देश के सैनिकों के साथ गंभीर खिलवाड़, ,सीएजी की ये रिपोर्ट आंखें खोल देगी

देश के सैनिकों के नाम पर वोट मांगने वाली सरकार में सैनिकों का ये हाल है. भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक यानी CAG ने देश में बनने वाले डिफेंस इक्विपमेंट की क्वालिटी पर गंभीर पर सवाल खड़े किए हैं. कैग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि पैराशूट फैक्ट्री ने बेहद घटिया गुणवत्ता वाले पैराशूट का उत्पादन किया है. इसकी वजह से सेना की तैयारियां भी प्रभावित हुई हैं. सिर्फ यही नहीं बार—बार शिकायत के बाद भी फैक्ट्री पैराशूट की कमियों को दूर नहीं कर सकी. कैग के निशाने पर कानपुर की आयुध पैराशूट फैक्ट्री (ओपीएफ) है.

 

कैग ने इस संबंध में मंगलवार (7 अगस्त) को अपनी रिपोर्ट संसद में पेश की थी. रिपोर्ट में कैग ने बताया, भारतीय सेना कुल 11 किस्म के पैराशूट का इस्तेमाल करती है. लेकिन आयुध पैराशूट फैक्ट्री सिर्फ 5 किस्म के पैराशूट बनाती है. शेष सभी पैराशूट विदेशों से खरीदे जा रहे हैं. देश में पैराशूट बनाने का जिम्मा कानपुर स्थित ओपीएफ के पास है. लेकिन फैक्ट्री द्वारा बनाए गए पैराशूटों की गुणवत्ता में कई खामियां पाई गईं हैं. सेना की चिंता है कि इन पैराशूटों से मानवों को उतारना खतरनाक है.

 

रिपोर्ट में बताया गया है कि साल 2014 से 2017 के बीच ओपीएफ ने कुल 730 पैराशूट का उत्पादन किया है. इनकी कीमत 10.80 करोड़ रुपये के आसपास थी. लेकिन इन्हें सेना ने रिजेक्ट कर दिया. इसके पीछे सेना ने कई कारण बताए. जैसे बीपीएसयू-30 पैराशूट में दोनों कैनोपी पर व्हिपिंग ढीली हो गई और पुली के सिरे पर चढ़ गई. जबकि पीपी चेस्ट टाइप पैराशूट के सहायक पैराशूट में छेद पाया गया. पीपी मिराज 2000 पैराशूट में हारनेस असेंबली का लैप स्ट्रैप समायोजन के लिए बहुत कड़ा था. छोटे कद, छोटी लंबाई इत्यादि से यह असुविधा हो रही थी.

 

कैग ने कहा कि पैराशूट फैक्ट्री साल 2012-17 के दौरान सिर्फ पांच बार ही पैराशूट समय पर तैयार कर पाई जबकि 19 मौकों पर देरी की गई. दूसरे, पैराशूटों में गुणवत्ता की खामियों की वजह से तीनों सेनाओं की संचालन तैयारियों तथा उड़ान प्रतिबद्धताओं को प्रभावित किया. निरीक्षण के दौरान पैराशूट में इस्तेमाल किए गए कपड़ों में भी दोष पाए गए. कई जगह कपड़ों में छेद पाए गए जो पैराशूट की उड़ान के लिए घातक होता है.

 

कैग ने यह भी कहा कि नए विकसित सीएफएफ एवं एचडी पैराशूटों का थोक उत्पादन गुणवत्ता मानकों का समाधान नहीं हो पाने के कारण शुरू नहीं हो सका. नतीजा यह हुआ कि 9 से 11 साल के इंतजार के बाद भी सेनाओं को ये पैराशूट नहीं मिल पाए. कैग ने इस बात पर भी नाराजगी प्रकट की है कि ओएफबी ने इस मुद्दे पर मंत्रालय के प्रश्नों का जवाब नहीं दिया.

Leave a Reply