सीमा पर तनाव से घर बैठ लग गई राहुल गांधी की लॉटरी


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पुलवामा हमले के बाद जैसे जैसे हालात बदल रहे हैं कांग्रेस की झोली में बैठे बैठाए नियामतें गिरने लगी हैं. हालात ये हैं कि इस शोर शराबे के बीच कांग्रेस एक मजबूत विकल्प बन चुकी है. क्षेत्रीय दल उसके पीछे हैं और उसकी लीडरशिप में काम करने को तैयार हो गए हैं पाकिस्तान के मामले में मोदी सरकार की एक के बाद एक विफलताएं और अंतर्राष्ट्रीय फजीहत भी कांग्रेस के लिए खुशखबरी पर खुश खबरी ला रही है.

नेता के तौर पर राहुल की स्वीकार्यता

बुधवार को नई दिल्ली में संसद भवन की लाइब्रेरी में 21 विपक्षी पार्टियों की जो बैठक हुई. बैठक में सारा प्रबंधन कांग्रेस के पास रहा.  सोनिया गांधी, मनमोहन सिंह, राहुल गांधी, गुलाम नबी आजाद आदि सारे नेता इसमें शामिल हुए थे।

बैठक की अध्यक्षता और संचालन यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी ने किया। हालांकि इसमें यूपीए से बाहर की कई पार्टियां शामिल थीं पर सबने सोनिया गांधी को ही आगे किया।

यहां तक कि बैठक के बाद विपक्षी पार्टियों ने जो साझा बयान जारी किया वह भी कांग्रेस ने तैयार किया था। इसके अलावा बैठक के बाद सारे नेता मीडिया के सामने आए तो राहुल गांधी ने मीडिया को संबोधित किया।

कांग्रेस से दूरी बना रहीं दूरी बना रहीं ममता बनर्जी भी उनके बगल में खड़ी थीं तो दूसरी ओर आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू और एनसीपी प्रमुख शरद पवार भी कांग्रेस के साथ खड़े थे

पाकिस्तान के साथ लड़ाई में कमज़ोर पड़े मोदी

बीजेपी पाकिस्तान के खिलाफ या कहें आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में अबतक कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर सकी है. अब तक पीएम मोदी और बीजेपी लगातार ये कहते आते हैं कि भारत के पास आतंक से निपटने की असीम क्षमता है और वो आतंक को चुटकी में मसल सकता है. लेकिन हाल के घटना क्रम हों या आतंकवाद पर सरकार की रणनीति इन पांच साल में नुकसान ही हुआ है. यहां तक कि मरने वाले सैनिकों की संख्या भी 90% तक बढ़ गई.

पुलवामा में सीआरपीएफ के 40 जवानों की हत्या के बाद पीएम मोदी ने जितने दांव चले वो ठीक से चल नहीं पाए. सरकार ने पाकिस्तान की सीमा में घुसकर बालाकोट में आतंकवादी शिविर पर बमबारी का दावा किया लेकिन इस दावे पर पिछली सर्जीकल स्ट्राइक की तरह ही सवाल उठे. अगर बीजेपी समर्थकों को छोड़दें तो सबके मन में सवाल था कि इस स्ट्राइक में कितने लोग मारे गए. सरकार ने कोई आंकड़ा नहीं दिया . मीडिया ने संख्या 300 तक बताई लेकिन अंतर्राष्ट्रीय मीडिया ने इसे नकार दिया. रायटर्स जैसी प्रतिष्ठित एजेंसी ने तो यहां तक कह दिया कि वहां एक कौए के अलावा कोई नहीं मरा.

पायलट की रिहाई पर इमरान की कूटनीति

ग्रुप कैप्टन अभिनंदन पाकिस्तान के विमानों का पीछा करते हुए पाकिस्तान की सीमा में घुसे और पाकिस्तान की चाल का शिकार हो गए. इस घटना का नतीजा ये हुआ कि देश में बालाकोट की घटना से पैदा हुआ जुनून खत्म हो गया. सबका ध्यान कैप्टन अभिनंदन की रिहाई पर लग गया. इस रिहाई का अंत भी बेहद नाटकीय ढंग से हुआ.

