नोटबंदी से ठीक पहले करोड़ों जमा करने वालों के नाम गुप्त ही रहेंगे? सरकार ने निकाला ये आदेश

नई दिल्ली: आयकर विभाग ने नोटबंदी से पहले बैंकों में जमा हुए हर रुपये की जानकारी मांगी है. आयकर विभाग ने बैंकों से 1 अप्रैल से 9 नवंबर, 2016 के दौरान बचत खातों में जमा हुए कैश डिपॉजिट की रिपोर्ट देने को कहा है .
नोटिफिकेशन के मुताबिक बैंकों, को-ऑपरेटिव बैंकों और पोस्ट ऑफिसों को 1 अप्रैल से 9 नवंबर, 2016 के दौरान जमा हुए कैश की रिपोर्ट मांगी गई है.
इसका मतलब साफ है कि जिन लोगों ने ये रकम जमा कराई थी उनका नाम सरकार के सामने आ जाएगा,
लेकिन जानकारों के मुताबिक इसके साथ ही दूसरी चीज़ ये होगी की आयकर जांच के दायरे में आने के कारण इस दौरान धन जमा करने वालों के बारे में जानकारी आरटीआई के ज़रिए सार्वजनिक करने की मांग नहीं की जा सकेगी यानी नोटबंदी से पहले बैंकों में धन जमा कराने वालों के नाम हमेशा के लिए गुप्त हो जाएंगे.
पीएम नरेंद्र मोदी ने 8 नवंबर को 500 और 1000 रुपये के पुराने नोटों को बंद करने का ऐलान किया था. इनकम टैक्स ऐक्ट के नियम 114B के मुताबिक बैंकों अधिकारियों को आदेश दिया गया है कि वे खाताधारकों से पैन नंबर या उसके न होने पर फॉर्म 60 जमा कराएं.
आदेश के मुताबिक जिन लोगों ने खाता खुलवाने के दौरान पैन नंबर या फॉर्म 60 जमा नहीं कराया है, वे 28 फरवरी तक जमा करा सकते हैं. फॉर्म 60 एक घोषणा पत्र होता है, जिसे पैन नंबर न होने की स्थिति में भरा जाता है.
इससे पहले इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने बैंकों से 10 नवंबर से 30 दिसंबर, 2016 के दौरान बचत खातों में 2.5 लाख से अधिक और चालू खातों में 12.5 लाख से अधिक जमा की रिपोर्ट देने को कहा था.
इसके अलावा एक ही दिन में 50,000 रुपये से अधिक जमा कराने वालों की जानकारी देने को भी कहा गया था. नोटबंदी के बाद करीब 15 लाख करो़ड़ रुपये के पुराने नोट बैंकिंग सिस्टम में लौटे हैं. टैक्स डिपार्टमेंट ने इन डिपॉजिट्स की जांच शुरू कर दी है.