NDTV पर बैन के खिलाफ रवीश का सबसे अनूठा शो, बेहद तीखा व्यंग्य, मोदी पर मूक हमला


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एनडीटीवी अलग था, अलग है, और अलग ही रहेगा. इस बार रवीश कुमार ने जो किया है वो उसके अलग होने की एक और गवाही है. चैनल के पत्रकार रवीश कुमार ने शुक्रवार (5 नवंबर) को अपने प्राइम टाइम में इस बार कुछ अलग किया। उन्होंने दो मूक कलाकारों को बुलाकार मूक अभिनय करवाया। पूरे शो में रवीश ही बोलते हैं और दोनों मूक कलाकार अपने मूक अभिनय का प्रदर्शन करते रहते हैं। कार्यक्रम की शुरुआत में रवीश दिल्ली में बढ़ रहे प्रदूषण का जिक्र करते हैं। उसके बाद वह बात को घुमा-फिराकर उनके चैनल पर लगे बैन पर ले आते हैं।

प्राइम टाइम की शुरुआत रवीश बोलते हैं, ‘ “जब हम सवाल नहीं पूछ पाएंगे, तो क्या करेंगेकहते हैं। दिल्ली में सरकारी स्कूलों को बंद करने का फैसला किया गया है। गुड़गांव के भी कुछ स्कूलों को बंद करने का फैसला किया गया है। हवा ही कुछ ऐसी है कि अब जाने क्या क्या बंद करने का फैसला किया जाएगा। हम जागरूक हैं। हम जानते भी हैं। आज बच्चा बच्चा पीएम के साथ साथ पीएम 2.5 के बारे में जानने लगा है। मगर हो क्या रहा है। इस सवाल को ऐसे भी पूछिये कि हो क्या सकता है।

अभी अभी तो रिपोर्ट आई थी कि कार्बन का भाई डाई आक्साईड का हौसला इतना बढ़ गया है कि अब वो कभी पीछे नहीं हटेगा। दिल्ली की हवा आने वाले साल में खराब नहीं होगी बल्कि हो चुकी है। अब जो हो रहा है वो ये कि ये हवा पहले से ज्यादा खराब होती जा रही है। दरअसल जवाब तो तब मिलेगा जब सवाल पूछा जाएगा, सवाल तो तब पूछा जाएगा जब नोटिस लिया जाएगा, नोटिस दिया नहीं जाएगा।

इसके बाद रवीश ने नचिकेता की कहानी का जिक्र किया जिसके पिता उसे ज्यादा सवाल पूछने की वजह से यमराज को दान कर देते हैं। शो के अंत में रवीश ने कहा, ‘जीना यहां, मरना यहां, इसके सिवा जाना कहा

गौरतलब है कि सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा गठित एक अंतर-मंत्रालय समिति की सिफारिश के बाद गुरुवार को एनडीटीवी इंडिया न्यूज चैनल को आदेश दिया गया कि वह एक दिन (9 नवंबर) के लिए प्रसारण रोके। समिति ने पठानकोट वायुसेना अड्डे पर इस साल जनवरी में हुए आतंकी हमले की कवरेज के संदर्भ में चैनल पर कार्रवाई की सिफारिश की थी। इसपर एनडीटीवी इंडिया ने अपने बयान में कहा, ‘सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय का आदेश प्राप्‍त हुआ है। बेहद आश्चर्य की बात है कि NDTV को इस तरीके से चुना गया। सभी समाचार चैनलों और अखबारों की कवरेज एक जैसी ही थी। वास्‍तविकता में NDTV की कवरेज विशेष रूप से संतुलित थी। आपातकाल के काले दिनों के बाद जब प्रेस को बेड़ियों से जकड़ दिया गया था, उसके बाद से NDTV पर इस तरह की कार्रवाई अपने आप में असाधारण घटना है।