मोदी की हत्या की साजिश वाली चिट्ठी कहीं खुद ही तो साजिश का हिस्सा नहीं ?

पांच राज्यों में छापे मारकर बड़ी संख्या में वामपंथी विचारकों को हिरासत में ले लिया गया है. जिन लोगों को हिरासत में लिया गया है वो लेखक साहित्यकार और बुद्दिजीवी हैं. इन लोगों को एक चिट्ठी के आधार पर हिरासत में लिया गया है जो खुद अपनी कहानी कह रही है. हालांकि पुलिस की जांच है वो कुछ भी दावा कर सकती है लेकिन कुछ बातें सोचने वाली हैं. इन्हें पढ़कर आसानी से आप अंदाज़ा लगा सकते हैं कि ये साजिश थी या साजिश के बहाने से उत्पीड़न.

दरअसल भारत जैसे देश के प्रधानमंत्री की हत्या की साजिश रचने वाले लोगों की गिरफ्तारी एक चिट्ठी के ज़रिए हुई है. दावा किया जा रहा है कि ये चिट्ठी  भीमा कोरेगांव हिंसा की जांच के दौरान पुलिस द्वारा बरामद की गई. कहा जा रहा है कि इस पत्र में नक्सलियों द्वारा पीएम मोदी की हत्या भीमा कोरेगांव मामले की जांच के दौरान पुणे पुलिस को एक आरोपी के घर से ऐसा पत्र मिला था, जिसमें ‘राजीव गांधी की हत्या’ जैसी प्लानिंग का जिक्र किया गया था. पत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को निशाना बनाने की बात कही गई है.

“ये चिट्ठी या कहें कि एक प्रिंट आऊट था जिसमें लिखा था कि मोदी 15 राज्यों में भाजपा को स्थापित करने में सफल हुए हैं. यदि ऐसा ही रहा तो सभी मोर्चों पर पार्टी के लिए दिक्कत खड़ी हो जाएगी. कॉमरेड किसन और कुछ अन्य सीनियर कॉमरेड्स ने मोदी राज को खत्म करने के लिए कुछ मजबूत कदम सुझाए हैं. हम सभी राजीव गांधी जैसे हत्याकांड पर विचार कर रहे हैं. यह आत्मघाती जैसा मालूम होता है और इसकी भी अधिक संभावनाएं हैं कि हम असफल हो जाएं, लेकिन हमें लगता है कि पार्टी हमारे प्रस्ताव पर विचार करे. उन्हें रोड शो में टारगेट करना एक असरदार रणनीति हो सकती है. हमें लगता है कि पार्टी का अस्तित्व किसी भी त्याग से ऊपर है. बाकी अगले पत्र में.” पुलिस का कहना है कि विल्सन के दिल्ली के मुनिरका स्थित फ्लैट से एक पत्र बरामद किया गया था.

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इस चिट्ठी को लेकर शुरू से सवाल उठते रहे हैं.

  1. सबसे बड़ा सवाल है कि पीएम की हत्या की साजिश कोई चिट्ठी लिखकर दस्तावेजों में दर्ज क्यों करेगा ?
  2. पत्र देखकर ऐसा लगताहै कि उसमें मोदी की तारीफ ज्यादा है और नफरत कम.
  3. जो नक्सलवादी चुनाव की राजनीति को मानते ही नहीं वो चुनाव में जीत को अहमियत क्यों देंगे ?
  4. मोदी से नफरत करने वाला कोई उनके पराक्रम का जिक्र क्यों करेगा जैसे वो सभी राज्यों में जीतते जा रहे हैं. हमारे लिए मुश्किल बढ़ रही हैं बगैरह बगैरह.
  5. माओवादी अक्सर अपनी बातें हाथ से बेहद सामान्य चिट्ठियों में लिखा करते हैं. उनके बैनर पोस्टर भी हाथ से लिखकर ही बने होते हैं.
  6. माओवादियों के आपसी संवाद जन सामान्य की भाषा में होते हैं खास तौर पर वो हिंदी या तेलुगु बगैरह का इस्तेमाल करते हैं. अग्रेज़ी में ऐसी चिट्ठी लिखना दूर की कौड़ी लगती है.
  7. किसी प्रधानमंत्री की हत्या की साजिश इतने मूर्खतापूर्ण तरीके से करने का कोई कारण दिखाई नहीं देता. जाहिर बात है कि इसके लिए व्यापक षड्यंत्र की ज़रूरत होती है.
  8. एक कंप्यूटर प्रिंट आऊट को पत्र कैसे माना जा सकता है जबतक कि उसके आने जाने या भेजे जाने का कोई प्रमाण न हो. पुलिस ने पत्र की जो कॉपी सार्वजनिक की है उसमें मोड़ने का कोई निशान तक नहीं है.

