काम कर रहा है राहुल का गेम प्लान, यूपी में अखिलेश और राहुल होंगे साथ, मुलायम बीजेपी भरोसे !


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नई दिल्ली: 20 अक्टूबर 2016 जी हां , इसी तारीख को Knockingngnews.com ने खबर दी थी कि राहुल गांधी को कच्चा खिलाड़ी समझने की भूल कर रहे लोगों को इस बार तगड़ा झटका लग सकता है क्योंकि वो जो जिस दिशा में यूपी का गेम ले जा रहे हैं और कामयाब हो रहे हैं उससे यूपी की राजनीति बदलने वाली है.

राहुल गांधी और अखिलेश एक नया गठबंधन बना सकते हैं जो मुलायम सिंह की छवि से आज़ाद होगा. इस गठबंधन को राहुल गांधी की तरफ से थम्सअप मिल चुका है.

यूपी में एक तरफ युवा, ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ छवि वाला युवा नेताओं का गठबंधन होगा और दूसरी तरफ पुराने घाघ समझे जाने वाले राजनेता.

अब यूपी की राजनीति उस दिशा में पूरी तरह बढ़ चली है और जल्द ही यूपी में अखिलेश यादव की नयी पार्टी ( अगर सूत्रों पर भरोसा किया जाए तो इस पर अक्टूबर में ही काम शुरू हो चुका है. चुनाव आयोग के पास बाकायदा आवेदन है,  रामगोपाल खुद जाकर आवेदन जमा कर चुके हैं.)

आज जब अखिलेश यादव ने मुलायम सिंह यादव की लिस्ट के मुकाबले यूपी की 403 विधानसभा सीटों में से 235 सीटों के कैंडीडेट्स की लिस्ट जारी की तो और साफ हो गया कि वो बेहद आत्मविश्वास से भरे हैं. सूत्रों के मुताबिक बची हुई सीटों के लिए भी कैंडीडेट्स का एलान भी अखिलेश जल्द ही कर देंगे.

अखिलेश ने मौजूदा एमएलए में से 171 सीटों पर और सपा के जिन सीटों पर विधायक नहीं हैं, उन क्षेत्रों में 64 कैंडिडेट घोषित किए हैं. बता दें कि मुलायम सिंह यादव ने बुधवार को यूपी वि‍धानसभा चुनाव के लि‍ए 325 कैंडिडेट्स का एलान किया था. सूत्रों के मुताबिक, इसमें से 108 अखिलेश को पसंद नहीं हैं.

अखिलेश के इस पैंतरे का मतलब साफ है कि वो अब मुलायम सिंह के भरोसे नहीं बल्कि अपने खुद के करिश्मे पर दांव खेल रहे हैं. इस पूरे खेल में अखिलेश को राहुल गांधी का साथ मिला हुआ है.

माना जा रहा है कि उनकी राहुल गांधी से नज़दीकियां बढ़ रही हैं और वो सार्वजनिक रूप से कई बार राहुल की तारीफ करके उनके साथ गर्मजोशी दिखाने की कोशिश भी कर चुके हैं.

अखिलेश जानते हैं कि  समाजवादी पार्टी में मुलायम सिंह का रुख और उनके साथ दूसरे नेताओं के इटट्ठे हे जाने के बाद पार्टी में उनका ज्यादा भविष्य नहीं बचा है. अखिलेश अपने कार्यकाल में ईमानदार सीएम की छवि बनाने में कामयाब रहे हैं लेकिन बाहुबलियों की समाजवादी पार्टी में वापसी के बाद वो अपनी इस छवि को बचाकर नहीं रख पाएंगे.

अगर वो इस पर भी समझौता कर लेते हैं तो भी मुलायम के आसपास इकट्ठा जमात उन्हें खुलकर काम नहीं करने देती.

ऐसे हालात में अखिलेश यादव के पास दो ही रास्ते हैं. या तो वो चुपचाप दोयम दर्जे की जिंदगी दोयम दर्जे के नेता के तौर पर जीते रहे या दूसरा रास्ता अपनाएं. दूसरे रास्ते के बीच से दो रास्ते निकलते हैं.

  1. अलग पार्टी बनाकर मुलायम सिंह से किनारा कर लिया जाए और अपनी साफ छवि को लेकर यूपी में चुनाव लड़ा जाए
  2.  किसी और पार्टी में शामिल होकर अपनी राजनीति को आगे बढ़ाया जाए.

दोनों ही सूरतों में अगर अखिलेश की छवि और विचारधारा के साथ अगर कोई पार्टी मेल खाती है तो वो है कांग्रेस पार्टी. बहुजन समाज पार्टी के साथ उनका निबाह मुमकिन नहीं है क्योंकि मायावती की पार्टी में एक ही नेता होता है और वो खुद मायावती है.

बीजेपी के साथ विचारधारा के मतभेद अहम हैं. और अखिलेश दोनों के लिए ये फायदे का सौदा नहीं होगा. इसके अलावा कांग्रेस पार्टी ने हाल में उत्तरप्रदेश में बेहतरीन तरीके से अपने अभियान की शुरूआत की है तो अखिलेश का उसके साथ जाना किसी भी हाल मे घाटे का सौदा नहीं रहने वाला

कांग्रेस के नज़रिए से अखिलेश यादव भी अहम हैं. अखिलेश की छवि समाजवादी पार्टी के बाकी नेताओं और बाहुबली राजनीति वाली समाजवादी पार्टी से एकदम अलग है. उत्तर प्रदेश के लोग उन्हें ऐसे नेता के तौर पर देखते हैं जो सचमुच कुछ करने की इच्छा रखता है .

मिस्टर क्लीन राहुल गांधी के लिए यूपी में सीएम कैंडीडेट की कमी भी अखिलेश यादव पूरी कर सकते हैं. हाल में अखिलेश ने उत्तरप्रदेश में विकास कार्यों की  जो झड़ी लगाई है वो दूसरा कोई नेता कभी नहीं कर सका था. यहां तक कि मुलायम सिंह यादव भी कभी ऐसा नहीं कर पाए.