नितीश, लालू और मुलायम के मोदी से दोस्ताने की अंदर की कहानी

नई दिल्ली: राष्ट्रपति चुनाव के लिए राजनीतिक पैंतरेबाजी से ज्यादा सीन गैंगवार जैसा दिख रहा है. ऐसा लग रहा है कि दो राजनीतिक घटकों के बीच न होकर मुकाबला दो गैंग के बीच गैंगवार का हो. एक तरफ दाऊद और छोटा शकील की कंपनी है तो दूसरी तरफ छोटा राजन जैसे खिलाड़ी है. आंकड़ों को पूरा करने के लिए सारी हदें पार की जा रही है.

 

राजनीतिक विश्लेषक कहते हैं कि  लालू यादव के परिवार पर दबाव बनाकर भी उन्हें समर्थन में लाने की कोशिशें हो रही हैं. हाल के मुकदमें और सीबीआई की तेज़ी इसी की वजह से है. दूसरी तरफ मुलायम सिंह भी मुकदमों में फंसे होने के कारण आखिरकार एनडीए का ही साथ देंगे. नितीश भी विपक्ष को धोखा दे चुके हैं और दबाव के मारे लालू की मजबूरी है कि नितीश की सरकार को बनाए रखें वरना सीबीआई के शिकंजे से फंसना और मुश्किल होगा.

 

दरअसल राष्ट्रपति चुनावों से पहले आंकड़ों के खेल में एनडीए काफी आगे निकल चुका है. राष्ट्रपति चुनाव में कुल 10,98,903 वोट हैं और उम्मीदवार की जीत के लिए 5,49,452 वोट चाहिए. इनमें से एनडीए के कुल 5,37,683 वोट पहले से हैं, यानी 48% से कुछ ऊपर.

 

नितीश कुमार ने हमेशा बीजेपी के साथ अपने मन में सॉफ्ट कॉर्नर ही रखा है. वो बीजेपी को सांप्रदायिक राजनीति के तौर पर अछूत नहीं मानते वो हमेशा से ही बीजेपी के साथ अंदर ही अंदर प्रेम भाव रखते हैं. ताज़ा मामला राष्ट्रपति चुनाव में बीजेपी के उम्मीदवार के समर्थन का है. दिल्ली में रामनाथ कोविंद बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं से मिलते रहे, जबकि पटना से उनके समर्थन की खबर आई. नीतीश कुमार के रुख को लेफ्ट ने विपक्षी एकता के लिए झटका बताया.

 

सीपीआई नेता डी. राजा ने कहा- ‘राष्ट्रपति चुनावों को लेकर 17 विपक्षी पार्टियों के नेता एक साथ पिछले महीने एक बैठक में शामिल हुए थे. अब नीतीश ने कोविंद का जिस तरह से समर्थन किया है, वो विपक्ष की एकजुटता की कोशिशों को झटका ज़रूर है.’

कांग्रेस पार्टी जेडीयू के फैसले पर सीधे तौर पर कुछ भी बोलने से बचती दिखी. पार्टी के प्रवक्ता मनीष तिवारी ने नीतीश के फैसले पर कुछ नहीं बोला, सिर्फ इतना कहा, ‘गुरुवार की बैठक में प्रत्याशी और रणनीति पर विचार किया जाएगा.’

रामनाथ कोविंद की उम्मीदवारी के बाद एनडीए, एआईएडीएमके, बीजेडी, टीआरएस, जेडीयू, वाईएसआर (कांग्रेस) के समर्थन के साथ कुल 62.7% वोटों का समर्थन हासिल कर चुका है. हालांकि सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी अब भी एक मज़दूत उम्मीदवार उतारने का दावा कर रहे हैं. सीताराम येचुरी ने एनडीटीवी से कहा, ‘विपक्ष की तरफ से एक तगड़ा उम्मीदवार खड़ा किया जाएगा. आज संविधान की बुनियाद को बचाया जाए या आरएसएस के हिन्दू राष्ट्र को आगे बढ़ने दिया जाए. इसी सवाल पर अब कन्टेस्ट होगा.’

विपक्षी दलों के अहम नेता राष्ट्रपति चुनावों को विपक्ष की एकता को मज़बूत करने के लिए एक मंच के तौर पर इस्तेमाल करना चाहते थे, लेकिन नीतीश ने एनडीए के प्रत्याशी रामनाथ कोविंद की दावेदारी का समर्थन कर उनकी इस मुहिम की हवा निकाल दी है.