सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की बैठक खत्म, जस्टिस के एम जोसफ पर हुई चर्चा !

नई दिल्ली : उत्तराखंड उच्च न्यायालय के जस्टिस के एम जोसफ को सुप्रीम कोर्ट में आने से केन्द्र सरकार ने रोक दिया था . अब सुप्रीम कोर्ट को तय करना है कि वो दोबारा उनका नाम केन्द्र को भेजे या न भेज. इस पर आज कॉलेजियम की बैठक थी

बैठक में तय किया गया कि कॉलेजियम जस्टिस के एम जोसफ के नाम पर कोई दबाव नहीं डालेगी. जस्टिस जोसफ का नाम तो दोबारा भेजा जाएगा लेकिन साथ में कुछ और नाम भी भेजे जाएंगे. के एम जोसफ ने उत्तराखंड में कांग्रेस सरकार को बर्खास्त करने के केन्द्र के फैसले को गलत करार दिया था. आरोप लग रहा था कि केन्द्र ने उनका नाम इसलिए वापस भेजा क्योंकि जोसफ ने मोदी सरकार के फैसले को गलत माना था.

दरअसल  सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने शुक्रवार दोपहर कॉलेजियम की बैठक बुलाई थी. बताया जा रहा है कि इस बैठक में पदोन्नति के लिए जस्टिस केएम जोसेफ के नाम के पुनर्विचार के साथ-साथ हाईकोर्ट के अन्य जजों के नाम पर भी चर्चा की गई. गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने कुछ दिन पहले न्यायमूर्ति जोसफ को शीर्ष अदालत के न्यायाधीश के तौर पर पदोन्नत करने की सिफारिश कॉलेजियम के पास पुनर्विचार के लिये वापस भेज दी थी.

बता दें, सुप्रीम कोर्ट में सर्वाधिक वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति जे चेलमेश्वर ने न्यायमूर्ति जोसफ का नाम केंद्र के पास अविलंब भेजने के लिये प्रधान न्यायाधीश को बुधवार को एक खत लिखकर कॉलेजियम की बैठक बुलाने का अनुरोध किया था. सरकार ने 26 अप्रैल को न्यायमूर्ति के एम जोसफ को सर्वोच्च न्यायालय के जज के तौर पर प्रोन्नत करने की कॉलेजियम की सिफारिश पुनर्विचार के लिये लौटा दी थी. सरकार ने तब कहा था कि प्रस्ताव सर्वोच्च अदालत के मानकों के अनुरूप नहीं है और उच्चतम न्यायालय में केरल का पर्याप्त प्रतिनिधित्व है जहां से वह आते हैं. सरकार ने सर्वोच्च अदालत के न्यायाधीश के तौर पर प्रोन्नति के लिये उनकी वरिष्ठता पर भी सवाल उठाए थे.

सुप्रीम कोर्ट के एक अधिकारी ने कहा कि बुधवार देर शाम प्रधान न्यायाधीश को भेजे अपने खत में न्यायामूर्ति चेलमेश्वर ने कहा कि वह न्यायमूर्ति जोसफ को उच्चतम न्यायालय में प्रोन्नत किये जाने के अपने फैसले को दोहरा रहे हैं क्योंकि उन परिस्थितियों में कोई बदलाव नहीं आया है जब 10 जनवरी को कॉलेजियम ने सरकार के पास उनके नाम की अनुशंसा की थी.

यह भी पता चला है कि कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद द्वारा प्रधान न्यायाधीश को लिखे खत में न्यायमूर्ति जोसफ की पदोन्नति को लेकर उठाई गई आपत्तियों का न्यायमूर्ति चेलमेश्वर ने अपने पत्र में क्रमवार जवाब दिया है. न्यायमूर्ति चेलमेश्वर 22 जून को सेवानिवृत्त हो रहे हैं.

कॉलेजियम की बैठक बुधवार को होने की उम्मीद थी लेकिन न्यायमूर्ति चेलमेश्वर छुट्टी पर थे. प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति चेलमेश्वर के अलावा कॉलेजियम के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति एम बी लोकुर और न्यायमूर्ति कुरियन जोसफ शामिल हैं.

न्यायमूर्ति कुरियन जोसफ ने पिछले हफ्ते अपने केरल दौरे के दौरान कथित तौर पर यह स्पष्ट किया था कि वह उत्तराखंड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के मुद्दे पर कॉलेजियम की अनुशंसा दोहराने के पक्ष में हैं. कॉलेजियम की बैठक कब होगी इसे लेकर अभी कोई आधिकारिक वक्तव्य नहीं आया है. अधिकारी ने कहा कि सीजेआई को इस बारे में तारीख तय करनी है क्योंकि केंद्र द्वारा न्यायमूर्ति जोसफ से संबंधित सिफारिश को लौटाने के मुद्दे पर चर्चा के अलावा और कोई एजेंडा नहीं है.

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