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान बड़ी सफाई से दुनिया को ये संदेश देने में कामयाब हुए कि भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी चुनाव जीतने के लिए पाकिस्तान से युद्घ लड़ने को उतारू है लेकिन पाकिस्तान ने शांति का रास्ता चुना है. अपने देश की संसद के संयुक्त सत्र में इमरान ने बिना शर्त पायलट अभिनंदन की रिहाई का एलान करके साथ ही शांति की दुहाई देकर कूटनीति के स्तर पर भारत को घेर लिया . हालांकि भारत में बीजेपी समर्थक ये बताने की कोशिश करते रहे कि ये अंतर्राष्ट्रीय दबाव का नतीजा है लेकिन पायलट को कब्जे में लेने के ठीक बाद ही पाकिस्तान ने युद्ध न करने का संकल्प दोहरा दिया था जिसका मतलब साफ था कि दबाव पैदा करने के लिए भारत के पास समय ही नहीं था.

आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में नुकसान   

पुलवामा में 40 जवान खोने के बावजूद भारत अपने समर्थन में कोई माहौल बनाने में कामयाब नहीं हो सका. जवाबी हवाई हमले और कैप्टन अभिनंदन की गिरफ्तारी के बाद सारा ध्यान शांतिप्रक्रिया की तरफ केन्द्रित हो गया. जाहिर बात है थोड़ा सा वक्त बीतने के बाद ये चीज़ें मोदी सरकार के खिलाफ जनमानस बनने में बदलने लगेगा जिसका फायदा कांग्रेस को मिलेगा.

मोदी का प्रचार कार्यक्रम

देश में बड़ी विपदा थी. आतंकवादी हमले में चालीस के करीब जवान खोने को बावजूद प्रधानमंत्री मोदी अपने चुनावी दौरों में व्यस्त रहे. उन्होंने राजनीतिक गतिविधियां जारी रखीं यहां तक कि हमले के ठीक दूसरे दिन वो मुस्कुराते हुए उद्घाटन करते नज़र आए और ये तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हुई. जबकि इस समय तक शहीदों का अंतिम संस्कार तक नहीं हुआ था. मोदी ने अपनी चुनावी रैलियां तक बदस्तूर जारी रखी. जब कैप्टन अभिनंदन दुश्मन की कैद में था और भारत तथा पाकिस्तान में उसकी रिहाई के लिए प्रदर्शन हो रहे थे मोदी  पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ वीडियो कांफ्रेंस में व्यस्त थे. इसेक लिए वो विपक्षा का निशाना भी बने. शहीदो के अंतिम संस्कार में पार्टी नेताओं की हंसती हई तस्वीरों के कारण भी पार्टी की किरकिरी हुई.

सैनिकों की शहादत का सिलसिला जारी

पुलवामा के बाद भी लगातार सैनिकों की शहादत का सिलसिला रुका नहीं. जिसे पार्टी चुटकियों में मसल देने का काम मानकर चल रही थी वो रणनीति में कमज़ोरी के कारण शहादत का सबब बनी. कश्मीर में चल रही मुठभेड़ों में हद दूसरे तीसरे दिन जवानों की मौत हो रही है. इस बीच पुलवामा में मारे गए शहीदों की शहादत का बदला अभी लिया जाना बाकी है.

चुनावों के अनुमान

इंडिया टुडे ग्रुप में 1 मार्च को अपने कंक्लेव में करीब 8 चुनाव विशेषज्ञों को एक साथ बैठाया . सबकी राय यही थी कि बीजेपी के लिए पुलवामा और पाकिस्तान में ऑपरेशन के बावजूद हालात बहुत अच्छे नहीं हैं. उसके लिए खुद की दम पर सरकार बनाना मुश्किल होगा जैसे जैसे शांति होगी और चुनाव नज़दीक आएंगे तस्वीर और बदलेगी.

इन हालात के बीच कांग्रेस पार्टी बेहद उत्साहित है. एक तरफ सरकार के उस दावे को ठेस लगी है जिसमें कहा जा रहा था कि आतंक से लड़ना बेहद आसान है लेकिन सत्तर साल में कमजोर नीति के कारण ये बढता रहा तो दूसरी तरफ विपक्षी पार्टियां राहुल गांधी के इर्दगिर्द इकट्टा होने लगी.

जाहिर बात है जैसे जैसे सीमा का तनाव कम होगा ये मुद्दे जोर शोर से सामने आएंगे और पार्टी के लिए हालात और खुशनुमा होते जाएंगे.  

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