6 लाख को बेरोजगार कर देगी ड्राइवर रहित कैब, फिलहाल लोगों को मिल रही है फ्री सवारी

दुनिया की सबसे पहली ड्राइवर रहित कैब आने के बाद बड़ी संख्या में बेरोजगारी का खतरा खड़ा हो गया है. इस कैब के आने के साथ ही सिंगापुर में सीधे 6 लाख ड्राइवरों के सामने रोज़गार का खतरा खड़ा हो जाएगा. फिलहाल सिंगापुर में करीब 9 लाख कैब चल रही हैं जिन्हें से 6 लाख बंद करके ड्राइवर रहित कैब लगा दी जाएंगी. सिंगापुर में फिलहाल 9,00,000 कैब हैं. ड्राइवरलेस कैब के सफल होते ही वहां सिर्फ 3,00,000 कैब बचेंगी. भविष्य में ऐप से ड्राइवर रहित कैब को कहीं भी  बुलाया जा सकेगा. ऐप के जरिये पेमेंट करने और पता डालने के बाद सवारी की जा सकेगी.

 

सिंगापुर में नु टोनोमी कंपनी ने ड्राइवरलेस कैब सड़क पर उतारी हैं. कंपनी ने फिलहाल छह कारें उतारी हैं. 2016 के अंत तक इनकी संख्या बढ़ाकर एक दर्जन कर दी जाएगी. नु टोनोमी 2018 के अंत तक सिंगापुर को पूरी तरह ड्राइवरलेस टैक्सियों वाला शहर बनाना चाहती है.

गुरुवार को इस योजना की शुरुआत हुई. छह टैक्सियों के लिए अभी 6.5 वर्गकिलोमीटर का इलाका तय किया गया है. बिना ड्राइवर वाली कैब में सफर करने के लिए फिलहाल यात्रियों को अपना रजिस्ट्रेशन करवाना पड़ रहा है. ऐसा बीमा संबंधी नियमों के चलते किया जा रहा है. अब तक हजारों लोग अपना रजिस्ट्रेशन करवा चुके हैं. कैब की सवारी मुफ्त है, लेकिन इसमें वही लोग सवार हो सकते हैं, जिन्हें गाड़ी चलानी आती हो. यात्रियों को स्टीयरिंग के सामने बैठना होता है. कंपनी के मुताबिक ऐसा एहतियातन किया जा रहा है.

25 साल की ओलिविया सेओव इस कैब की सवारी करने वाले लोगों में शुमार हुई. टेस्ट राइड के बाद ओलिविया ने कहा, “कार में बैठते ही मैं थोड़ी नर्वस जरूर हुई. स्टीयरिंग अपने आप घूम रहा था. ऐसा लगा जैसे कोई भूत या कुछ और हो.” लेकिन थोड़ी देर बाद वह सहज हो गईं. कार चिड़ियां और खड़ी मोटरसाइकिल या साइकिलों का भी ख्याल रखते हुए आगे बढ़ती गई. ओलिविया कहती हैं, “जो चीजें मैं अपनी आंखों से नहीं देख पा रही थी वह भी कार देख रही थी. मुझे अहसास हुआ कि मैं कार पर भरोसा कर सकती हूं.” किसी चीज के सामने आने पर कार खुद ब्रेक लगा रही थी. लेन बदलने से पहले कार इंडिकेटर भी देती रही.

रेनॉ और मित्सुबिशी की ड्राइवरलेस कैब एक खास ऐप से चल रही हैं. हर कार में छह लिडार लगे हुए हैं. लिडार, रडार सिस्टम की तरह है, लेजर से चलने वाला यह सिस्टम अपने आस पास मौजूद हर चीज को स्कैन करता है. कार के डैशबोर्ड पर दो कैमरे लगे हैं जो लाल, पीली और हरी ट्रैफिक लाइट डिटेक्ट करते हैं. कार की छत पर भी डिटेक्शन सिस्टम लगा है.

नु टोनोमी के सीईओ कार्ल आईआंगेनेमा के मुताबिक, “सड़कों से बहुत सारी कारों के हटने के बाद कई तरह की संभावनाएं सामने आएंगी. छोटी सड़कें बनाना संभव होगा, पार्किंग का आकार भी कम होगा. भविष्य में लोगों और शहरों के बीच संवाद बिल्कुल बदल जाएगा.”

अमेरिका में टेस्ला कंपनी भी ड्राइवरलेस कारों का परीक्षण कर रही है. जर्मन कंपनी मर्सिडीज तो ड्राइवरलेस ट्रक और बसें भी बनाने लगी है. स्वीडन की कार कंपनी वोल्वो भी ड्राइवरलेस कार उतारने का एलान कर चुकी है. एप्पल, गूगल और उबर कैब सर्विस भी अपने अपने टेस्ट कर रहे हैं. जाहिर है बेहतर सॉफ्टवेयर, बेहतर डिटेक्शन सिस्टम और अच्छे जीपीएस की मदद से ड्राइवरलेस कारें काफी तेजी से अपनी जगह पाने जा रही हैं. 21वीं सदी परिवहन के पारंपरिक तरीके को बदलने जा रही है.