पैलेट गन को लेक सरकार की एक न चली, सुप्रीमकोर्ट ने कहा विकल्प लाओ

नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर में गुस्साई भीड़ को काबू करने के लिए सुरक्षाबलों द्वारा उपयोग में लाई जा रही पैलेट गन के इस्तेमाल पर केन्द्र सरकार अड़ी हुई है. सरकार ने इस मामले में सोशल मीडिया टाइप का लॉजिक दिया. सरकार का तर्क था कि पैलेट गन का इस्तेमाल नहीं किया थो देश की संप्रभुता और अखंडता खतरे में पड़ जाएगी. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने ये तर्क नहीं सुना. कोर्ट ने साफ कहा कि सरकार  भीड़ को काबू करने के लिए पैलेट गन के बजाय किसी अन्य प्रभावी माध्यम पर गौर करे क्योंकि यहां बात जिंदगी और मौत से जुड़ी है.

कोर्ट ने पूछा है कि क्या किसी वैकल्पिक विधि का उपयोग कर जा दोनों पक्षों को लगने वाली चोटें कम की जा सकती हैं? केंद्र ने कहा है कि वो इसके प्रभाव और भीड़ से निपटने के लिए किसी अन्य वैकल्पिक विधि को लेकर न्यायालय को सूचित करेगा. केंद्र ने कहा कि ये आसान मामला नहीं है. ये सुरक्षा से जुड़ा मसला है. मामले की अगली सुनवाई 10 अप्रैल को होगी.

चीफ जस्टिस ने कहा कि क्या पैलेट गन से सबसे ज्यादा बच्चे पीड़ित हैं? अगर बच्चे प्रदर्शनों में शामिल हो रहे हैं, तो क्या आपने उनके माता-पिता के खिलाफ कार्रवाई की है?

कोर्ट ने कहा कि सभी को शांतिपूर्ण तरीके से विरोध करने का अधिकार है. अटॉर्नी जनरल ने कहा कि पैलेट गन के इस्तेमाल से पहले एक उचित मानक प्रोटोकॉल का पालन किया जाता है. मजिस्ट्रेट इसके उपयोग का निर्देश देता है. देश की अखंडता और संप्रभुता दांव पर है. पैलेट गन अंतिम उपाय है. भीड़ पत्थर और तेज धार वाली वस्तुओं का उपयोग करती है. हिंसा में लगभग 3777 सुरक्षा कर्मियों भी घायल हुए हैं.