सबसे बड़ा सवाल, क्या सचमुच हो सकती है ईवीएम में गड़बड़ी, यहां है जवाब

नई दिल्ली:  इस बार खास तौर पर उत्तर प्रदेश चुनाव के नतीजे ऐसे आए जिन पर वो लोग भी भरोसा नहीं कर पा रहे हैं जो बीजेपी दफ्तर के बाहर ठुमके लगा लगा कर अपनी टांगे दुखा चुके हैं. दूसरे शब्दों में कहें तो किसी को समझ नहीं आ रहा कि बीजेपी को इतनी सीटें कैसे मिल गईं. देवबंद के मुसलमानों ने बीजेपी को वोट कैसे दे दिया. जाटवों की बस्ती में भी बीएसपी को वोट क्यों नहीं मिले और अमेठी रायबरेली में भी बीजेपी को 6 सीटें कैसे मिल गईं ?

दिन चढ़ते चढ़ते ये सवाल बड़ा सवाल बन गया और बीएसपी सुप्रीमो मायावती इस सवाल का एक जवाब लेकर आईं. उनकी बात चूंकि असहमति का स्वर थी तो उसे मज़ाक में उड़ाया जाने लगा. लेकिन कुछ सवाल हैं जिन्हें नकारा नहीं जाना चाहिए. ईवीएम को लेकर ये बवाल नया नहीं है. पूरी दुनिया में इस पर सीरियस सवाल उठते रहे हैं.

  1. क्या ईवीएम में गड़बड़ी संभव है?

उत्तर- जी बिल्कुल संभव है. इवीएम मशीन सॉफ्टवेयर से चलती है और आप सॉफ्टवेयर  की गतिविधियों को देख नहीं सकते. किसी भी सॉफ्टवेयर में बदलाव संभव है. उसके लिए स्क्रू ड्राइवर की ज़रूरत नहीं होती. सॉफ्टवेयर एक वायरस की तरह मशीन में डाला जा सकता है और उन्हें हैक किय जा सकता है. 13 सितंबर 2006 में डाइवोल्ड इलैक्ट्रानिक वोटिंग मशीन को कैसे हैक किया जा सकताहै इसका बाकायदा प्रदर्शन किया गया. प्रिंस्टन के कंप्यूटर साइंस के प्रोफेसर  Edward Felten ने एक मालवेयर लगाकर बताया कि बिना मशीन को छुए या उसके पास गए मशीन के मेमोरी कार्ड पर वोटों की संख्या को बदला जा सकता था. ये मॉलवेयर एक ऐसा वायरस अपने आप तैयार कर लेता था जो अपने आप एक मशीन से दूसरी मशीन तक चला जाता था.

  1. किस तरह की गडबड़ी संभव है?

उत्तर- a- किसी मशीन में दिया जाने वाला हर पांचवा, छठा या दसवां (जो भी वोट आप प्रोग्राम करें) अपने आप आपकी चहेती पार्टी के खाते में जा सकता है. मतदाता वही बटन दबाएगा बत्ती भी मतदाता के पसंद किए गए चुनाव चिन्ह के सामने जलेगी लेकिन वोट वहीं जाएगा जहां कि सॉफ्टवेयर डालेगा.

b- ईवीएम में वोट उतने ही रजिस्टर रहें लेकिन ईवीएम से डाटा ट्रांसफर कर ते समय गणना वाले कंप्यूटर में बदल जाए और वो हैकर की मर्जी के आंकडे दिखा दे.

  1. क्या ईवीएम में गड़बड़ी पहले भी हो चुकी है?

उत्तर- जी हां 2005 में Black Box Voting नाम की संस्था ने पूरी ये साबित करने दिखाया कि किस तरह ईवीएम को हैक किया जा सकता है.लियोन काउंटी के में उन्होने एक मॉक चुनाव आयोजित किया और बाकायदा गड़बड़ी करके दिखाई. ये जानकारी तफ्सील से विकीपीडिया पर ली जा सकती है.

13 सितंबर 2006 में डाइवोल्ड इलैक्ट्रानिक वोटिंग मशीन को कैसे हैक किया जा सकताहै इसका बाकायदा प्रदर्शन किया गया.प्रिंस्टन के कंप्यूटर साइंस के प्रोफेसर  Edward Felten ने एक मालवेयर लगाकर बताया कि बिना मशीन को छुए या उसके पास गए मशीन के मेमोरी कार्ड पर वोटों की संख्या को बदला जा सकता था. ये मॉलवेयर एक ऐसा वायरस अपने आप तैयार कर लेता था जो अपने आप एक मशीन से दूसरी मशीन तक चला जाता था.

  1. क्या गड़बड़ी होने पर जांच संभव है?

जी नहीं. वोटिंग मशीन की इस बात के लिए पिछले 10 साल से ज्यादा आलोचना होती रही है क्योंकि इसमें पड़ने वाले वोटों का ऑडिट नहीं किया जा सकता. मतलब एक बार डाटा चला गया फिर आप कुछ नहीं कर सकते

  1. मशीन का गुप्त ज्ञान

ईवीएम में अंदर क्या है इसका पता लगाया ही नहीं जा सकता. एक्सपर्ट लगातार मांग करते रहे हैं कि ईवीएम का सॉफ्टवेयर सबको उपलब्ध होना चाहिए ताकि वो जांच कर सकें कि कहीं गड़बड़ तो नहीं है.

क्या कहा था बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने

बसपा सुप्रीमो मायावती ने यूपी विधानसभा चुनावों में हार के बाद ईवीएम पर गड़बड़ी का आरोप लगाया. इतना ही नहीं उन्होंने चुनाव रद्द करके दोबारा से बैलेट पेपर से चुनाव कराने को कहा.

मायावती ने कहा कि ईवीएम की गड़बड़ी के चलते उनकी पार्टी चुनाव हारी है. उन्होंने कहा कि रिपोर्ट के मुताबिक मुस्लिम बहुल इलाकों में भी ज्यादातर वोट भाजपा को ही मिले है. जिससे आशंकाओं को और बल मिलता है क्योंकि भारतीय जनता पार्टी ने किसी भी मुस्लिम को उम्मीदवार नहीं बनाया. जबकि यूपी में 18 से 20 प्रतिशत मुस्लिम वोट बैंक है. उसके बावजूद भाजपा को जीत मिली है. ये बात हमारे पार्टी के ही नहीं किसी के भी गले में नहीं उतर रही है.

उन्होंने कहा कि 2014 के चुनावों में भी ईवीएम में इस तरह की गड़बड़ी की आशंका व्यक्त की गई थी. उत्तर प्रदेश में वोटिंग मशीन की यह चर्चा आम रही है बटन कोई सा भी दबाओ वोट बीजेपी को ही जाएगा. उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र के निकाय चुनावों में भी इस तरह की गड़गड़ी का आरोप लगा है. आखिरी चरण से पहले मेरी प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान एक पत्रकार ने यह सवाल किया था. उन्होंने कहा कि वह पत्रकार आज नजर भी नहीं आ रहा है.

मायावती ने कहा कि इस मुद्दे पर अब खामोश रहना लोकतंत्र के लिए हानिकारक होगा और भाजपा को चेतावनी दी कि अगर वह दूध का दूध पानी का पानी सामने लाना है तो पुरानी व्यवस्था के तहत चुनाव कराए. उन्होंने अमित शाह को चेतावनी दी कि वह चुनाव आयोग को लिखकर दे और थोड़ी सी भी ईमानदारी है बाकी है तो बैलेट पेपर से चुनाव कराए.