उम्रकैद की सज़ा में शामिल हो जाएगा एक और गुनाह, लॉ़ कमीशन की सिफारिश!

नई दिल्ली: विधि आयोग ने सिफारिश की है कि देश मे खाने पीने के सामान में मिलावट करने वालों को उम्रकैद की सज़ा दी जाए. फिलहाल ऐसे मामलों में 6 महीने तक की सज़ा होती है और ज्यादातर लोग 1000 रुपये का जुर्माना करके छूट जाते हैं. लॉ कमीशन ने कहा है कि धारा 272 और 273 को खत्म किया जाए. आयोग ने इस पर अपना अध्ययन करीब करीब पूरा कर लिया है और जल्दी ही वह सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपेगा. रिपोर्ट में आयोग मिलावट के अपराध की सजा बढ़ाने की सिफारिश कर सकता है.

सुप्रीमकोर्ट ने खाद्य पदार्थो में मिलावट की मौजूदा सजा को कम मानते हुए केंद्र सरकार से कहा था कि वह कानून में यथोचित बदलाव करके सजा को सख्त करने पर विचार करे जैसा कि कुछ राज्यों ने किया है. सुप्रीमकोर्ट के आदेश के बाद विधि आयोग ने मामले पर विचार करना शुरू किया. भारतीय दंड संहिता (आइपीसी) की धारा 272 व व 273 में खाद्य पदार्थो में मिलावट पर छह महीने की कैद और 1000 रुपये जुर्माने का प्रावधान है. यह अपराध संज्ञेय अपराध की श्रेणी में नहीं आता और जमानती है. लेकिन कुछ राज्यों जैसे उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल ने अपने यहां आइपीसी के इस प्रावधान में संशोधन कर खाद्य पदार्थ में मिलावट पर उम्रकैद की सजा का प्रावधान किया है साथ ही इस अपराध को संज्ञेय व गैर जमानती बनाया है.

सुप्रीमकोर्ट ने उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल की तरह ही अन्य राज्यों में भी इसी तरह का कड़ा कानून बनाने की बात कही थी. कोर्ट ने केंद्र सरकार से यह भी कहा था कि कानून में संशोधन पर विचार करते समय वह फूड सेफ्टी एक्ट 2006 के प्रावधानों में भी जरूरी बदलाव करे ताकि मिलावट पर रोक लग सके. विधि आयोग के अध्यक्ष जस्टिस बीएस चौहान कहते हैं कि इस मुद्दे पर आयोग का काम लगभग पूरा हो गया है जल्दी ही सरकार को रिपोर्ट सौंप दिये जाने की उम्मीद है. दूध में मिलावट के मामले में सुनवाई के दौरान सुप्रीमकोर्ट ने लगातार बार बार केंद्र और राज्य सरकारों को निर्देश दिया था कि वह मिलावट के अपराध की सजा को सख्त बनाए. गत 5 अगस्त को मामले में फाइनल फैसला देते समय सुप्रीमकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर की अध्यक्षता वाली पीठ ने एक बार फिर मिलावट में सजा सख्त करने के अपने पूर्व आदेशों को दोहराया था.