    वो पत्र जिसके आधार पर साजिश की बात कही जा रही है

बहरहाल मामले में वामपंथी सुधा भारद्वाज को उनके फरीदाबाद स्थित आवास से गिरफ्तार किया गया. वहीं वरवर राव को हैदराबाद से गिरफ्तार किया गया. वामपंथी विचारक अरुण फरेरा और वर्णन गोनजाल्विस भी हिरासत में लिए गए हैं. वामपंथी विचारक गौतम नवलखा को भी भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में पुलिस ने हिरासत में लिया है. इन मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के पास से लैपटॉप, पेन ड्राइव और कागजात बरामद किए गए हैं. बता दें कि गत जून महीने में कबीर कला मंच के सुधीर ढवले और नागपुर से एक वकील सुरेंद्र गडलिंग को गिरफ्तार किया गया था.

कुछ लोगों का मानना है कि ये सिर्फ वामपंथ बनाम दक्षिण पंथ के टकराव को नफरत की हद तक ले जाने की साजिश है. हाल ही में कर्नाटक में तीन वामपंथी विचारकों की हत्या में सनातन संस्था और उससे जुडे हुए संगठन शामिल पाए गए थे. उनके खिलाफ बाकायदा आतंकवादी साजिशों के सबूत मिले थे.

ये लोग हथियारों और गोला-बारूद के साथ पकड़े गए वे महाराष्‍ट्र के मुंबई, पुणे, सतारा, सोलापुर और सांग्‍ली को विस्‍फोट से दहलाने की साजिश रच रहे थे. एटीएस का कहना है कि दक्षिणपंथी संगठन सनातन संस्‍था के सदस्‍य राज्‍य में त्‍योहारों से पहले कई जगह विस्‍फोट की साजिश रच रहे थे. पहले एटीएस ने केंद्र सरकार के पास इस दक्षिणपंथी संगठन पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्‍ताव भेजा था. लेकिन केन्द्र सरकार ने अबतक इस पर कोई फैसला नहीं लिया है.

 

वामपंथी विचारकों की गिरफ्तारी के पीछे भीमा कोरेगांव मामला है. यहां भीमा कोरेगांव युद्ध की 200वीं वर्षगांठ के दौरान नए साल के दिन पुणे में दलित समूहों ने एक आयोजन किया था. वहां दक्षिण पंथी हिंदू संगठन पहुंच गए और हमला किया इससे हिंसा हुई और एक व्यक्ति मारा गया.

भीमा कोरेगांव मामले में जून माह में रोना जैकब विल्सन, सुधीर ढावले, सुरेंद्र गाडलिंग, शोमा सेन और महेश राउत को गिरफ्तार किया गया था. विल्सन को दिल्ली से गिरफ्तार किया गया था, ढावले को मुंबई से, गाडलिंग, शोमा सेन और महेश राउत को नागपुर से गिरफ्तार किया गया था.  इसके बाद से लगातार जांच चल रही है और  उसी जांच में इस कंप्यूटर प्रिंट आऊट ने नया एंगल डाल दिया. जांच की दिशा दलितों पर हिंसा और हमला करने वाले तत्वों से दूसरी तरफ मुड़ चुकी है और वामपंथियों पर छापेमारी जारी है. जिससे जुड़े हुए सिलसिले का ये एक और पड़ाव है.

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