दिल्ली के चीफ सेक्रेटरी को हटाने का प्रस्ताव विधानसभा में पारित, जानिए हटेंगे या टिकेंगे

नई दिल्लीः दिल्ली विधानसभा में शुक्रवार को मुख्य सचिव अंशु प्रकाश को हटाने की मांग को लेकर एक प्रस्ताव पारित किया गया. प्रस्ताव सत्तारूढ़ दल की चांदनी चौक से विधायक अल्का लांबा ने रखा.

उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने सदन को बताया कि मुख्य सचिव ने शुक्रवार को मंत्रिमंडल की होने वाली बैठक से पहले एक नोट भेजा है जिसमें कहा गया है कि राजधानी में सीसीटीवी कैमरा लगाने का फैसला ‘जल्दबाजी’ में लिया गया है. सिसोदिया ने यह बयान मुख्यमंत्री की सदन में उस घोषणा के बाद दिया जिसमें कहा गया कि मंत्रिमंडल ने दिल्ली में सीसीटीवी कैमरा लगाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है.

प्रस्ताव में प्रकाश को तुरंत मुख्य सचिव पद से हटाने की मांग की गयी है. यह भी कहा गया है कि सरकार ने सीसीटीवी कैमरा लगाने के फैसले को अक्टूबर 2015 में ही मंजूरी दे दी थी. इसके बावजूद इसके क्रियान्वयन में देरी की गयी जिसकी जांच की जानी जरूरी है.

इससे पहले किसी को रखने या हटाने और ट्रांसफर पोस्टिंग के मामले में दिल्ली के एलजी हाईकोर्ट के फैसले पर सवाल उठा चुके हैं. इसके बाद मामला अदालत में है अगर हाईकोर्ट कहताहै कि ट्रांसफर पोस्टिंग का अधिकार दिल्ली सरकार के पास है तो अंशु प्रकाश को जाना ही होगा .

इससे पहले आम आदमी पार्टी (AAP) से सांसद और पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता संजय सिंह ने दिल्ली के मुख्य सचिव अंशु प्रकाश पर भ्रष्टाचारियों से मिले होने का आरोप लगाया था. उन्होंने कहा कि अरुणा आसफ अली अस्पताल के एचओडी ने अस्पताल में हो रहे भ्रष्टाचार के संबंध में विभाग, मुख्य सचिव अंशु प्रकाश और सतर्कता अधिकारियों को लगभग 10 से ज्यादा बार लिखित में शिकायत की, जिसके सारे साक्ष्य मौजूद हैं. मगर तब भी कोई कार्रवाई नहीं की जा रही.

बृहस्पतिवार को एक पत्रकार वार्ता में सिंह ने कहा कि अस्पताल के एचओडी ने मुख्य सचिव को यह सोचकर शिकायत की थी कि वो इस भ्रष्टाचार पर कोई सख्त कार्रवाई करेंगे, लेकिन अब तक कुछ नहीं किया गया.

पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता दिलीप पांडेय ने कहा कि एक विभाग का अधिकारी दर्जनों प्रमाण के साथ मुख्य सचिव अंशु प्रकाश और उपराज्यपाल कार्यालय पर 10 लाख रुपये की दलाली खाने का गंभीर आरोप लगा रहा है, लेकिन कहीं कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है. उल्टा मुख्य सचिव शिकायत की फाइल को दबाकर बैठे हैं और भ्रष्टाचारियों के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय शिकायतकर्ता को फंसाने की कोशिश की जा रही है.

 

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