ताइवान मसले पर चीन के सामने झुका भारत, किया बड़ा फैसला


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डोकलाम पर अचानक नरमी के मोड में आने के बाद भारत लगातार चीन के साथ रियायत पर रियायत बरत रहा है. कल आपने पढ़ा होगा बैंक ऑफ चाइना को सरकार ने भारत में लायसेंस दे दिया था. अगले ही दिन आज एक और खबर आई है. चीन की शर्त के आगे झुकते हुए भारत ने ताईवान का नाम ताइपे करने का फैसला किया है. इससे पहले जब 14 दिसंबर को ताइवान और भारत के बीच औद्योगिक सहयोग को लेकर एक एमओयू पर हस्ताक्षर हुआ था तो कहा गया था कि भारत ने ताईवान से हाथ मिलाकर चीन को चुननौती दी है लेकिन ताज़ा कदम से लगता है कि भारत ने कदम वापस खींच लिया है.

ताजा खबर ये है कि एयर इंडिया ने अपनी वैबसाइट से ताइवान शब्द ही हटा दिया है. दरअसल अप्रैल महीने में चीन के नागरिक उड्डयन प्रशासन ने 36 एयरलाइन्स को पत्र लिखकर ‘एक चीन’ सिद्धांत के तहत अपनी वेबसाइट पर ताइवान, मकाऊ और हॉन्गकॉन्ग को चीन का हिस्से के रूप में मान्यता देने की बात कही थी.

माना जा रहा है कि भारत ने यह कदम चीन के साथ अपने संबंधों को सुधारने के लिए उठाया है. गौरतलब है कि अप्रैल में चीन ने 36 एयलाइन्स को पत्र लिखकर ‘एक चीन’ सिद्धान्त का सम्मान करने की बात कही थी. तब एयर कनाडा और लुफ्थांसा जैसी कुछ एयरलाइन्स ने उनकी बात जरूर मानी थी लेकिन एयर इंडिया समेत अमेरिका और कई अन्य देशों की एयरलाइन्स ने ऐसा नहीं किया. माना जा रहा है कि एयर इंडिया ने विदेश मंत्रालय के साथ चर्चा के बाद ही यह कदम उठाया होगा.

बता दें कि नाम बदलने के लिए चीनी प्रशासन ने एयलाइन्स को 25 जुलाई तक का वक्त दिया था. पत्र में बात न मानने पर एयरलाइन्स के खिलाफ कार्रवाई की भी बात कही थी.

आपको बता दें कि चीन ताइवान को अपना हिस्सा मानता है, हालांकि ताइवान 1949 से अपनी अलग सरकार चलाता है. चीन ताइवान की स्वतंत्रता को स्वीकार नहीं करता है इसलिए उसने अंतरराष्ट्रीय संगठनों को ताइवान को चीन का हिस्सा मानने की हिदायत दी है. यहीं वजह है कि अंतरराष्ट्रीय संगठनों द्वारा ताइवान का नाम चीनी ताइपे प्रयोग किया जाता है.

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