तनख्वाह देकर पत्रकारों, नेताओं और बुद्धिजीवियों को गालियां दिलवाती है वीजेपी? ‘खुद मोदी भी रखते रहे हैं ट्रोल’,अंदर के आदमी का खुलासा?

नेताओं पत्रकारों और बुद्धिजीवियों को मां बहन की गाली देना, उनके चरित्र पर टिप्पणियां करना, अभद्र बातें करना, उनके बारे में चरित्र हनन वाली झूठी बातें लिखना, तरह तरह की अश्लील फोटो बनाना और सोशल मीडिया पर डालना, कुछ चुनिंदा लोगों के मुहं खोलते ही उन पर इकट्ठे होकर चढ़ बैठना जैसी साइबर गुंडागर्दी करने वाले लोग कोई बुरे लोग नहीं है बल्कि उन्हें रोज़ी रोटी के लिए देश भर के सैक्युलर, ईमानदार और तटस्थ लोगों पर हमले करने होते हैं.

बीजेपी के सोशल मीडिया विंग में इस काम के लिए लोगों को बाकायदा नौकरी पर रखा जाता है. ये लोग ट्रोल की नौकरी करते हैं.

हाल ही में बीजेपी की सोशल मीडिया विंग से अलग हुई साध्वी खोसला ने ये खुलासे किए हैं. साध्वी ने आरोप लगाया कि सोशल मीडिया सेल के ज़रिए लोगों को तनख्वाह देकर उनसे नफरत और कट्टरता फैलाने का काम करवाया जाता है.

साध्वी का कहना है कि सोशल मीडिया सेल काम करने वाले लोगों को अल्पसंख्यकों और पत्रकारों को निशाना बनाने का निर्देश दिया जाता है. साध्वी का आरोप है कि नवंबर 2015 में आमिर खान की असहिष्णुता पर टिप्पणी के बाद BJP सोशल मीडिया यूनिट ने उनके खिलाफ बाकायदा अभियान चलाया था.

साध्वी के मुताबिक, इस अभियान के अजेंडे में आमिर को स्नैपडील के ब्रैंड ऐंबैसडर से हटवाना भी शामिल था.

साध्वी खोसला नौकरी जाने के डर से पहले तो सोशल मीडिया सेल में नौकरी करती रहीं. उनके दादा स्वतंत्रता सेनानी थे. सोशल मीडिया पर आमिर को निशाना बनाकर अभियान चलाने का निर्देश मिलने पर साध्वी को एहसास हुआ कि वह कुछ गलत कर रही हैं. उन्हें लगा कि वह एक ट्रोल बनकर रह गई हैं.

साध्वी का आरोप है कि BJP के द्वारा चलाए जा रहे कई वॉट्सऐप ग्रुप्स पर महात्मा गांधी के खिलाफ नफरत उगली जा रही थी और इस सबको देखकर उन्होंने सोचना शुरू किया कि वह क्या कर रही हैं. वह कहती हैं, ‘मैं खुद को दोषी जैसा महसूस कर रही थी. मैंने खुद से पूछा कि मैं क्या कर रही हूं.

गांधी बचपन से हमारे नायक रहे हैं. BJP खुले तौर पर उन्हें गालियां नहीं देती है, लेकिन उनकी विचारधारा ऐसी ही है.’ साध्वी ने हमारे सहयोगी अखबार मिरर के साथ फोन पर हुई बातचीत में ये बातें कहीं.

पत्रकार स्वाति चतुर्वेदी की आने वाली किताब ‘आई अम अ ट्रोल’ में साध्वी खोसला ने अपने अनुभवों के बारे में बताया है…

साध्वी की कहानी पत्रकार स्वाति चतुर्वेदी की जल्द ही रिलीज होने वाली किताब ‘आई एम अ ट्रोल’ का एक हिस्सा है. इस किताब में BJP की सोशल मीडिया यूनिट के बुरे और स्याह पहलुओं के बारे में बताया गया है. साध्वी के मुताबिक, BJP की सोशल मीडिया यूनिट ‘नफरत और कट्टरता की खुराक लगातार’ परोस रही है. चतुर्वेदी खुद भी दक्षिणपंथी तत्वों द्वारा की जाने वाली ट्रोलिंग का शिकार हुई हैं. वह लिखती हैं, ‘झूठे नामों और फर्जी फोटो वाले ये ट्रोल्स कौन हैं? ये लोग कहां से ताल्लुक रखते हैं? वे ऐसा क्यों कर रहे हैं? क्या वे संगठित तौर पर काम करते हैं या फिर अलग-अलग स्वतंत्र रूप से? क्या वे सिर्फ BJP और प्रधानमंत्री मोदी के प्रशंसक हैं या फिर उनका पार्टी के साथ कोई आधिकारिक संबंध है?
स्वाति चतुर्वेदी ने अपनी किताब में लिखा है कि किस तरह BJP की सोशल मीडिया शाखा ने अभिनेता आमिर खान के खिलाफ एक अभियान चलाया. स्वाति का कहना है कि नवंबर 2015 में जब आमिर ने ‘भारत में बढ़ती असहिष्णुता’ संबंधी टिप्पणी की थी, उसके बाद BJP सोशल मीडिया विंग ने आमिर के खिलाफ जबर्दस्त अभियान चलाया और सुनिश्चित किया कि स्नैपडील आमिर की सेवाएं अपने ब्रैंड ऐंबैसडर के रूप में जारी न रखे.

