पीयूष गोयल ने गुपचुप हज़ार गुना दाम में बेच दी पत्नी की कंपनी, मोदी को भी धोखा दिया !


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नई दिल्ली :  ये आरोप अगर सही साबित होता है तो बीजेपी की मोदी सरकार के लिए आने वाला चुनाव मुसीबत का सबब बन जाएगा. आरोप है कि मोदी के सबसे नज़दीकी मंत्री पीयूष गोयल ने अपनी एक कंपनी को 1000 गुना दाम पर पीरामल को बेच दिया.  पीयूष गोयल की इस कंपनी में दो तीन मालिक हैं. एक खुद गोयल, दूसरी उनकी पत्नी और तीसरा उनका बेटा, बेटे का शेयर सिर्फ एक फीसदी है.

ये घोटाला अमित शाह के बेटे जय शाह से भी कई गुना सनसनीखेज और बड़ा है.

द वायर की रिपोर्ट के मुताबिक ये डील सितंबर 2014 में हुई थी. आरोप इसलिए भी संगीन हो जाते हैं कि हज़ार गुना कीमत पर पीयूष गोयल की कंपनी खरीदने वाले पीरामल का कारोबार पावर मिनिस्ट्री से जुड़ा हुआ था और पीयूष गोयल उस वक्त पावर मिनिस्टर थे. यानी अगर पीरामल ये कंपनी खरीदते तो जाहिर बात है कि पीयूष गोयल से वो फायदा उठाने की हालत  में थे. जब कंपनी अंधाधुंध महंगे दाम में खरीदी गई है तो मामला संगीन हो जाता है.

खबर के मुताबिक इस डील के बारे में पीयूष गोयल ने प्रधानमंत्री कार्यालय को एसेट और लायबिलिटी रिपोर्ट में कुछ नहीं बताया . दूसरे शब्दों में इतने बड़े मुनाफे को पीयूष गोयल छिपा गए.

कांग्रेस पार्टी ने इसे करप्शन का मामला माना है और प्रधानमंत्री मोदी से कहा है कि वो पीयूष गोयल को हटा दें. कांग्रेस ने कहा, “इन आंकड़ों से तो यह अर्थव्यवस्था के हालिया इतिहास में सबसे ज्यादा लाभ अर्जित करने वाली कंपनी बन गई है.”

कांग्रेस ने इस मामले के दस्तावेजी सबूत पेश करते हुए रेल मंत्री पीयूष गोयल की तुरंत बर्खास्तगी की मांग की है. मंगलवार को कांग्रेस ने एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि इस मामले की सुप्रीम कोर्ट द्वारा न्यायिक जांच होनी चाहिए कि उनकी पत्नी की कंपनी ने 10 साल पहले मात्र एक लाख रुपए के निवेश के बाद 30 करोड़ रुपए का लाभ कैसे अर्जित कर लिया.

कांग्रेस ने आरोप लगाया कि सीमा गोयल की कंपनी ‘इंटरकॉन एडवाइजर्स प्राइवेट लिमिटेड’ एक लाख रुपए से शुरू हुई थी. इसके बाद कंपनी ने 30 करोड़ रुपए का लाभ अर्जित कर लिया. कंपनी के कुल 10,000 शेयरों में हर शेयर की कीमत 30,000 रुपए कैसे हो गई?

कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा कि, “सच्चाई यह है कि पीयूष गोयल ने अपने पद का गलत इस्तेमाल किया है और उन्हें केंद्रीय मंत्री के पद से तत्काल हटा देना चाहिए.”कांग्रेस ने इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्तमंत्री अरुण जेटली की खामोशी पर सवाल उठाया. कांग्रेस के अनुसार, “मोदी सरकार के स्वघोषित पारदर्शी, जवाबदेह और ईमानदारी के दावों की धज्जियां उड़ चुकी हैं.”

 

कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा कि, “निजी फायदे के लिए निर्णय, हानिकारक सौदे, अनियमितताओं और बैंक कर्ज घोटालों का ढांचा प्रतिदिन ढहने लगा है.” उन्होंने कहा कि, “पीयूष गोयल और सीमा गोयल इंटरकॉन एडवाइजर प्राइवेट लिमिटेड के स्वामी हैं. पीयूष ने 13 मई, 2014 को यानी मंत्री बनने से तुरंत पहले कंपनी में अपने पद से इस्तीफा देकर अपने शेयर अपनी पत्नी के नाम ट्रांसफर कर दिए थे.”उन्होंने कहा, “वर्तमान में सीमा गोयल के पास 9,999 शेयर हैं और बचा हुआ एक मात्र शेयर उनके बेटे ध्रुव गोयल के पास है. यह पूरी तरह से पारिवारिक स्वामित्व वाली पार्टी है.” खेड़ा ने कहा, “पीयूष गोयल और उनके परिवार ने साल 2007-08, 2008-09, 2014-15 और 2016-17 में अपनी कंपनी की पूरी आय के स्रोत का कोई स्पष्ट विवरण नहीं दिया.”

द वायर की ये रिपोर्ट कई दस्तावेज और सबूतों के सात पेश की गई है . इस खबर को यहां दी गई लिंक में पूरा पढ़ सकते हैं.