मुसलमानों को बदनाम करने के लिए बीजेपी ने रची ये साजिश, गरीबों को फंसाया

नई दिल्ली : चैंपियंस ट्रॉफी में पाकिस्तान के हाथों जब भारत हारा तो एक बीजेपी का राजनीतिक गेम शुरू हो गया. मध्यप्रदेश की बीजेपी की सरकार ने 15 लोगों को गिरफ्तार कर लिया. आरोप लगाया गया कि ये लोग पाकिस्तान की जीत पर खुशियां मना रहे थे. आनन फानन में राजद्रोह का मुकदमा भी लाद दिया गया. हर तरफ मीडिया में ये संदेश चला गया कि लोग पाकिस्तान की जीत पर पटाखे चला रहे थे. सोशल मीडिया पर भी माहौल बन गया. लेकिन बाद में कोई सभी आरोपियों से केस वापस ले लिया. कहा गया कि सबूत नहीं मिला है. जाहिर बात है तब तक सबका ध्यान क्रिकेट से हट गया था. लेकिन एक संदेश समाज में जा चुका था कि एक खास वर्ग के लोग पाकिस्तान के समर्थन मे पटाखे चलाते हैं.

करीब 10 दिनों तक जेल में में रहने के बाद रिहा हुए इन लोगों ने मीडिया से अपना दर्ज साझा करते हुए बताया कि उनसे कारावास में पखाना और नाली साफ करवाए गए और कुछ कैदी उन्हें “गद्दार” कहते थे. पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए अनीस बाबू मंसूरी के हवाले से हिन्दुस्तान टाइम्स ने खबर दी है कि जब उन लोगों को जेल ले जाया गया तो वहां के करीब एक दर्जन पुराने कैदियों ने हर किसी को थप्पड़ मारा और गालीगलौज की. मंसूरी पेशे से दर्जी हैं.

25 वर्षीय मंसूरी ने एचटी को बताया कि पुलिस ने हिरासत में उनकी पिटाई भी की थी. पुलिस द्वारा कथित तौर पर की गी पिटाई के निशान दिखाते हुए मंसूरी ने अखबार से कहा, “हम मुसलमान हैं तो हिन्दुस्तानी भी हैं.” मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से करीब 350 किलोमीटर दूर बुरहानपुर गांव के रहने वाले इन 15 लोगों पर 18 जून को हुए भारत पाकिस्तान मैच के बाद मुकदमा दर्ज किया गया था.

पुलिस ने आरोप लगाया था कि इन लोगों ने भारत के हारने के बाद पटाखे जलाए थे और पाकिस्तान समर्थक नारे लगाए थे. जब पुलिस को कोई सबूत-गवाह नहीं मिला तो उसने सभी 15 लोगों पर के राजद्रोह (धारा 124-ए ) का केस हटाते हुए सांप्रदायिक विद्वेष फैलाने (धारा 53-ए) का मामला दर्ज कर दिया. सभी लोगों को 27 जून को अदालत से जमानत मिली.

जिन 15 लोगों पर मामला दर्ज किया गया है उनमें से दो को छोड़कर बाकी अनपढ़ हैं और दिहाड़ी मजदूर के तौर पर काम करते हैं. कुछ के घर में न तो टीवी है और न ही मोबाइल. कुछ गांववालों का आरोप है कि भारत और पाकिस्तान के क्रिकेट मैच के बाद पुलिस दो-तीन दिन गांव में घूमती रही और जिसे मन उसे उठा लिया. गिरफ्तार किए गए लोगों में कई तडवी उपनाम लगाते हैं. पडो़सी राज्य महाराष्ट्र में तडवी आदिवासी वर्ग में शामिल हैं लेकिन मध्य प्रदेश में वो अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के तहत आते हैं.