इस दिवाली दिल्ली ने किए  मरने वाले काम. नॉर्मल गलती नहीं है ये

नई दिल्ली: देश में कल धूमधाम से दीवाली मनाई गई. दीवाली पर खूब पटाखे फोड़े गए. दिल्ली एनसीआर कुछ ज्यादा ही आतिशबाजी हुई है. इस सबका असर ये है कि दिल्ली और मुंबई में प्रदूषण का स्तर खतरनाक स्तर तक पहुंच गया है. माना जा रहा है कि एक दिन के उत्सव ने जो हालात पैदा किए हैं उससे हज़ारों श्वांस के मरीज परेशानी में पड़ गए हैं और कई के मरने के हालात बन गए हैं.  जानवरों की भी जानें गई हैं

दिल्ली में तो प्रदूषण का स्तर खतरनाक के स्तर को भी पार कर गया है और ये सेहत के लिए बेहद की खतरनाक है. लोगों को सलाह दी गई है कि आज की सुबह घर से निकलें तो सावधानी जरूर बरतें.

दीवाली पर पटाखे तो हर बार फोड़े जाते हैं, लेकिन इस बार की दीवाली सैनिकों और शहीदों के नाम थी सो उम्मीद थी कि कम पटाखे फूटेंगे इसका राजनीति पर असर हुआ हो तो पता नहीं लेकिन दिवाली पर नहीं हुआ. 

केंद्र सरकार की संस्था  System of Air Quality and Weather Forecasting And Research यानी SAFAR के मुताबिक दीवाली पर आतिशबाजी के बाद खतरनाक पर्टिकुलेट मैटर यानी पीएम 2.5 का स्तर 507 तक पहुंच गया, जबकि पीएम 10 का स्तर 511 तक था.

अगर पीएम 2.5 और पीएम 10 का स्तर 400 से ज्यादा होता है तो प्रदूषण का स्तर बेहद ही खतरनाक हो जाता है.

दिल्ली यूनिवर्सिटी इलाके की तरह ही हालात पूसा रोड के भी थे यहां. पीएम 2.5 का स्तर 417 था, जबकि पीएम 10 का स्तर 397 था. वहीं लोधी रोड पर पीएम 2.5 का स्तर 388 निकला जबकि पीएम 10 का स्तर 386 था.

नोएडा का हाल

जाहिर है कि हवा की क्वालिटी बेहद खराब है, प्रदूषण का स्तर खतरनाक स्तर तक पहुंच गया है. दिल्ली से सटे नोएडा का हाल भी बुरा है. यहां भी कुछ दूर के बाद कुछ भी नजर नहीं आता. ये धुंध भी पटाखों के बाद हुए प्रदूषण की वजह से है.

सफर के मुताबिक नोएडा में पीएम 2.5 का स्तर 450 था, जबकि पीएम 10 का स्तर 493 था.

पीएम 2.5 और पीएम 10 होता क्या है?

अब ये भी जान लीजिए कि पीएम 2.5 और पीएम 10 होता क्या है.

पीएम यानी पर्टिकुलेट मैटर, पीएम 2.5 और पीएम 10 के जरिए वातावरण में वायु और धूल का प्रदूषण मापा जाता है. अगर स्तर 400 से ज्यादा होता है तो ये सेहत के लिए बेहद ही खतरनाक है.