BJP सोशल मीडिया में शामिल होने का कारण बताते हुए साध्वी खोसला ने मिरर से कहा कि 2013 में जब वह अमेरिका में थीं, तब उनके पास नरेंद्र मोदी का फोन आया, जो कि BJP की ओर से प्रधानमंत्री पद के दावेदार के रूप में लोकसभा चुनाव लड़ने वाले थे. वह बताती हैं, ‘मैंने 6 महीने के लिए अपनी नौकरी से छुट्टी ली, लेकिन फिर यह समय और लंबा होता गया. ‘चाय पर चर्चा’ कार्यक्रम के लिए हम रोजाना 18 घंटे काम करते.’ साध्वी का कहना है कि वह BJP के बदलाव के अजेंडे से प्रभावित होकर पार्टी से जुड़ी थीं.

साध्वी का आरोप है कि उन्हें और टीम के बाकी साथियों को अल्पसंख्यकों और पत्रकारों को निशाना बनाने का निर्देश दिया गया. उस समय BJP सोशल मीडिया यूनिट की बागडोर अरविंद गुप्ता के हाथों में थी. वह बताती हैं कि उन्होंने पंजाब में ड्रग समस्या से लड़ने के लिए अरविंद को कई ट्वीट किए, लेकिन अरविंद ने उनपर कोई ध्यान नहीं दिया.

वह बताती हैं, ‘पंजाब की गठबंधन सरकार में BJP भी शामिल है. पंजाब और ड्रग रैकेट में अकाली नेताओं की मिलीभगत के बारे में मैंने कम से कम 5,000 ट्वीट किए, लेकिन उनपर चुप्पी बनी रही.’

साध्वी ने हालांकि अपने इस अनुभव के बारे में इस किताब के अंदर कई चौंकाने वाली जानकारियां दी हैं, लेकिन इसके अलावा वह ज्यादा कुछ बताने को तैयार नहीं होती हैं. उनके साथ BJP सोशल मीडिया सेल में और कौन लोग काम करते थे और वह किसे रिपोर्ट करती थीं, इस बारे में साध्वी ने कुछ नहीं बताया है.

वह कहती हैं, ‘हम तथ्यों के बारे में बात करें, तो बेहतर है. ऐसा नहीं है कि जिन्होंने बात नहीं मानी, उसके साथ BJP सोशल मीडिया यूनिट ने कुछ किया. आमिर के खिलाफ अभियान की बात करें, तो यह मुझपर था कि मैं BJP सोशल मीडिया विंग की बात मानती हूं या नहीं.’ वह कहती हैं कि BJP के साथ मोहभंग हो जाने का मतलब यह नहीं है कि BJP के विरोधी दल उनका फायदा उठा सकते हैं.
वह कहती हैं, ‘मैं नफरत और कट्टरता फैलाने वाले इस अभियान का हिस्सा बनकर अपराध बोध महसूस कर रही थी. मुझे महसूस हुआ कि किसी बुलेट ट्रेन की तुलना में हमारे देश की एकता कहीं ज्यादा जरूरी है.’

साध्वी का कहना है कि जब भी कभी PM मोदी राष्ट्रीय हित से जुड़ा फैसला लेंगे, तब वह उनका समर्थन करेंगी.

वह कहती हैं, ‘मैं नोटबंदी का समर्थन करती हूं, लेकिन जब आमिर खान पर हमला किया जाता है और मुहम्मद अखलाक की हत्या की जाती है और प्रधानमंत्री मोदी चुप रहते हैं, तब मैं उनका समर्थन नहीं करती.’ यह पूछे जाने पर कि BJP सोशल मीडिया के बारे में खुलकर ये बातें करने के बाद क्या उन्हें डर लग रहा है, साध्वी जवाब देती हैं, ‘देखिए, क्या होता है.

अगर कोई मेरे साथ कुछ करता है, तो मेरी बात और पुख्ता तौर पर साबित हो जाएगी.’