20 साल लंबी प्रक्रिया के बाद मदर टेरेसा को संत की उपाधि, ऐसी थी उनकी ज़िंदगी


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वेटिकन सिटी. भारत रत्न मदर टेरेसा को वेटिकन सिटी में पोप फ्रांसिस ने उन्हें संत की उपाधि दी. उन्हें यह उपाधि दो चमत्कारों की पुष्टि के बाद दी गई. पहले चमत्कार में उन्होंने ओडिशा की एक मोनिका बेसरा को पेट का अल्सर ठीक किया था. दावा है कि मिशनरी ऑफ चैरिटी की ननों की प्रार्थना से वो ठीक हो गई थी. मोनिका ने कहा था कि उन्हें एक पोट्रेट से चमत्कारिक किरणें निकलती दिखाई दीं थीं. दूसरा चमत्कार ब्राजील में मस्तिष्क की बीमारी से जुड़ा हुआ है. इस परेशान शख्स की फैमिली ने टेरेसा से प्रार्थना की थी. बाद में ये शख्स भी ठीक हो गया था.

– मदर टेरेसा का जन्म 26 अगस्त 1910 को अल्बानिया में हुआ. उनका मूल नाम अग्नेसे गोंकशे बोजाशियु था. 1928 में वो नन बनीं. सिस्टर टेरेसा नाम मिला.

– 24 मई 1937 को उनके काम को देखकर लॉरेटो नन ट्रेडीशन के मुताबिक उन्हें मदर की उपाधि मिली. उनका 5 सितंबर 1997 को निधन हो गया.

ऐसे मिली उपाधि

– पोप फ्रांसिस ने रविवार को मदर टेरेसा को संत की उपाधि दी. इस मौके पर एक सादा समारोह हुआ.

– समारोहों में 13 देशों के राष्ट्राध्यक्ष भी मौजूद थे. भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और प. बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी समारोह में रहे.

– बता दें कि यह उपाधि वेटिकन सिटी में दी गई थी. यह शहर रोम से कुछ दूर है. यह दुनिया का सबसे छोटा देश है.

ऐसी इनसान थीं मदर टेरेसा

  1. मदर टेरेसा के पास जिंदगीभर तीन ही साड़ियां रहीं. जो वो खुद ही धोती थीं. वो कहती थीं, दुनिया में हजारों लाखों लोग ऐसे हैं जिनके पास तन ढकने के लिए भी कपड़े नहीं हैं. जितने कम कपड़ों से काम चल जाए वो बेहतर.
  2. बहुत कम लोग जानते हैं कि मदर को 1979 में जब नोबेल शांति पुरस्कार मिला तो उन्होंने प्रोग्राम के बाद होने वाला डिनर कैंसल करवा दिया. मदर ने

कहा- इस पर खर्च होने वाला पैसा वो कोलकाता के गरीबों पर खर्च करना चाहेंगी.

आसान नहीं है संत उपाधि?

– संत की उपाधि दिए जाने वाले प्रोसेस को कांग्रेगेशन कहा जाता है. कुछ चरण होते हैं. जिसको उपाधि दी जानी है उसके बारे में लोग लिखित तथ्य देते हैं. इन तथ्यों की गहनता से जांच की जाती है.

– कांग्रेगेशन प्रोसेस में शामिल लोग अगर इस बात पर सहमत होते हैं कि व्यक्ति या महिला ने चमत्कारिक जीवन जिया है तो यह रिपोर्ट एक पैनल को दी जाती है.

– पैनल में डॉक्टर्स, तर्कशास्त्री, बिशप्स और कार्डिनल्स होते हैं. रिपोर्ट पोप को भेजी जाती है. इसके बाद पोप संत के लिए डिक्री साइन करते हैं.

– मदर टेरेसा को संत घोषित करने का प्रोसेस करीब 20 साल चला. इस पर 10 हजार यूरो (करीब 50 लाख रुपए) के करीब खर्च हुए.