पर्यटन पर हिंदी की अनूठी पत्रिका को सम्मान, विजय गोयल बोले ये कठिन काम है

नई दिल्ली : केन्द्रीय मंत्री विजय गोयल ने कहा कि पत्रिकाएँ निकालना आसान नहीं जितना लोग समझते है, मै ने भी अपने छात्र जीवन मे दो बार मासिक पत्रिका निकालने का प्रयास किया, लेकिन एक अंक के बाद दूसरा अंक नहीं निकाल सका.  लेकिन आज देख रहा हूँ कि पर्यटन पर हिन्दी मै ‘प्रणाम पर्यटन’ जैसी पत्रिका पिछले एक साल से निरंतर प्रकाशित हो रही है,यह एक अनुकरणीय कार्य है.  यह बात मै इस लिए कह रहा हूँ ,क्योंकि मेरी भी रुचि पर्यटन में रही है

 

उन्होंने ‘प्रणाम पर्यटन’ के संपादक /प्रकाशक की सराहना की.  गोयल संस्कृति मंत्रालय के दिल्ली लाइब्रेरी बोर्ड के तत्वावधान में कांस्टीट्यूशनल क्लब में  सम्मान अर्पण समारोह में बोल रहे थे.  उन्होंने कहा कि किसी देश की संस्कृति को साहित्य से ही जाना जा सकता है और भारत का साहित्य दुनिया के प्राचीनतम और समृद्ध साहित्यों में से एक है.

 

इस अवसर पर भारतीय संस्कृति एवं शहीदों के जीवन और उनके शौर्य को रेखांकित करने के लिए साहित्यकारों और सम्पादकों को उनहोने सम्मानित किया.  सम्मानित होने वालों में प्रणाम पर्यटन के संपादक प्रदीप श्रीवास्तव भी शामिल रहे.  इससे पूर्व खेल मंत्री गोयल ने साहित्यकार सतीश मित्तल व रमेश चंद्र को संस्कृति मनीषी सम्मान, देवेन्द्र दीपक को संत रविदास सम्मान, एच बालसुब्रह्मणयम को संस्कृति गाथांतर कृति सम्मान, शांति कुमार स्याल को दुर्गाभाभी सम्मान, राजेंद्र राजा को महर्षि दधीचि सम्मान, डॉक्टर सदानंद प्रसाद गुप्त को साहित्य कृति सम्मान और डॉक्टर राकेश चक्र को बाल साहित्यश्री सम्मान से सम्मानित किया.

 

इसके अलावा पत्रिका चक्रवाक के संपादक निशांतकेतु, साहित्य यात्रा के संपादक डॉक्टर कलानाथ मिश्र, मंगल विमर्श के संपादक प्रो.  ओमीश परूथी, सृजन कुंज के संपादक डॉक्टर कृष्ण कुमार, शीतल वाणी के संपादक विरेन्द्र आजम और प्रणाम पर्यटन के संपादक प्रदीप श्रीवास्तव को सम्मानित किया.

 

इस अवसर पर बोलते हुए इस मौके पर दिल्ली लाइब्रेरी बोर्ड के अध्यक्ष राम शरण गौड़ ने कहा कि मोबाइल की संस्कृति के दौर में पाठकों की संख्या बढ़ रही है.  पूर्वी दिल्ली में पंडित दीनदयाल संस्कृति अध्ययन केंद्र खोलने जा रहे हैं.  गौड़ ने दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी की प्रगति रिपोर्ट और भविष्य की योजनाएं भी प्रस्तुत कीं|इस मौके पर माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के कुलपति ब्रज किशोर कुठियाला ने कहा कि साहित्यकार समाज का आइना होता है.  समाज के लिए श्रेष्ठ कार्य करने वाले साहित्यकारों को सम्मानित किया आवश्यक है क्योंकि वैचारिक संग्राम के लिए साहित्यकारों को जितना अधिक सम्मान किया जाएगा उतना ही साहित्य सृजन श्रेष्ठ होगा.

 

कार्यक्रम की अध्यक्षता पूर्व आईएएस और प्रतिष्ठित लेखक, नाटककार, नाट्यकर्मी, निर्देशक व चर्चित इतिहासकार दयाशंकर सिन्हा ने की.  इस मौके पर कई प्रख्यात साहित्यकार व संपादक मौजूद रहे.