2 मिनट इस मज़दूर की गुहार ज़रूर सुनें, दिल दहल जाएगा

मैं खोड़ा कॉलोनी गाज़ियाबाद में रहता हूं.

मेरा बैंक अकाउंट भी है

घर में तीन बच्चे हैं तीनों पास के प्राइवेट स्कूल में पढ़ते हैं.

10 दिन हो गए कोई काम नहीं है.

मेरे पास बचत के साढ़े तीन हज़ार रुपये थे

स्कूल की फीस 2100 रुपये थी लेकिन वो 500 के नोट नहीं ले रहा था.

तीन दिन बैंक की लाइन में लगकर रुपये अकाउंट में जमा 500 के 7 नोट जमा कराए.

उसके बाद से जब भी जाता हूं नकदी नहीं होती

एटीएम गया तो 2000 का नोट मिला. स्कूल वालों ने 100 रुपये की दया करके उधार कर दिए

अब मेरे 1500 बैंक में फंस गए हैं. मेरे आसपास के हर एटीएम में 2000 का नोट आता है. लाइन में लगना भी बेकार.

बनिये ने पहले तो उधार राशन दिया अब कहता है उसके पास भी पैसे की किल्लत है. राशन मिलना बंद हो गया है.

वैसे भी हम रोज़ की ज़रूरत के हिसाब से हो रोज़ ही राशन खरीदते हैं. इसलिए अगले दिन के खाने की किल्लत हो गई है.

गुरुवार को पैदल चल के 6 किलोमीटर दूर साईंबाबा मंदिर बच्चों के साथ गया वहां खाना खाया.

शुक्रवार को दरगाह पर भीख मांगी तो बच्चों के लिए खाने का इंतज़ाम हुआ.

मकान मालिक को किराया देने का नंबर कब आएगा भगवान जाने.

मेरे पास पैसे है.

मेरे पास मेहनत है.

मेरे पास ईमानदारी है.

बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ में यकीन रखता हूं.

उधार कोई नहीं दे रहा क्योंकि सब मेरे जैसे ही सताए हुए लोग हैं. जिसकी कमाई का भरोसा नहीं उसे उधार कौन देगा?

कोई बताए कर्ज लेने वाले अमीरों को बैंक बड़ी इज्जत देता है कोल्डड्रिंक पिलाता है. हमारे पैसे हमें देने के लिए लाइन में खड़ा क्यों करता है.