अमरनाथ हमला : क्या सरकार ज़िम्मेदार नहीं ?

निहत्थे अमरनाथ यात्रियों की निर्मम और कायराना हत्या से हम स्तब्ध हैं , इसकी ज़िम्मेदारी किसी भी आतंकी संगठन ने नही ली है लेकिन क्या सरकार इसकी जिम्मेदारी से बच सकती है.

रिज़वान अहमद सिद्दीकी,
प्रधान संपादक, न्यूज़ वर्ल्ड चैनल

सरकार के पास विश्वनीय ख़ुफ़िया सूचनाएं थी आतंकवादी हमला हो सकता है , सूत्रों की माने तो सूचना यहाँ तक थी कि अवैध रूप से यात्रा में सम्मिलित यात्री वाहन इनके निशाने पर हो सकते हैं और हुआ भी वही पांच महिलाओं सहित सात लोगों को जान गंवानी पड़ी.

आतंकी बुरहान वानी की एक दिन पहले दहशतगर्द और उनके समर्थकों ने बरसी मनाई थी , पाकिस्तान से भी इस प्रकार की ख़बरें आ रहीं थी. इसके मद्देनज़र एहतियातन एक दिन आमरनाथ यात्रा भी स्थगित की गई फिर भी सुरक्षा में इतनी गम्भीर लापरवाही कई सवालों को जन्म देती है.

गुजरात से आई एक अनरजिस्टर्ड बस कैसे अंधेरे में उस रास्ते मे चल दी जहाँ यह हादसा हुआ , सघन सुरक्षा व्यावस्था के बीच अवैध वाहन कैसे आसानी से आगे बढ़ गया यह बड़ा सवाल है. हादसे की ख़बर मिलते ही स्थानीय लोग राहत कार्य मे जुट गये और अस्पताल में भी इन्ही कश्मीरी मुसलमानों ने अपने इंसानी फ़र्ज़ निभाये तो उनकी सराहना भी हुई लेकिन सवाल यही है कि फिर वो पत्थर फेंकने वाले कौन हैं.

यह कश्मीरियत और कश्मीरियों के रोज़गार दोनो पर करारी चोट है , पर्यटन के सीज़न में ऐसे हादसे यहां के व्यवसाय को ठप्प कर सकते हैं. आतंक और अलगाववाद के शिकंजे में छटपटा रहे कश्मीर के लिये यह हमला बड़ी चुनौती है.

जानकार मानते हैं यह हमला किसी विदेशी आतंकी संगठन की कारस्तानी है. चाकचौबंद सुरक्षा को तोड़ने में कामयाब आतंकी कई मोर्चे पर देश को रणनीतिक चोट पहुंचाने की कोशिश करते हैं. एक तरफ़ सुरक्षा व्यावस्था पर प्रश्नचिन्ह लगता है तो दूसरी तरफ सुरक्षा कर्मियों का मनोबल प्रभावित होता है. बहुसंख्यक वर्ग की धार्मिक भावनाओं को चोट पहुंचाने का प्रयास कर आतंकी पूरे देश मे साम्प्रदायिकता का ज़हर घोलने का प्रयास कर रहे हैं. ऐसे में अल्पसंख्यकों के प्रति पूरे देश मे आक्रोश को हवा देने के प्रयास होते हैं , जानकर मानते हैं यह भी आतंकियों की रणनीति का हिस्सा है , जिसमे अनजाने में देश का एक वर्ग सक्रिय हो जाता है.

प्रधानमंत्री के अमेरिका और इज़राइल दौरे के बाद हुये आतंकी हमले से सरकार से कई मोर्चे पर जवाब मांगा जा सकता है. एक तरफ़ अमेरिका और जापान के साथ समुद्र में युद्घ अभ्यास वहीं दूसरी ओर चीन की चुनौती. आतंकी सुरक्षा के साथ देश की कौमी एकता को भी चोट पहुंचाने की भी लगातार फ़िराक़ में हैं क्या हम यह समझ पा रहे हैं , सवाल बहुतेरे हैं.