ट्रंप को मात पर मात दे रहे हैं किम जोंग, पहले धमकाया, अब धर्म संकट में डाल दिया

सोल : चीन और उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग ने डोनाल्ड ट्रंप की सारी कूटनीति को धराशायी कर दिया है. किम जोंग के बहाने दक्षिण कोरिया में घुसने की कोशिश कर रहे अमेरिका को धीरे धीरे दोनों देश अपने घर की ओर धकेल रहे हैं. थोड़ी देर पहले ही  उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन ने दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति मून जे इन के विशेष राजदूत के साथ मिलकर ये संदेश दिया कि दोनों कोरिया अमेरिका के लड़ाओ भिड़ाओ और फायदा उठाओ को जाल में फंसने को तैयार नहीं है.

इस मुलाकात का उद्देश्य दोनों देशों के बीच मधुर संबंध बनाना बताया गया था. दक्षिण कोरिया का कहना है कि उत्तर कोरिया ने परमाणु हथियारों और मिसाइलों के परीक्षणों पर रोक लगाने पर सहमति जताई है. इतना ही नहीं दक्षिण कोरिया के प्रेजिडेंशल नेशनल सिक्यॉरिटी डायरेक्टर ने साफ कहा कि कि उत्तर कोरिया परमाणु परीक्षण रोकने को तैयार हो गया है. उन्होने संदेश दिया कि अमेरिका को अब बातचीत के लिए तैयार हो जाना चाहिए. इससे पहले भी किम जोंग अमेरिका से बातचीत की इच्छा जता चुके हैं.

दक्षिण कोरिया की तरफ से कहा गया कि उत्तर कोरिया इसलिए परमाणु परीक्षण बंद नहीं कर रहा क्योंकि उसे लगता है अमेरिका की तरफ से मिल रही धमकियों के कारण वो असुरक्षितहै. अगर सुरक्षा का भरोसा मिल जाता है तो वो परीक्षण तो दूर हथियार इस्तेमाल नहीं करने का वादा भी कर सकता है. दोनों देश अप्रैल के आखिर में फिर  बातचीत करेंगे. भारत और पाकिस्तान को भी उत्तर और दक्षिण कोरिया से सीख लेनी चाहिए. दशकों से अमेरिका दोनों देशों को आपस में भिड़ाकर अपना उल्लू सीधा करता रहा है. पहले उसने पाकिस्तान को लारी लप्पा दिया अब भारत को भरमाए हुए है.

किम और दक्षिण कोरिया के राजदूतों ने कोरियाई प्रायद्वीप में सैन्य तनावों को कम करने और वार्ता एवं सहयोग को बढ़ावा देने के लिए अपने विचारों का आदान-प्रदान किया. समाचार एजेंसी के मुताबिक, किम जोंग उन ने सोल के प्रतिनिधिमंडल के साथ गंभीर वार्ता की और दोनों देशों के बीच के संबंधों को बढ़ाने और राष्ट्रीय पुनर्एकीकरण का नया इतिहास लिखने की अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति साझा की.

गौरतलब है कि फरवरी की शुरुआत में किम जोंग-उन की बहन किम यो जोंग ने शीतकालीन ओलम्पिक के मौके पर दक्षिण कोरिया का ऐतिहासिक दौरा किया था और मून को उत्तर कोरिया आने का न्योता दिया था. दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति मून ने इस निमंत्रण का स्वागत किया था. ये सारा नतीजा किम यो जोंग की कूटनीति के ज़रिए ही सामने आया है.