स्टिंग में सामने आई कश्मीरियों की दर्द भरी हकीकत, गरीबी के चलते जान पर खेलते हैं नौजवान

नई दिल्ली: हो सकता है कि कश्मीर के लोगों के लिए देश के बाकी हिस्सों में पैदा की जाने वाली नफरत पर इस खबर से कुछ रोक लगे. आजतक चैनल के एक स्टिंग ऑपरेशन में खुलासा हुआ है कि कश्मीर में भारतीय सेनाओं और सरकार के खिलाफ होने वाले प्रदर्शनों में वहां के आम लोग पत्थरबाज़ी नहीं करते. चैनल की वैबसाइट के मुताबिक ये काम चुपचाप भीड़ में छिप जाने वाले कुछ लोग करतेहैं. ये लोग भई छोटी छोटी जरूरतों को पूरा करने के लिए भारत जैसे शक्तिशाली देश की सेना पर पत्थर फेंकने जैसा जोखिम भरा काम करते हैं.
आज तक के खुफिया कैमरे पर भाड़े के इन पत्थरबाजों ने कबूल किया कि पैसे लेकर वो कश्मीर में कहीं भी पत्थर या पेट्रोल बम फेंक सकते हैं. पत्थर फेंकने के बदले इन्हें पैसे, कपड़े और जूते मिलते हैं. ऐसे ही पत्थरबाजों की मिलीभगत से पिछले साल बुरहान वानी के एनकाउंटर के बाद तीन महीने तक पूरा कश्मीर सुलगता रहा था.
चैनल की तफ्तीश में ऐसे राज से परदा उठा है, जो हैरान कर देता है. स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम पैसे लेकर पत्थर फेंकने वालों तक पहुंची और खुफिया कैमरे के सामने इन पत्थरबाजों ने खुद ही अपने राज एक-एक कर खोल दिए. पैसे लेकर पत्थरबाजी करने वाले ये वो कश्मीरी हैं, जो आम लोगों की भीड़ में चुपचाप शामिल हो जाते हैं और इनके निशाने पर होती है भारतीय फोर्स.
पत्थरबाज जाकिर अहमद भट ने बताया कि पत्थरबाजी के लिए उसे 5 , 6 , 7 हजार रुपये महीना तक मिलता है, साथ ही जूते कपड़े अलग से. पत्थर सेना, जम्मू कश्मीर पुलिस, विधायकों पर फेंके जाते हैं. बीच-बीच में पेट्रोल बम लगाने के अलग से 500 से 700 तक रुपये मिलते हैं. बुरहान वानी के एनकाउंटर के बाद हुई पत्थरबाजी में जाकिर भी शामिल था और उसने लगातार पत्थऱबाजी की थी.
आप कश्मीर के आवाम की मजबूरी और परेशानी को इस स्टिंग से आसानी से समझ सकते हैं. मामूली सी रकम के लिए ये लोग जान पर खेलते हैं और पैलेट गन जैसे बेहद तकलीफदेह खतरे का सामना करते हैं. इससे भी बड़ी बात ये कि आम कश्मीरी तो शांतिपूर्ण प्रदर्शन करते हैं लेकिन भीड़ में घुस जाने वाले ये लोग उसे हिंसक बना देते हैं. उम्मीद करना चाहिए कि इस हकीकत के सामने आने से कश्मीर के प्रति हिंदू कट्टरवादियों का रवैया कुछ बदलेगा.