बुरे बिल्डरों के ग्राहकों के लिए राहत की खबर, मोदी सरकार ने कानून बदला


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नई दिल्ली : केंद्रीय मंत्रिमंडल ने दिवालिया (आईबीसी) कानून में संशोधन को मंजूरी दे दी. सरकार की ओर से गठित समिति ने कानून में संशोधन कर घर खरीदारों के अधिकार बढ़ाने समेत अन्य सुझाव दिए थे. सरकार अध्यादेश के जरिए आईबीसी में बदलाव करेगी. कानून एवं न्याय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कैबिनेट बैठक के बाद कहा कि जब तक अध्यादेश को राष्ट्रपति की मंजूरी नहीं मिल जाती, इसके बारे में सिर्फ इतना ही कह सकते हैं कि बदलाव की मंजूरी दे दी गई है.

क्या थे समिति के सुझाव ?

समिति ने सुझाव दिए थे कि घर खरीदने वाले लोग भी बैंक की तरह बिल्डर को लोन देने वालों की श्रेणी में शामिल किए जाएं. घर खरीदारों को फाइनेंशियल क्रेडिटर का दर्जा दिया जाए. अगर कोई रिएल एस्टेट कंपनी दिवालिया घोषित होती है तो रिजॉल्यूशन प्रक्रिया में घर खरीदारों की बराबर भागीदारी हो. ऐसे मामलों में बैंकों और दूसरे कर्जदाताओं को ही रिजॉल्यूशन प्रोसेस में शामिल होने का अधिकार है.

क्या हैं क्रेडिटर के मायने ?

ग्राहक बिल्डर को पहले पैसा देते हैं और उन्हें सालों बाद घर का पजेशन मिलता है. इस तरह देखा जाए तो प्रोजेक्ट तैयार होने में कस्टमर का पैसा भी शामिल होता है. यही वजह है कि उन्हें क्रेडिटर का दर्जा देने की सिफारिश की गई.

कैसे मिलेगा फायदा ?

घर का पजेशन नहीं मिला है इस बीच बिल्डर दिवालिया हो चुका है तो खरीदारों को नुकसान नहीं होगा. बिल्डर की संपत्ति बेची जाएगी तो घर खरीदारों को भी हिस्सा दिया जाएगा.

पहले क्या प्रावधान ?

किसी बिल्डर के दिवालिया घोषित होने पर हर्जाना मिलने के मामले में ग्राहकों का नंबर सबसे बाद में आता था.

दिसंबर 2016 में दिवालिया कानून लागू हुआ था. इसमें घर खरीदारों के अधिकारों के मुद्दे पर लगातार राय-मशविरा चल रहा था.

देशभर के हजारों ग्राहक फंसे हुए हैं

कई बिल्डर्स के प्रोजेक्ट अटके हुए हैं, जिनमें खरीदारों के लाखों-करोड़ों रुपए फंसे हुए हैं. हालांकि रेरा के नियम लागू होने के बाद ग्राहकों की सिक्योरिटी बढ़ी है. दिवालिया होने की प्रोसेस के तहत डेवलपर की प्रॉपर्टी बेचकर भरपाई का प्रावधान है लेकिन इसमें खरीदारों को तवज्जो नहीं थी. जेफी इंफ्रा जैसी कंपनियों के खिलाफ इनसॉल्वेंसी प्रक्रिया चल रही है.

आईबीसी में संशोधन के लिए गठित 14 सदस्यीय समिति ने मध्यम श्रेणी की कंपनियों के प्रमोटर्स के लिए भी नियम आसान करने की सिफारिश भी की थी.

कैसे मिलेगा फायदा ?

कर्ज नहीं चुका पाने पर संपत्ति बेची जाएगी तो कंपनी के हिस्सेदार बोली लगा सकेंगे. विलफुल डिफॉल्टर नहीं हैं तो उन्हें दोबारा अपनी कंपनी खरीदने का मौका मिलेगा.

1 Comment

  1. What about the home which was taken by the consumer. Consumer will not get his property and he supposed to pay the EMI for the same.
    If he defaults the bank will put case against him in DRT. Any provision to come up this problem.

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