भारत के रक्षा बजट के दस फीसदी मोदी सरकार घोटाले में गए. पढ़िए पूरा केस

नई दिल्ली : मोदी सरकार ने राफेल विमान की खरीदी में बड़ा घोटाला किया है. सरकार ने  वो राफेल विमान 1670 करोड़ में खरीदा है जिसे मनमोहन सिंह सरकार सिर्फ 570 करोड़ में खरीद रही थी. इतना ही नहीं तब 570 करोड़ में राफेल अपनी तकनीक भी साथ में देने को तैयार था. यानी बाद में राफेल भारत में ही बनते. ये आरोप लगातार लगाया जा रहा है.

  • जब चीज़ ज्यादा खरीदो तो दाम कम मिलता है. मोदी सरकार ने ज्यादा राफेल विमान खरीद हैं जबकि मनमोहन का ऑर्डर छोटा था.
  • एक तर्क ये भी दिया जाता है कि मोदी सरकार ने जब खऱीद की तो वक्त के साथ दाम बढ़ गया होगा. लेकिन कतर ने भारत के साथ ही खरीद की तो उसे हर विमान 351 करोड़ रुपये सस्ता मिला.
  • जब सरकार से लोकसभा में राफेल का दाम पूछा गया तो उसने छिपा दिया. कहा कि कॉन्ट्रेक्ट में लिखा है कि हम दाम जनता को नहीं बता सकते. यानी जनता से डील छिपाने का कॉन्ट्रेक्ट एक प्राइवेट कंपनी से सरकार ने कर लिया वो भी विदेशी कंपनी.
  • इधर सरकार छिपाती रही उधर राफेल बनाने वाली कंपनी ने बिना लाग लपेट के दाम सीधे जारी कर दिए. यानी सरकार देश से छिपा रही थी. जिसे पैसे मिले उस कंपनी ने बता दिया कि विमान 1670 करोड़ का खऱीदा गया है. वही विमान कतर ने 1319 करोड़ का खरीदा.
  • अब जब राफेल डील जनता के सामने आ गई है तो कांग्रेस पार्टी ने मोर्चा खोल दिया. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने  कहा कि 36 राफेल विमान की कीमत के जरिए देश के 10 प्रतिशत रक्षा बजट को जेब में डाल लिया गया.

राहुल गांधी ने राफेल लड़ाकू विमान बनाने वाली फ्रांसीसी कंपनी डसाल्ट की वार्षिक रिपोर्ट के जरिये इन विमानों की तुलनात्मक कीमत बतायी. उन्होंने आज ट्वीट कर कहा, ‘‘डसाल्ट ने आरएम (रक्षा मंत्री) के झूठ को खोला और रिपोर्ट में प्रति राफेल विमान की कीमतें जारी की गयीं.’’


राहुल गांधी ने कहा, ‘‘प्रति विमान 1100 करोड़ रुपये या 36,000 करोड़ रूपये (36 विमानों की कीमत) यानी हमारे रक्षा बजट का 10 प्रतिशत जेब में.’’ उन्होंने कहा, ‘‘इस बीच हमारी सेना धन के लिए सरकार से गुहार लगा रही है.’’ उन्होंने अपने इस ट्वीट के साथ डसाल्ट की वार्षिक रिपोर्ट 2016 भी टैग की है.

ये मामला गंभीर है. जांच हो तो पता चले कि गड़बड़ हुई है या नहीं लेकिन जो भी हो देश का धन विदेश गया वो भी ज्यादा बहुत ज्यादा.