गुजरात : सरकार बदलने के डर से फाइलें ठिकाने लगा रहे हैं अफसर, आईपीएस अफसर ने किया खुलासा

नई दिल्ली : जब जब सरकार बदलती है तो सचिवालय में एक काम बड़े जोरशोर से शुरू हो जाता है. ये काम होता है फाइलों के नष्ट होने का. अधिकारी तेज़ी से फाइलों को ठिकाने लगाना शुरू कर देते हैं और वो सभी फाइलें जला दी जाती हैं या फाड़ दी जाती हैं जो अंजाम तक नहीं पहुंच पाती हैं. कहा जाता है कि ये फाइलें सरकार बदलने के कारण काम की नहीं रह जातीं. अफसरों को भी अपने तबादले की आशंका रहती है इसलिए वो भी ऐसी कोई फाइल छोड़ना नहीं चाहते जो बाद में फसाद का कारण बने. कुछ लोग इसे करप्शन की पोल खुलने के डर से उठाया हुआ कदम मानते हैं.

गुजरात के एक नामी आईपीएस अफसर ने कहा है कि कर्मचारियों ने पुरानी फाइलें हटाने और नष्ट करने का काम शुरू कर दिया है. यानी इसका एक मतलब ये भी है कि अफसर मान चुके हैं कि बीजेपी जाने वाली है.

ट्वीट करने वाले आईपीएस अफसर कोई और नहीं संजीव भट्ट हौ. संजीव भट्ट ने अपने ट्वीट से इशारों-इशारों में ये बताने की कोशिश की है कि, बीजेपी गुजरात चुनाव हार रही है.

संजीव भट्ट ने लिखा है कि ”गुजरात सरकार के कर्मचारियों ने पहले से ही फ़ाइलों को हटाने और नष्ट करने का काम शुरू कर दिया है. यह सत्ता परिवर्तन के साफ संकेत है.”

दिल्ली में फाइलें नष्ट करने की पुरानी तस्वीर

आईपीएस संजीव भट्ट के इस ट्वीट के और भी कई मतलब निकलते हैं जैसे- बीजेपी ने अपने शासन के दौरान जरूर कुछ ऐसे काम किए हैं जिसके फ़ाइल अगर कांग्रेस के हाथ लग गए तो मुश्किल हो सकती है! तभी फ़ाइलों को हटाया और नष्ट किया जा रहा है. तो बीजेपी ने ऐसा क्या किया है जिसका उसे डर सता रहा है?

बता दें कि संजीव भट्ट वही शख़्स हैं, जिन्होंने 2002 में गुजरात दंगों में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की भूमिका पर सवाल खड़े किए थे.

बीबीसी में प्रकाशित खबर के मुताबिक, संजीव भट्ट ने तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी पर सीधे आरोप लगाते हुए कहा था कि गोधरा कांड के बाद 27 फ़रवरी, 2002 की शाम में मुख्यमंत्री की आवास पर हुई बैठक में वे मौजूद थे, जिसमें मोदी ने कथित तौर पर पुलिस अधिकारियों से कहा था कि हिंदुओं को अपना ग़ुस्सा उतारने का मौक़ा दिया जाना चाहिए.