और भाईचारे की भावना को बढ़ाना चाहता है.’ वहीं, विशेषज्ञों का मानन है कि आरएसएस इस आयोजन के जरिये यह दिखाना चाहता है कि वह सभी समुदायों के साथ समान व्यवहार करता है. संघ खास तौर पर मुस्लिमों के खिलाफ नहीं है.

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