अब मंत्रालयों में बॉस बनेंगे “अडानी-अंबानी” के लोग! बनाना रिपब्लिक की दिशा में एक और कदम

नई दिल्ली : भारत में अडानी अंबानी जैसे धन्नासेठों को अब सरकार में पैठ बनाने का मौका मिल गया है.  मोदी सरकार ने एक कानून बदला है जिसके मुताबिक अब आईएएस अफसर बनने के लिए यूपीएससी की परीक्षा पास नहीं करनी होगी बल्कि प्राइवेट कंपनियों के अफसर भी ब्यूरोक्रेट बन सकेंगे. इस कदम से कॉर्पोरेट के प्रतिनिधि मंत्रालयों में घुस जान की आशंका बढ़ गई है. लैटरल एंट्री के जरिए सरकार ने इस योजना को नया रूप दिया है. रविवार को इन पदों पर नियुक्ति के लिए डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनेल ऐंड ट्रेनिंग (DoPT) के लिए विस्तार से गाइडलाइंस के साथ अधिसूचना जारी की गई.

इससे पहले भी सरकार के नीति निर्माण में प्राइवेट लोगों का दखल रहता था. पैसे की दम पर उद्योगपति राज्यसभा की सीट खरीद लेते थे या अपनी नज़दीकी लोगों को जितवा देते थे.  ये लोग जुगाड़ से उन संसदीय समितियों के सदस्य बन जाते थे जो इस पर नीतियां बनाती थी. उदाहरण के तौर पर विजय माल्या सुब्रमण्यम स्वामी की पार्टी से राज्यसभा सदस्य बने और उसके बाद उड्डयन मंत्रालय की स्थायी समिति में आ गए. यहां वो अपने कारोबार से जुड़ी नीतियों की समीक्षा करने में सक्षम थे.

शुरू से ही पीएम नरेन्द्र मोदी ब्यूरोक्रेसी में लैटरल एंट्री के के हिमायती रहे हैं. इसलिए सरकार अब इसके लिए सर्विस रूल में जरूरी बदलाव भी करेगी. डीओपीटी की ओर से जारी अधिसूचना के अनुसार मंत्रालयों में जॉइंट सेक्रटरी के पद पर नियुक्ति होगी. इनका टर्म 3 साल का होगा और अगर अच्छा प्रदर्शन हुआ तो 5 साल तक के लिए इनकी नियुक्ति की जा सकती है.

इन पदों पर आवेदन के लिए अधिकतम उम्र की सीमा तय नहीं की गई है जबकि न्यूनतम उम्र 40 साल है. इनका वेतन केंद्र सरकार के अंतर्गत जॉइंट सेक्रटरी वाला होगा. सारी सुविधा उसी अनुरूप ही मिलेगी. इन्हें सर्विस रूल की तरह काम करना होगा और दूसरी सुविधाएं भी उसी अनुरूप मिलेंगी. मालूम हो कि किसी मंत्रालय या विभाग में जॉइंट सेक्रटरी का पद काफी अहम होता है और तमाम बड़े नीतियों को अंतिम रूप देने में या उसके अमल में इनका अहम योगदान होता है.

आवेदन देने की अंतिम तारीख 30 जुलाई

इनके चयन के लिए बस इंटरव्यू होगा और कैबिनेट सेक्रटरी के नेतृत्व में बनने वाली कमिटी इनका इंटरव्यू लेगी. योग्यता के अनुसार सामान्य ग्रेजुएट और किसी सरकारी, पब्लिक सेक्टर यूनिट, यूनिवर्सिटी के अलावा किसी प्राइवेट कंपनी में 15 साल काम का अनुभव रखने वाले भी इन पदों के लिए आवेदन दे सकते हैं. आवेदन में योग्यता इस तरह तय की गई है कि उस हिसाब से कहीं भी 15 साल का अनुभव रखने वालों के सरकार के टॉप ब्यूरोक्रेसी में डायरेक्ट एंट्री का रास्ता खुल गया है.

शुरुआती पहल के अनुसार अभी सरकार 10 मंत्रालयों में एक्सपर्ट जॉइंट सेक्रटरी को नियुक्त करेगी. ये 10 मंत्रालय और विभाग हैं- फाइनैंस सर्विस, इकनॉमिक अफेयर्स, ऐग्रिकल्चर, रोड ट्रांसपोर्ट, शिपिंग, पर्यावरण, रिन्यूअबल एनर्जी, सिविल एविएशन और कॉमर्स. इन मंत्रालयों और विभागों में नियुक्ति कर विशेषज्ञता के हिसाब से ही पोस्टिंग होगी.

ब्यूरोक्रेसी में लैटरल ऐंट्री का पहला प्रस्ताव 2005 में ही आया था, जब प्रशासनिक सुधार पर पहली रिपोर्ट आई थी. लेकिन तब इसे सिरे से खारिज कर दिया गया. फिर 2010 में दूसरी प्रशासनिक सुधार रिपोर्ट में भी इसकी अनुशंसा की गई. लेकिन 2014 में मोदी सरकार के सत्ता में आते ही सब बदल गया और प्राइवेट सेक्टर के अफसरों के लिए मंत्रालयों के दरवाजे खुल गए. सूत्रों के अनुसार ब्यूरोक्रेसी के अंदर इस प्रस्ताव पर विरोध और आशंका दोनों रही थी, जिस कारण इसे लागू करने में इतनी देरी हुई.

3 Comments

  1. यह बहुत गलत है

  2. Obsulutly wrong

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