नई दिल्ली: पूर्व राष्ट्रपति बराम ओबामा ने कहा है कि उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान प्रधानमंत्री मोदी को एक व्यक्तिगत बातचीत में सलाह दी थी कि वो भारत को किसी भी स्थिति में सांप्रदायिक आधार पर नहीं बंटने दें. शुक्रवार को बराक ओबामा ने इस बात पर जोर दिया था कि मुसलमानों की भारतीय समाज में विरासत और उनके अपनेपन को सहेजकर रखें. ओबामा के मुताबिक यहां के मुसलमान कभी अपनी पहचान को भारत से अलग नहीं मानते.
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!ओबामा ने हिंदुस्तान टाइम्स लीडरशिप शिखर सम्मेलन में कहा कि ‘एक देश को सांप्रदायिक आधार पर विभाजित नहीं किया जाना चाहिए और ऐसा मैने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से व्यक्तिगत तौर पर कहा था.”
उन्होंने कहा कि ‘लोग अपने बीच के फर्क पर तो बहुत ध्यान देते हैं लेकिन अपने बीच की जो समानता है या एक जैसी बातें हैं उन्हें नज़रअंदाज़ कर देते हैं. जब ओबामा से पूछा गया कि मोदी ने धार्मिक सहिष्णुता के उनके निजी संदेश पर क्या कहा था, ओबामा ने कहा कि उनका लक्ष्य अपनी निजी बातचीत का खुलासा करना नहीं है. दूसरे शब्दों में कहें तो ओबामा इसे टाल गए.
ओबामा ने कहा कि भारत के बहुसंख्यक समुदाय और सरकार को इस तथ्य को ध्यान में रखने की जरूरत है कि अल्पसंख्यक, खास तौर से मुस्लिम भारत में अपनी पहचान को भारतीय समाज के भाग के तौर पर मानते हैं. पूर्व राष्ट्रपति ने कहा, ‘भारत जैसे देश में जहां मुस्लिमों की एक ऐसी आबादी है जो बेहद अच्छी तरह से भारत में घुली मिली है और अपने को भारतीय के रूप में मानती है, ऐसा बहुत से देशों में नहीं है, इसे पोषित किया जाना चाहिए.’ इस प्रवृति को बढ़ावा देना चाहिए और उसे इज्जत मिलनी चाहिए.
उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में सबसे प्रमुख पद राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री का पद नहीं है, बल्कि नागरिकों का पद है, जिसे खुद से सवाल करने की जरूरत हैं कि वे किसी खास राजनेता का समर्थन करके किस तरह की विचारधारा को प्रोत्साहित कर रहे हैं.
ओबामा ने कहा, “अगर आप किसी नेता को कुछ ऐसा करते देखें जो सही नहीं हो, तो आप खुद से पूछें ‘क्या मैं इसका समर्थन करता हूं?’ नेता उन दर्पणों की तरह होते हैं जिनसे सामुदायिक सोच प्रतिबिंबित होती है. अगर पूरे भारत में तमाम समुदाय यह तय कर लें कि वे विभाजन की सोच का शिकार नहीं बनेंगे तो इससे उन नेताओं के हाथ मजबूत होंगे जो ऐसा सोचते हैं.’