सेना पर ये बोलने से पहले कुछ तो सोच लेते बीजेपी वालो, राजनीति को कितना नीचे ले जाओगे


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भक्ति अनंत भक्ति कथा अनंता. जी ये मुहावरा पीएम मोदी के संगी साथियों पर सटीक बैठता है. कल तक शहीदों के नाम एक दिया जला रहे बीजेपी कार्यकर्ताओं के सुर सिर्फ एक सुसाइड से सेना के बारे में इतना बदल जाएंगे कोई सोच नहीं सकता था. आपको बताते हैं वो कथनी और वो करनी जो पार्टी ने अपनी साख बचाने के लिए इस्तेमाल की.

  1. सबसे पहले बात करते हैं जनरल वीके सिंह की. वीके सिंह कहते हैं कि रामकिशन ग्रेवाल कांग्रेस कार्यकर्ता था.

(इस बयान का क्या मतलब है. कोई फौजी अगर रिटायरमेंट के बाद कांग्रेस में चला जाता है तो उसके प्राणों की कीमत कम हो जाती हैं.)

  1. वीके सिंह ने कहा कि उसकी दिमागी हालत की जांच होनी चाहिए

( अपने प्राण दे देने वाले एक शख्स की भावनाओं को समझना तो दूर उसकी दिमागी हालत को खराब बताने की कोशिश हो रही है )

  1. नहीं उसने आत्महत्या OROP के लिए की या किसी और वजह से- वीके सिंह

(जो शख्स ज्ञापन पर सुसाइड नोट लिखकर गया हो कारण बताकर गया हो उसकी आत्महत्या का कोई और कारण वीके सिंह कैसे देख सकते हैं )

  1. आत्महत्या करने वाला शहीद नहीं होता. वो कायर होता है. शहीद वही होता है जो सीमा पर जान देता है – अनिल बिज़, हरियाणा के मंत्री

( जलियांवाला बाग में जो लोग कुओं में कूदकर मर गए उन्हें शहीद नहीं मानती क्या आपकी पार्टी ?  ट्रेन से गिरकर मारे गए दीन दयाल उपाध्याय शहीद कैसे हो सकते हैं?)

  1. शहीद वो होते हैं जो सीमा पर जान देते हैं – मनोहर लाल खट्टर, सीएम हरियाणा

(फिर तो आपकी पार्टी के इकलौते शहीद दीन दयाल उपाध्याय शहीद नहीं हुए, भगत सिंह को किस तर्क से शहीद मानते हैं आप ? वो तो सीमा पर नहीं गए थे)

  1. केजरीवाल और राहुल गांधी को रामकिशन के अंतिम संस्कार में जाने का हक नहीं , क्योंकि वो सभी दूसरे शहीदों के घर नहीं जाते – सोशल मीडिया सेल

( भैया आप क्या सभी शहीदों के अंतिम संस्कार में जाते है ? अगर जाते हैं तो आप रामकिशन की अंत्येष्टि में क्यों नहीं गए)

  1. सिर्फ 6 साल नौकरी करने वाले को पैंशन पाने का हक नहीं, रामकिशन को भी नहीं मिलनी चाहिए – सोशल मीडिया सेल

(भैया जब नेता 5 साल सांसद या विधायक रहकर पेंशन ले सकते हैं तो 6 साल वाला फौजी क्यों नहीं ?)

  1. राम किशन हमारे पास मिलने आ जाते ज़रूर सुनवाई होती- किरण रिजुजु

(आपके पास मिलने की ही तो इच्छा थी. पर्रिकर साहब ने समय नहीं दिया इसी से तो दिल टूटा और फौजी ने इतना बड़ा कदम उठाया)

  1. रामकिशन के बेटे को पिता की नहीं मुआवजे की चिंता है- सोशल मीडिया सेल

( आप भी अपने पिताजी को मारकर मुआवजा क्यों नहीं कमा लेते. अब फौजियों का मुआवजा बंद करने का इरादा है क्या )

  1. शहीदों पर राजनीति हो रही है.

( यही तो राहुल गांधी ने कहा था कि आप शहीदों के खून की दलाली कर रहे हैं. वो तो न्याय दिलाने के लिए खड़े हैं और आप तो फौजियों की कुर्बानी का प्रचार कर रहे थे. पर्रिकर ने कहा फौजियों ने नहीं संघ की ट्रेनिंग ने सर्जिकल स्ट्राइक कराई.)

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