केजरीवाल ने जब मोदी को सामने बिठाकर सुनाई खरी-खरी, मोदी ने दिया ये जवाब

नई दिल्ली। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मोदी के समाने उनपर बडे सवाल उठाकर सनसनी फैला दी. केजरीवाल ने किसी का नाम तो नहीं लिया सरकार पर भी आरोप नहीं लगाया लेकिन साफ कहा कि दिल्ली हाईकोर्ट के जजों के फोन रिकॉर्ड किए जा रहे हैं ताकि फैसलों पर असर डाला जा सके. उन्होंने कहा कि इस बात का डर ‘व्यापक तौर पर’ फैला हुआ है कि जजों के फोन टैप किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि यदि यह बात सच है तो यह न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर सबसे बड़ा हमला है। जब केजरीवाल ये कह रहे थे तो मोदी ध्यान से सुन रहे थे.

केजरीवाल का प्रहार

केजरीवाल ने दावा किया कि जजों के साथ अपनी बैठकों में उन्होंने ‘उन्हें (जजों को) आपस में एक-दूसरे से यह कहते हुए सुना है कि उन्हें फोन पर बात नहीं करनी चाहिए क्योंकि उन्हें टैप किया जा सकता है।’ मुख्यमंत्री ने कहा कि जब उन्होंने जजों को बताया कि उनके फोन टैप नहीं किए जा सकते, तो ‘उन्होंने जवाब में कहा कि सभी फोन टैप किए जा सकते हैं।’ उन्होंने कहा, ‘मैं नहीं जानता कि यह बात सच है या नहीं लेकिन इस बात का डर व्यापक तौर पर फैला हुआ है। यदि यह सच है कि फोन टैप किए जा रहे हैं तो जजों को प्रभावित किया जा सकता है।’ मोदी लगातार सुनते रहे और केजरीवाल बोलते रहे. दिल्ली हाई कोर्ट के स्वर्ण जयंती समारोह में अरविंद केजरीवाल ने ये बातें कहीं।  केजरीवाल ने न्यायपालिका में रिक्तियों पर भी बोलते हुए इसे चिंता का विषय बताया। उन्होंने कहा कि नियुक्ति में देरी अफवाहों को हवा देती है, जो लोकतंत्र के लिए अच्छा नहीं है।

चीफ जस्टिस ने भी मोदी को घेरा

चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर ने कहा कि जिस तरह से हर राजनेता का मक्का दिल्ली होता है इसी तरह जजों को भी दिल्ली आना होता है। 4 चीफ जस्टिस ऐसे रहे हैं जिनका दिल्ली से कोई न कोई ताल्लुक रहा है। आने वाले समय में दिल्ली हाई कोर्ट के सामने और भी चुनौती आने वाली हैं। उन्होंने केजरीवाल की तारीफ करते हुए कहा कि उन्होंने फाइनेंशियल मदद की पेशकश की और हाई कोर्ट के विस्तार का समर्थन किया, इससे खुशी हुई है।

वहीं, रविशंकर प्रसाद ने केजरीवाल के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि फोन टैप किए जाने की बात गलत है। मोदी सरकार न्यायपालिका की स्वतंत्रता के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।

चूंकि मोदी को सूझा नहीं क्या जवाब दें तो वे बोले- इसी कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि मुझे कभी कोर्ट जाने का अवसर तो नहीं मिला लेकिन मैंने सुना है कि वहां बहुत गंभीर माहौल होता है। मोदी ने माहौल को खुशनुमा बनाने की कोशिश करते हुए कहा कि उस गंभीरता का असर यहां भी दिखाई दे रहा है- कुछ तो मुस्कुराइए।

मोदी ने कहा कि देश में न्याय का दायरा सीमित था लेकिन अब ऐसा नहीं है। न्यायपालिका के सामने चुनौतियां बढ़ी हैं। 20 साल पहले राजनीति इतनी मीडिया ड्रिवेन नहीं थी। ज्यूडिशियल सर्विस को लेकर विवाद रहे हैं लेकिन डेमोक्रेसी में चर्चा जरूरी है। आवश्यकता है कि कोर्ट्स का बोझ कुछ कम हो जाए। दबे-कुचले लोगों को भी सिस्टम में लेकर आना होगा।