पीएमओ एलर्ट होता तो बच सकती थी स्वामी सानंद की जान, आरटीआई से खुलासा

अगर पीएम मोदी ने पहल की होती तो पर्यावरणविद और गंगा के लिए अभियान चलाने वाले कार्यकर्ता प्रोफेसर जीडी अग्रवाल यानी स्वामी सानंद की जान बच सकती थी.  अग्रवाल की मौत के एक महीने बाद आरटीआई से बड़ा खुलासा हुआ है. आरटीआई के अनुसार, जीडी अग्रवाल ने पीएमओ को पत्र लिखकर पवित्र गंगा नदी के संरक्षण के लिए विशेष कदम उठाने की मांग की थी, लेकिन उनके इस पत्र पर किसी तरह का एक्शन नहीं लिया गया. उनकी चिट्ठी पर पीएमओ ने ध्यान ही नहीं दिया.  11 अक्टूबर को ऋषिकेश स्थित एम्स में अग्रवाल की मौत हो गई थी.

 

वे गंगा संरक्षण अधिनियम को पारित करने, गंगा नदी पर प्रस्तावित और निर्माणाधीन सभी जल विद्युत परियोजनाओं को तोड़ने, हरिद्वारा में गंगा नदी में रेत खनन पर रोक लगाने और नदी से संबंधित मामले को देखने के लिए एक अलग परिषद का गठन करने की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन अनशन पर बैठे हुए थे. जिस दिन उनकी मौत हुई वह अनिश्चितकालीन अनशन का 112 वां दिन था.

 

अग्रवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपना पहला पत्र 24 फरवरी को लिखा था. इसके बाद फिर से 13 जून और 23 जून को पत्र लिखा. उन्होंने अपने पत्र के माध्यम से आग्रह किया था कि गंगा को स्वच्छ बनाने और इसकी अविरलता को बनाए रखने के लिए ठोस कदम उठाया जाए. हालांकि, हरिद्वारा स्थित मैत्री सदन आश्रम के संतों के अनुसार, प्रधानमंत्री की तरफ से इस पत्र का किसी तरह का जवाब नहीं आया. बता दें कि इसी आश्रम में अग्रवाल अनशन पर बैठे थे.

 

सिटिजन फॉर जस्टिस एंड पीस एनजीओ के बिहार के एक्टिविस्ट उज्जवल कृष्णम ने 14 अक्टूबर को एक आरटीआई दाखिल किया था. इसके जवाब में पीएमओ ने लिखा कि 13 जून और 23 जून के पत्र को जल संसाधन मंत्रालय, नदी विकास और गंगा जीर्णोद्धार मंत्रालय के सचिव के पास 20 अगस्त को उचित कार्रवाई लिए भेजा गया था.

 

इंडियन एक्सप्रेस द्वारा केन्द्रीकृत लोक शिकायत निवारण और निगरानी प्रणाली (सीपीजीआरएएमएस) के ऑनलाइन पोर्टल पर छानबीन करने पर पता चलता है कि 28 अगस्त को अग्रवाल द्वारा दिए गए “सुझाव” देहरादून के संबंधित अधिकारियों को “भेजे” गए थे. हालांकि, अग्रवाल की चार मांगों पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है.

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